कुर्स्क की जंग में रूस और यूक्रेन की रणनीति चौंका रही है. पहले यूक्रेन की बढ़त, फिर रूस की व्यूह रचना और अब इसी व्यूह में फंसी यूक्रेनी फोर्स ने अपना प्लान-B एक्टिवेट कर दिया है. कीव का कुर्स्क के लिए यही प्लान-B रूस के लिए संकट बन गया है. एक ऐसा संकट जो न्यूक्लियर रेडिएशन से रूस को जला सकता है. इस प्लान में अब यूक्रेनी फोर्स के टारगेट पर है कुर्स्क का वो न्यूक्लियर प्लांट जो न सिर्फ कुर्स्क में फंसे यूक्रेनी सैनिकों का कवच बन सकता है, बल्कि ग्लोबल विनाश का कारण भी बन सकता है, लेकिन कैसे? आगे बताते हैं.
यूक्रेनी सेना का कुर्स्क तक पहुंचना जेलेंस्की की ऐसी रणनीति का हिस्सा है, जिसके जरिए डोनबास रीजन से रूस के सैनिकों को हटाने की डील संभव थी, लेकिन सूमी, सुद्जा के रास्ते कुर्स्क तक पहुंचने की इस रणनीति को पुतिन पलट दिया. यूक्रेनी सेना सप्लाई लाइन ठप करके रूसी सेना ने कुर्स्क को चक्रव्यूह बना दिया. उत्तर कोरिया के सैनिकों को आगे करके यूक्रेनी सेना के बारूद को बर्बाद करवा दिया. जिसके बाद पुतिन ने कुर्स्क में ऑपरेशन मीट ग्राइंडिंग शुरू किया और हर क्षेत्र में रूस को बढ़त मिलने लगी.
यूक्रेनी सेना के पास सैनिकों के साथ-साथ हथियारों की भी कमी
रूस के घातक हमलों से कुर्स्क में फंसी यूक्रेनी सेना के पास सैनिकों की कमी के साथ-साथ हथियारों का टोटा हो गया. यूक्रेनी ब्रिगेड अलग-अलग हिस्सों में बंटकर टुकड़ियां बन गईं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं था कि, यूक्रेन फोर्स प्लान-B के साथ नहीं आई थी. प्लान-B उनके पास पहले ही था और वही प्लान अब एक्टिव हुआ है.
यूक्रेन की कुर्स्क की जंग में जीत की उम्मीद टूटी ज़रूर है, लेकिन रणनीति कमजोर नहीं है. इसलिए रूसी हमलों की वजह से टुकड़ियों में बंटे सैनिकों ने कुर्स्क के न्यूक्लियर पावर प्लांट की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं. और इन बढ़ते कदमों का इशारा है कि, समय भी यूक्रेन के साथ है. इसका साफ मतलब है कि, यूक्रेनी सेना इस बार ऐसी बढ़त बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है, जो रूस के लिए अब तक का सबसे बड़ा झटका साबित होगा.
क्यों संकट में घिरा रूस?
अगर यूक्रेनी सेना कुर्स्क न्यूक्लियर पावर प्लांट पर कब्जा करती है तो फिर रूस के लिए हमला नामुमकिन हो जाएगा. अगर अपने ही पावर प्लांट पर रूसी फोर्स हमला करती है तो दोहरे नुकसान के रूप में पहले तो अपने ही देश में रेडिएशन का सामना करना होगा, तो वहीं IAEA इसे न्यूक्लियर हमला घोषित कर सकता है. न्यूक्लियर प्लांट पर हमले की दशा में दुनिया में नए न्यूक्लियर युद्ध की शुरुआत का कारण रूस बन जाएगा.
वहीं यूक्रेनी सेना अगर कुर्स्क में प्रवेश करती है दोनों ही स्थिति यूक्रेन के लिए फायदेमंद साबित होगी. जिसमें न सिर्फ रूस के साथ डील आसान हो जाएगी, बल्कि दुनिया पर दबाव बनाना भी आसान हो जाएगा, लेकिन इस दिशा में प्रगति क्या है? और स्थिति कैसे बनाने की कोशिश हो रही है, इसे भी समझना जरूरी है.
कुर्स्क की जंग में यूक्रेनी सेना के पास बढ़त इसलिए थी, क्योंकि वो सूमी और सुद्जा से गुजरने वाले हाईवे के जरिए कुर्स्क के केंद्र तक पहुंच गए थे, लेकिन रूसी सेना ने उन पर ताबड़तोड़ हमले करके बिखरा दिया. अब कुर्स्क में मौजूद यूक्रेनी सैनिकों ने प्लान-B के तहत कुर्स्क के न्यूक्लियर पावर प्लांट की तरफ कूच किया है. जिससे रूसी सेना के सामने नया संकट खड़ा हो गया है, क्योंकि, वो प्लांट तक पहुंचे, तो मुश्किलें बढ़ जाएंगी.
रूसी रणनीति के तहत ही अंजाम देने की तैयारी में यूक्रेन
मतलब साफ है कि, यूक्रेन अब रूस के खिलाफ कुर्स्क में युद्ध को रूसी रणनीति के तहत ही अंजाम देने जा रहा है और मुमकिन है कि, यूक्रेनी सेना का प्लान-B यही रहा हो, इसलिए शक्तिशाली इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम यूक्रेनी फोर्स ने पहले इस्तेमाल नहीं किए. ताकि इन्हें कुर्स्क के न्यूक्लियर प्लांट पर तैनात किया जा सके, लेकिन वहां तक पहुंचने से पहले उन्हें रूसी सेना का भी सामना करना है. जिसमें उन्हें नुकसान भी हो रहा है, लेकिन मकसद अब साफ है कि भले कितना ही नुकसान क्यों न उठाना पड़े.
क्योंकि एक बार कामयाबी मिल गई तो जेलेंस्की बिना NATO की मदद लिए पुतिन से डील कर पाएंगे और लुहान्स और डोनेस्क रीजन की ऑटोनॉमस मान्यता रद्द करवा पाएंगे. रूसी सेना को डोनबास रीजन से बाहर निकलवा सकते हैं. यहां तक कि क्रीमिया को भी रूस से छीन सकते हैं. और पुतिन को ज़ेलेंस्की के इरादे समझते ज़रा भी देर नहीं लगी. इसलिए कुर्स्क में पुतिन ने न्यूक्लियर पावर प्लांट की सुरक्षा के लिए तैयारी शुरू कर दी है ताकि यूक्रेनी फोर्स वहां तक पहुंच ही न सके.
आखिरी उम्मीद कुर्स्क न्यूक्लियर पावर प्लांट
हालात ये हैं कि, यूक्रेन में 25 की जगह 18 साल के सैनिकों की भर्ती हुई है. जिन्हें रूस के खिलाफ युद्ध के मुहाने पर तैनाती दी गई है, लेकिन ये युवा तैनाती का विरोध कर रहे हैं. इस बगावत की बात तब सामने आई जब आक्रामक हुए युवाओं पर भर्ती अधिकारियों ने ही केमिकल स्प्रेस का इस्तेमाल किया.इस बगावत को देखते हुए जेलेंस्की की उम्मीद धराशायी हो गई इसलिए आखिरी उम्मीद कुर्स्क न्यूक्लियर पावर प्लांट बन गया.
(टीवी9 ब्यूरो रिपोर्ट)
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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