मुंबई बोट हादसा.
मुंबई में बुधवार को नेवी की एक स्पीड बोट एक नाव से टकरा गई, जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई और 101 लोगों को बचा लिया गया. नेवी ने एक बयान में कहा, शाम करीब 4 बजे, इंजन टेस्ट से गुजर रहा नेवी का एक बोट नियंत्रण खो बैठा और कारंजा के पास पैसेंजर नाव नीलकमल से टकरा गया. यह नाव यात्रियों को गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा द्वीप ले जा रही थी.
इस बोट हादसे में जीवित बचे गणेश (45) का कहना है कि जब उन्होंने स्पीड बोट को तेजी से आते देखा, तो उन्हें यह लगा कि कोई हादसा हो सकता है. गणेश ने कहा कि नेवी की बोट अरब सागर में चक्कर लगा रही थी, जबकि हमारी नाव मुंबई के पास एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल एलीफेंटा द्वीप की ओर जा रही थी. मैं दोपहर 3.30 बजे नाव पर चढ़ा था.
तेज रफ्तार से चक्कर लगा रही थी स्पीड बोट
उन्होंने कहा कि मेरे दिमाग में एक पल के लिए यह विचार आया कि यह स्पीड बोट हमारी नाव से टकरा सकती है, और अगले कुछ सेकंड में ऐसा ही हो गया. गणेश ने कहा कि हादसे के वक्त वह दुर्भाग्यपूर्ण नीलकमल नाव के डेक पर खड़े थे. हैदराबाद के रहने वाले गणेश इस हादसे के बाद बचाए गए लोगों में शामिल हैं. उन्होंने बताया कि वह 3.30 बजे टिकट खरीदने के बाद नाव पर चढ़े और डेक पर चला गया. गणेश ने कहा कि जब मैं अरब सागर और मुंबई के आसमान को निहार रहा था, तब नाव तट से लगभग आठ से 10 किमी दूर थी, मैंने देखा कि स्पीड बोट हमारी नाव के पास तेज रफ्तार से चक्कर लगा रही थी.
नाव से टकराई स्पीड बोट
गणेश ने बताया कि जैसे ही स्पीड बोट हमारी नाव से टकराई, समुद्र का पानी हमारे अंदर आने लगा, जिसके बाद कैप्टन ने यात्रियों से कहा कि वे लाइफ जैकेट पहनें, क्योंकि नाव पलटने वाली थी. गणेश ने बताया कि उन्होंने लाइफ जैकेट ली और समुद्र में कूद गए. उन्होंने बताया कि वह 15 मिनट तक तैरते रहे, तभी उन्हें पास में ही मौजूद एक अन्य नाव ने बचा लिया और अन्य लोगों के साथ गेटवे ऑफ इंडिया ले आई. उन्होंने बताया कि नौसेना, तटरक्षक और समुद्री पुलिस की बचाव टीम टक्कर के आधे घंटे के भीतर नाव के पास पहुंच गई थी. उन्होंने बताया कि मैं बचाए गए 10 यात्रियों के पहले ग्रुप में था.
नाव में कम थे लाइफ जैकेट
बेंगलुरू निवासी विनायक मथम भी इस हादसे में बचने वाले सौभाग्यशाली लोगों में शामिल रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह अपने दो सहकर्मियों के साथ इस नाव पर सवार थे. उन्होंने कहा कि पहले तो मुझे लगा कि नेवी के क्राफ्ट कर्मी मौज-मस्ती के लिए निकले हैं, क्योंकि उनकी बोट हमारी नाव के चारों ओर चक्कर लगा रही थी. उन्होंने कहा कि नाव में पर्याप्त लाइफ जैकेट नहीं थे. जब पैसेंजर नाव पर चढ़े, तो उन्हें लाइफ जैकेट पहनाई जानी चाहिए थी.
ऐसी भयावह घटना कभी नहीं देखी
हादसे की जगह पर सबसे पहले पहुंचने वाले कुछ नावों के चालकों ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसी भयावह घटना कभी नहीं देखी. मुंबई पोर्ट ट्रस्ट (एमबीपीटी) की पायलट नाव पूर्वा के चालक आरिफ बामाने ने कहा कि जब हम वहां पहुंचे, तो स्थिति दुखद और पूरी तरह से खराब थी. लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे और रो रहे थे. उन्होंने कहा कि उन्होंने महिलाओं और बच्चों को बचाने को प्राथमिकता दी.
लोगों को बचाने की पूरी कोशिश
बामने ने कहा कि वह और उनकी टीम बुधवार शाम को जवाहर दीप से मुंबई जा रहे थे तभी कंट्रोल रूम ने दुर्घटना की जानकारी दी. उन्हें जल्द से जल्द जेडी5 के पास घटनास्थल पर पहुंचने का निर्देश दिया गया. उन्होंने कहा कि उनकी नाव पर केवल चार लोग सवार थे, लेकिन उन्होंने अन्य नावों के आने से पहले फंसे हुए लोगों को बचाने की पूरी कोशिश की. उन्होंने बताया कि मदद के लिए चिल्लाने वालों में तीन से चार विदेशी भी थे.
अब तक का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन
बामने ने कहा कि हमने जितना संभव हो सके उतने लोगों को बचाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि उन्होंने लगभग 20-25 लोगों को बचाया, जिन्हें बाद में घटनास्थल पर पहुंची नेवी की नावों में ट्रांसफर कर दिया गया. नाव चलाने के 18 साल के अनुभव के साथ, बामने ने कहा कि उन्होंने पहले भी छोटे बचाव अभियान देखे हैं लेकिन बुधवार की घटना सबसे भयावह और दुखद थी. उन्होंने कहा, यह अब तक का सबसे बड़ा बचाव अभियान है जो मैंने देखा है.
छोटी बच्ची की बचाई जान
उन्हें याद आया कि एक छोटी बच्ची बेहोश पड़ी थी क्योंकि उसके फेफड़ों में पानी घुस गया था. उन्होंने उसकी छाती पर दबाव डाला और उसे फिर से सांस लेने में मदद की. उन्होंने कहा, धीरे-धीरे उसकी सांसें सामान्य हो गईं. एक छोटी नाव के चालक इकबाल गोठेकर ने बताया कि उनकी नाव दोपहर करीब 3.35 बजे एलीफेंटा द्वीप से रवाना होने के लगभग 25-30 मिनट बाद उन्हें घटना के बारे में पता चला और वह दुर्घटनास्थल पर पहुंचने वाले पहले लोगों में से एक थे.
मदद के लिए हाथ हिला रहे थे लोग
गोथेकर, जो 2004 से नाव चालक हैं, उन्होंने कहा कि पलटी हुई नाव पर मौजूद लोग मदद के लिए हाथ हिला रहे थे. उन्होंने कहा कि जब तक वे मौके पर पहुंचे, मछली पकड़ने वाला एक ट्रॉलर भी आ गया था. रायगढ़ जिले के मूल निवासी, गोथेकर ने कहा कि उनकी नाव ने 16 लोगों को बचाया, और उन्हें गेटवे ऑफ इंडिया पर सुरक्षित लाया. बचाए गए लोगों को पुलिस चौकी ले जाया गया. घटना के बारे में बताते हुए गोथेकर ने कहा कि मैंने अपने करियर में कभी ऐसी घटना नहीं देखी.
– India Samachar
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