भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए भारत पहुंचे. राजा वांगचुक ने दिल्ली के निगमबोध घाट में सार्वजनिक श्मशान घाट पर मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
अपने दोस्त की तबीयत में सुधार के लिए उन्होंने एक दिन पहले ही थिम्पू स्थित बौद्ध मठ में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए प्रार्थना भी की थी. भूटान सरकार के मुताबिक, पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री के लिए भूटान के सभी 20 जोंगखाग या जिलों में अलग-अलग प्रार्थना समारोह भी आयोजित किए गए.
झुकाया गया भूटान का झंडा
रॉयल भूटान सरकार के सिंह के मुताबिक, पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में भूटान का राष्ट्रीय ध्वज पूरे देश में और विदेशों में स्थित उनके दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों में आधा झुकाया गया. थिम्पू के कुएनरे ऑफ ताशिचोदज़ोंग में आयोजित समारोह में एक हजार बटर लैंपर जलाए गए.
Special prayers for #ManmohanSingh held across #Bhutan; King attends funeral pic.twitter.com/XvuW5hMwtB
— The Telegraph (@ttindia) December 28, 2024
प्रार्थना में प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे, भारतीय राजदूत सुधाकर दलेला, शाही परिवार के कई सदस्य और भूटानी सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में भूटान के साथ भारत के संबंधों में काफी सुधार हुआ था.
भूटान को मिली नई दिशा
डॉ. मनमोहन सिंह का 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. भारत में आर्थिक सुधारों की दिशा में इनका काफी महत्वपूर्ण योगदान रहा है. इन्होंने फॉरेन इन्वेस्टमेंट के लिए भारत को खुला छोड़ दिया था. विदेशी कंपनियों को असुविधाओं से बचाने के लिए एक्पोर्ट पर एक्सरसाइज ड्यूटी को कम किया, जिससे भारत का एक्पोर्ट काफी बढ़ गया. साथ ही आरटीआई, मनरेगा, भारत-अमेरिका समझौता जैसे कई अहम फैसले उनकी ओर से लिए गए थे.
भारत-भूटान संबंधों का मूल ढांचा 1949 में हस्ताक्षरित ‘मैत्री और सहयोग की संधि’ है. इसे फरवरी 2007 में इसे नई दिशा दी गई, जब डॉ. मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री थे. सिंह के प्रधानमंत्रित्व काल में भूटान सहित कई प्रमुख देशों के साथ भारत के संबंधों में उल्लेखनीय सुधार हुआ.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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