रांची कोर्ट
झारखंड की राजधानी रांची में 29 साल पहले जमीन के बदले नौकरी घोटाले में आखिरकार सीबीआई कोर्ट ने सजा का ऐलान कर दिया है. इस घोटाले में 22 लोगों को जमीन के बदले सीसीएल कंपनी में नौकरी मिली थी. जबकि इन लोगों की एक इंच जमीन का भी अधिग्रहण नहीं हुआ था. मामला रांची के पीपरवार क्षेत्र का है. इसका खुलासा इन नियुक्तियों के तीन साल बाद 1998 में हुआ. मामला तूल पकड़ने पर राज्य सरकार ने यह केस सीबीआई को सौंप दिया था.
सीबीआई ने प्राथमिक जांच के बाद 18 अगस्त 1998 को प्राथमिकी दर्ज की और पांच साल तक चली जांच के बाद 3 मई 2003 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी. 21 साल तक यह मामला कोर्ट में लंबित रहा. हालांकि अब कोर्ट ने सीसीएल कंपनी के जीएम हरिद्वार सिंह और उनके बेटे समेत 22 लोगों को दोषी करार देते हुए सजा का ऐलान किया है. केस डायरी के कंपनी के जीएम हरिद्वार सिंह ने जमीन अधिग्रहण के बाद सीसीएल हेडक्वार्टर में इन नियुक्तियों के लिए प्रस्ताव भेजा था.
दो बार में कराई थी 28 नियुक्तियां
इस प्रस्ताव के आधार पर 1995 में 18 और 1996 में 10 लोगों को नौकरी मिली थी. केस डायरी के मुताबिक यह सभी 28 नियुक्तियां अधिकारियों की मिलीभगत से हुई थीं और इसमें लगाए गए सभी दस्तावेज फर्जी थे. इस मामले की जांच के दौरान सीबीआई ने तीन आरोपियों को सरकारी गवाह बनाया था, वहीं एक आरोपी का केस बंद किया गया था. कोर्ट में ट्रॉयल के दौरान इस धोखाधड़ी के लिए सीसीएल के तत्कालीन जीएम हरिद्वार सिंह और उनके उनके बेटे प्रमोद कुमार सिंह के अलावा 22 आरोपियों को दोषी करार दिया गया है.
नौकरी पाने वालों को हुई सजा
इनमें मनोज कुमार सिंह, कृष्ण नंद दुबे, मुरारी कुमार दुबे, मनोज पाठक, प्रमोद कुमार, दिनेश रॉय, ललित मोहन सिंह, संजय कुमार, मनदीप राम, बैजनाथ महतो, हेमाली चौधरी, बिनोद कुमार, जयपाल सिंह, बिपिन बिहारी दुबे, बंसीधर दुबे, निरंजन कुमार, अजय प्रसाद, केदार प्रसाद, परमानंद वर्मा और गुरुगुदयाल प्रसाद शामिल हैं. इन सभी दोषियों को 3-3 साल की सजा सुनाई गई है. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने हरिद्वार सिंह पर 58 हजार और अन्य 21 दोषियों पर 8-8 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. इस मुकदमे में पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने दो आरोपी एमके सिन्हा एवं दशरथ गोप को बरी कर दिया है.
– India Samachar
.
.
Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link