कासगंज। शहर में यातायात व्यवस्था को सुढृढ करने के लिए किसी भी चौराहे या तिराहे पर सिग्नल की व्यवस्था नहीं है। इस अनदेखी के लिए यातायात विभाग के साथ-साथ जनप्रतिनिधि भी जिम्मेदार हैं। प्रतिदिन शहर के चौराहों, तिराहें पर वाहनों का दबाव अधिक रहता है। ऐसे में यातायात पुलिस कर्मियों के भी हाथ पांव फूल जाते हैं। सिग्नल लगने से यातायात व्यवस्था और अधिक बेहतर होगी।
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जिले के सृजित हुए करीब 16 साल का समय बीत चुका है। निकाय चुनाव हो या विधान सभा सभी अपने अपने घोषणा पत्र में लंबे-लंबे वायदे करते हैं और चुनाव जीत जाने के बाद वह लोग जनता की समस्या से मुंह फेर लेते हैं। वर्ष 2017 में तत्कालीन चेयरमैन रजनी साहू ने चौराहे, तिराहों पर रेड लाइट सिग्नल के लगवाए जाने के लिए पहल की थी, लेकिन उनकी पहल पांच साल बाद तक रंग नहीं ला सकी। पूर्व चेयरमैन ने शहर के चौराहों, तिराहों पर रेड लाइट सिग्नल लगवाए जाने के लिए शासन से पत्राचार भी किया था, लेकिन उनके पद से हटने के बाद मौजूद पालिकाध्यक्ष मीना माहेश्वरी ने 2023 में पालिका का कार्यभार संभाला और विकास कार्य शुरू कराए, लेकिन रेड सिग्नल के लिए कोई पहल नहीं की। जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते रेड लाइट सिग्नल को हरी झंडी नहीं मिल सकी है।
नागरिकों की बात :
– शहर में यातायात के दृष्टिगत रेड लाइट सिग्नल की आश्यकता है। रात के समय में इससे यातायात व्यवस्था और अधिक बेहतर होगी। पालिका को रेड लाईट लगवाने के लिए पहल करनी चाहिए। – रामनंदन, व्यापारी
– शहर के सरकुलर रोड पर वाहनों का दबाव अधिक रहता है। बिलराम गेट चौराहे पर जाम खुलवाने के लिए पुलिस कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। रेड लाइट सिग्नल लगने से कहीं हद तक यातायात व्यवस्था बेहतर होगी। – राजीव वार्ष्णेय
क्या होगा रेल लाइट सिग्नल से
शहर में यदि रेल लाइट सिग्नल लग जाते हैं तो लाल बत्ती पूर्ण विराम का प्रतीक है। जब लाल बत्ती जलती है, तो सभी वाहनों को स्टॉप लाइन, क्रॉस वॉक या चौराहे से पहले पूरी तरह रुक जाना चाहिए। यह नियम चौराहे से गुजरने वाले पैदल यात्रियों और अन्य वाहनों सहित सभी सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लागू होते हैं। इसके अलावा पीली बत्ती होने पर रुकने के लिए तैयार रहें, हरी बत्ती होने पर सावधानी से . बढ़ेंगे।
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