यूक्रेन के बाद पोलैंड को रूस का अगला टारगेट माना जा रहा है इसीलिए पोलैंड ने एक ऐसा फैसला ले लिया है, जिसने न सिर्फ चौंकाया है, बल्कि कई देशों के लिए एक उदाहरण भी स्थापित कर दिया है. यूक्रेन की जमीन पर बारूदी धमाके और NATO की यूक्रेन को मिलने वाली मदद ने कई देशों पर संकट खड़ा कर दिया है. ये संकट है बारूदी तबाही का. खासतौर पर उन देशों के लिए, जहां से बारूद की सप्लाई यूक्रेन में हो रही है.
अपनी भौगोलिक स्थिति और NATO के मुख्य केंद्र के रूप में पोलैंड एक ऐसा देश बन गया है, जिस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. यूक्रेन की सीमा से रूसी फोर्स की एंट्री का संकट, तो बेलारूस की जमीन से रूसी मिसाइल्स का संकट. इसलिए बारूदी माहौल को भांपते हुए, पोलैंड ने पहले तो सीमा पर सेना बढ़ाई है, लेकिन ये तैयारी भी पोलैंड की सरकार को कम लग रही है इसलिए प्रेसिडेंट आंद्रेज़ डूडा ने आदेश पारित करते हुए भविष्य की जंगी तैयारी का संकेत दे दिया.
पोलैंड का बच्चा-बच्चा जंग में होगा शामिल?
ये संकेत है हथियार चलाने की ट्रेनिंग का और ये ट्रेनिंग दी जा रही है प्राइमरी स्कूल के बच्चों को. पोलैंड में लिए गए फैसले का ये सबसे बड़ा सबूत है, जिसमें बच्चों को हर तरह की बंदूकों से परिचित कराया जा रहा है. उन्हें चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. निशाना लगाने से लेकर बंदूक के पार्ट के बारे में भी उन्हें बताया जा रहा है.
बच्चों को दी जा रही हथियारों की ट्रेनिंग को पोलैंड की सरकार ने देशभक्ति के लिए हथियार उठाने का कार्यक्रम घोषित किया है, जिसका साफ मतलब है कि अगर पोलैंड पर अटैक हुआ, तो बच्चा-बच्चा जंग में शामिल होगा और मुमकिन है कि जल्द ही पोलैंड की तरह दूसरे देशों में भी ऐसे ही कार्यक्रम शुरू हों.
पोलैंड पहला देश, जिसने स्कूलों में की अनिवार्य शूटिंग
दरअसल, यूरोपियन यूनियन में हथियार ट्रेनिंग पर विचार किया गया था, जिसका मकसद था बढ़ते खतरे को कम करने के लिए बच्चों को भी हथियार उठाना सिखाना. हालांकि ये विचार यूरोपियन यूनियन के देशों में पूरी तरह से स्वीकार नहीं हुआ है, लेकिन पोलैंड पहला ऐसा देश बन गया है जहां स्कूलों में अनिवार्य शूटिंग क्लास शुरू कर दी गई है.
यही वजह है कि पोलैंड में प्राइमरी स्कूल के बच्चे अनिवार्य रूस से बंदूक चलाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं, जिन्हें पोलैंड की सेना के सेवा निवृत्त अधिकारी बंदूक से परिचित करा रहे हैं. उन्हें बंदूक से निशाना लगाना और उसके पार्ट की बारीकी सिखा रहे हैं और इस ट्रेनिंग के जरिए ही बच्चों को सेना में सेवा देने के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है.
ब्यूरो रिपोर्ट, TV9 भारतवर्ष
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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