22 दिन के बाद आखिरकार वाराणसी के सिद्धिश्वर महादेव मंदिर का ताला खुल ही गया. बुधवार दोपहर एक बजे वाराणसी के एडीएम सिटी आलोक वर्मा ने 70 सालों से बंद सिद्धिश्वर महादेव मंदिर का ताला खुलवाया. स्थानीय मुसलमानों ने भी प्रशासन का सहयोग किया और शांति व्यवस्था बनाए रखा. मंदिर के अंदर दो-तीन खंडित शिवलिंग मिले, लेकिन सिद्धिश्वर महादेव का शिवलिंग वहां नहीं है.
चूंकि सनातन में स्थान विशेष का महत्व होता है, इसलिए यदि शिवलिंग नहीं भी मिलता है तो नए शिवलिंग का विधिपूर्वक प्राण-प्रतिष्ठा करने की सनातन परंपरा रही है. मंदिर खुलने पर मलबा हटाया गया और गर्भगृह को गंगाजल से शुद्ध किया गया. फिर प्रशासन ने अपना ताला लगा दिया. ‘ढूंढे काशी’ के लोग वहां पहुंचे और हर-हर महादेव का जयघोष करने लगे. खरमास बाद अब मंदिर का जीर्णोद्धार और प्राण प्रतिष्ठा होगी. इसको लेकर भी श्री काशी विद्वत परिषद दो-तीन दिन में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाने जा रहा है.
श्री काशी विद्वत परिषद के मार्गदर्शन में होगी पूजा
‘ढूंढे काशी’ संस्था के अजय शर्मा ने बताया कि सिद्धिश्वर महादेव जो मुख्य शिवलिंग के रूप में यहां विराजते थे, वो नहीं मिले हैं. यदि वो नहीं मिलते हैं तो मकर संक्रांति के बाद मंदिर का जीर्णोद्धार कराया जाएगा. श्री काशी विद्वत परिषद और अन्नपूर्णा मंदिर के सहयोग से यहां सिद्धिश्वर महादेव, जो की पाषाण के शिवलिंग के रूप में होंगे, वो पुनः स्थापित किए जाएंगे.
श्री काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने बताया कि सात दिन तक प्राण प्रतिष्ठा होगी और उसके बाद दो पुजारियों की नियुक्ति की जाएगी. पुजारियों की नियुक्ति और पूजा-पाठ की जिम्मेदारी अन्नपूर्णा मंदिर संभालेगा और श्री काशी विद्वत परिषद के मार्गदर्शन में यहां पूजा-पाठ शुरू की जाएगी.
अन्नपूर्णा माता मंदिर करेगा राज भोग की व्यवस्था
कलयुग में चूंकि अन्नपूर्णा माता के ही अधीन है काशी, इसलिए राग भोग की व्यवस्था की जिम्मेदारी अन्नपूर्णा मंदिर को ही सौंपी जाएगी. वैदिक विधि से ही मंदिर की देख-रेख की जाएगी और वहां त्रिकाल संध्या विधि से पूजा-पाठ का विधान होगा.
मदनपुरा के मुसलमानों ने कहा- शांति बनी रहे बस
वहीं सिद्धिश्वर महादेव मंदिर खुलने में स्थानीय मुसलमानों का बड़ा सहयोग रहा है. मदनपुरा के गोल चबूतरा के मुसलमानों ने कहा कि पूजा-पाठ से हमें कोई दिक्कत नहीं है. बशर्ते शांति बनी रहे. ये हमारे लिए एक और अवसर है. चूंकि मंदिर के इर्द-गिर्द हमी हैं तो पूजा सामग्री, फूल माला बेचने का भी हमारे पास एक विकल्प होगा. साड़ियों की बिक्री भी बढ़ेगी. हम बहुत खुश हैं. हमारे लिए रोजगार का अवसर खुल रहा है. बस इतना चाहते हैं कि शांति बनी रहे.
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