केंद्रीय गृहमंत्रालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) संगठन पर पांच सालों तक के लिए पाबंदी लगा दी है. इसके बाद देश भर में पीएफआई संगठन से जुड़े सभी कार्यालय सील करने के आदेश दिए गए. इस संगठन से जुड़े फंड भी जब्त करने के आदेश दिए गए हैं. इसी निर्देश के मुताबिक महाराष्ट्र की पुलिस टीम की कार्रवाई शुरू है. नासिक जिले के मालेगांव शहर के कार्यालय पर कार्रवाई कर उसे सील कर दिया गया है.नासिक के ग्रामीण पुलिस के मालेगांव ब्रांच की टीम ने यह कार्रवाई की है.
अब नासिक की मालेगांव ग्रामीण पुलिस इससे जुड़ी रिपोर्ट गृह विभाग को भेजने की तैयारी कर रही है. इस कार्रवाई के तहत मालेगांव के टेंशन चौक के कार्यालय को सील किया गया है. अपर पुलिस अधीक्षक चंद्रकांत खांडवी के नेतृत्व में पुलिस टीम ने संबंधित पीएफआई के ऑफिस को सील करने की कार्रवाई की है.
सील करने से पहले कागजात लगे थे हाथ
मालेगांव के कार्यालय को सील करने से पहले कार्यालय में मौजूद कागजात की जांच-परख की गई. इसके बाद कार्यालय में मौजूद प्रोपेगंडा से जुड़े दस्तावेज बरामद कर लिए गए. कार्यालय को सील करते वक्त और इससे पहले की सभी कार्रवाइयों को करते वक्त वीडियो शूट किए गए. कुछ पीएफआई कार्यकर्ताओं से पूछताछ शुरू है और कुछ पर पुलिस की नजर है. अपर पुलिस अधीक्षक चंद्रकांत खांडवी के नेतृत्व में हुई इस कार्रवाई में पुलिस निरीक्षक सुरेश घुसर, अशोक रत्नपारखी उनका सहयोग कर रहे थे.
दहशतवाद के खिलाफ महाराष्ट्र की जीरो टॉलरेंस की नीति
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर राष्ट्रविरोधी कार्रवाइयों में शामिल होने, दो समुदायों के बीच तनाव पैदा करने, दंगे भड़काने और टेरर फंडिंग जैसे आरोप लगे हैं. केंद्रीय गृहविभाग द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन राज्य के गृह विभाग द्वारा मुस्तैदी से किया जा रहा है. राज्य के बाकी इलाकों में भी जहां-जहां पीएफआई के कार्यालय पाए जाएंगे, वहां-वहां कार्रवाई करने की योजना है, जिसे राज्य पुलिस तेजी से अमल में लाती हुई दिखाई दे रही है. राज्य की शिंदे-फडणवीस आतंक फैलाने की किसी भी तरह की हरकत पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही है.
महाराष्ट्र सरकार ने तो देशद्रोह का केस बनाया था, लेकिन…
महाराष्ट्र सरकार ने तो पुणे में पीएफआई कार्यकर्ताओं द्वारा एनआईए की छापेमारियों के विरोध में गैरकानूनी प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ भी कठोर कदम उठाए थे और पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाए जाने की शिकायत के अधार पर सेडिशन का केस दर्ज करवाया था. लेकिन पुणे पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सेडिशन केस लगाने पर रोक का हवाला देकर उन आरोपियों पर देशद्रोह का केस नहीं लगाया है.
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