उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता आयोग ने लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) पर 37 लाख का जुर्माना लगाया है. ये जुर्माना उपभोक्ताओं को फ्लैट देरी से दिए जाने पर लगाया गया है. राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष और पीठसीन न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने ये आदेश राजधानी के जानकीपुरम विस्तार निवासी अमित शर्मा और सर्वेश कुमार की याचिका पर दिया है. सुनवाई के दौरान एनडीए सचिव के गलत हलफनामा देने पर आयोग ने नाराजगी जताई है.
आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि भले ही दोनों ग्राहकों को एलडीए ने फ्लैट दे दिया. लेकिन फ्लैट मिलने में देरी से ग्राहकों को मानसिक आर्थिक और शारीरिक पीड़ा झेलनी पड़ी. आयोग में याचिका दाखिल करने वाले अमित शर्मा और सर्वेश कुमार को फ्लैट के लिए जमा धनराशि पर अगस्त 2011 से अक्टूबर 2021 तक के लिए 10 फीसदी ब्याज देने, मानसिक और आर्थिक प्रताड़ित के लिए 10 लाख रुपए समेत कुल 37 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है.
इस तरह लगाया जुर्माना
राज्य उपभोक्ता आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि फ्लैट मिलने में देरी के कारण दोनों ही याचिकर्ताओं को जो किराया देना पड़ा, उसके लिए 20 लाख हर्जाना, 1 लाख फ्लैट की बढ़ी जगह के लिए अतिरिक्त धनराशि और फ्लैट शिफ्ट करने के लिए 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. इससे पहले लखनऊ विकास प्राधिकरण पर उपभोक्ता फोरम ने उपभोक्ता को लॉटरी में प्लॉट निकलने पर भी आवंटित न करने के आरोप पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था.
क्या था मामला?
जानकीपुरम निवासी अमित शर्मा और सर्वेश शर्मा को एलडीए की ओर से 15 जून 2021 को 3 बीएचके फ्लैट का आवंटन किया गया था. दोनों ने फ्लैट की कीमत 24 लाख 90 हजार रुपए तय समय पर अदा किए थे, लेकिन एलडीए ने उन्हें फ्लैट नहीं दिया. 14 मई 2018 को एलडीए ने दोनों को पहले से तय स्मृति की जगह सरगम अपार्टमेंट में फ्लैट देने की बात कही. इसके लिए 6 लाख 68 हजार रुपये अधिक जमा करने को कहा. 2018 में 2019 तक फ्लैट देने में असफल एलडीए ने कई मदो में फ्लैट के लिए अतिरिक्त धनराशि की मांग की. इसके बाद दोनों उपभोक्ताओं ने आयोग के समक्ष मामला दर्ज कराया था.
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