बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा नियुक्त आयोग ने डेढ़ दशक पुराने पिलखाना नरसंहार की जांच शुरू कर दी है. 25-26 फरवरी, 2009 को ढाका में बीडीआर (बांग्लादेश राइफल्स) मुख्यालय पिलखाना में अर्धसैनिक विद्रोह में 74 लोग मारे गए थे. उस घटना में, अपदस्थ प्रधान मंत्री शेख हसीना और तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल मोइन उन अहमद सहित 58 लोगों पर 19 दिसंबर को ढाका में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायाधिकरण के मुख्य अभियोजक के कार्यालय में आरोप लगाया गया था. अब इस मामले की जांच शुरू हुई है और शेख हसीना सहित उनके मत्रियों पर साजिश रचने का आरोप लगाया गया है.
दूसरी ओर, मोदी सरकार के शेख हसीना के प्रत्यार्पण से इनकार करने पर भारत के खिलाफ कार्रवाई की धमकी दी. बांग्लादेश के प्रवक्ता मोहम्मद रफीकुल आलम ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए कोई निश्चित समयसीमा नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर भारत उचित समयावधि में इस मुद्दे पर जवाब नहीं देता है, तो बांग्लादेश हसीना के प्रत्यर्पण को सुनिश्चित करने के लिए आगे कदम उठाएगा.
आलम ने कहा कि 23 दिसंबर को एक राजनयिक नोट भेजा गया था. उन्होंने कहा कि, उनके ज्ञान के अनुसार, भारत ने अभी तक इस मुद्दे पर जवाब नहीं दिया है.
यूनुस सरकार ने सात सदस्यीय आयोग का किया गठन
यूनुस सरकार ने शिकायत की जांच के लिए बीडीआर के पूर्व डीजी मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एएलएम फजलुर रहमान के नेतृत्व में सात सदस्यीय आयोग का गठन किया. आयोग ने इस बार ‘स्वतंत्र जिम्मेदारी’ के साथ काम करना शुरू किया.
हसीना के सत्ता में आने के एक महीने के भीतर, बीडीआर बलों, उस देश के सीमा रक्षकों, ने ढाका के पिलखाना बैरक में विद्रोह कर दिया था. बाद में यह कई अन्य बीडीआर शिविरों में फैल गया. पिलखाना में बीडीआर के विद्रोही सैनिकों ने 74 लोगों की हत्या कर दी. जिनमें से 57 तत्कालीन बीडीआर प्रमुख मेजर जनरल शकील अहमद सहित प्रतिनियुक्ति पर सेना के अधिकारी थे.
हसीना और उनके मंत्रियों पर साजिश रचने का आरोप
उस दिन विद्रोही बीडीआर जवानों ने कथित तौर पर ऑफिसर्स मेस में भी तोड़फोड़ की थी. कई अधिकारियों की पत्नियाँ और परिवार भी मारे गए. उस हत्या के कारण तत्कालीन हसीना सरकार ने बीडीआर का नाम बदलकर बीजीबी (बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश) कर दिया, उस हत्याकांड में 152 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी.
लेकिन बाद में हसीना और उनकी पार्टी अवामी लीग के नेताओं और मंत्रियों पर विद्रोह की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया गया. यूनुस सरकार के अनुसार घरेलू और विदेशी संबंधित आपराधिक व्यक्तियों, समूहों, संगठनों, संस्थानों, विभागों और संगठनों की पहचान करना भी जांच आयोग का मुख्य कार्य होगा. आयोग 90 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपेगा.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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