मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसले में पति और उसके रिश्तेदारों के खिलाफ दहेज और बलात्कार की एफआईआर रद्द कर दी. कोर्ट ने इसे झूठे आरोपों पर आधारित पाया और कहा कि यह कार्रवाई बदले की भावना से की गई थी, क्योंकि पति ने पहले ही तलाक की अर्जी दायर की थी.
जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की खंडपीठ ने इस एफआईआर को कानून का दुरुपयोग बताया. अदालत ने पाया कि पुलिस जांच और मेडिकल रिपोर्ट में आरोपों को साबित करने के लिए कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले.
आरोपों के तहत दहेज, अप्राकृतिक यौन संबंध और निजी वीडियो वायरल करने की धमकी जैसे गंभीर मुद्दे भी बिना किसी साक्ष्य के थे. इसके अलावा, एफआईआर दर्ज करने में चार महीने की देरी को भी संदेहास्पद माना गया, जिससे मामला और भी संदिग्ध हो गया.
पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम विवाह
कोर्ट ने यह भी माना कि पति और पत्नी के बीच प्रेम विवाह हुआ था, और ऐसे में दहेज की मांग का आरोप विश्वसनीय नहीं लगता था. अदालत ने यह स्पष्ट किया कि कानून का उद्देश्य निजी दुश्मनी निकालने के लिए नहीं है, और इस मामले में महिला द्वारा लगाए गए आरोप गलत साबित हुए.
एफआईआर रद्द
अदालत ने इस कारण एफआईआर को रद्द कर दिया और इसे एक दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण के रूप में देखा, जहां कानून का दुरुपयोग व्यक्तिगत प्रतिशोध को पूरा करने के लिए किया गया था. यह फैसला न केवल पति और उसके परिवार को राहत देने वाला था, बल्कि यह कानून के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ.
सुसाइड केस से जुड़ा मामला
इस फैसले के बीच, बेंगलुरू के एक एआई इंजीनियर की सुसाइड की घटना भी चर्चा में रही, जिसे पत्नी की प्रताड़ना के कारण बताया जा रहा था. इस पर इंदौर हाई कोर्ट ने भी कानून के दुरुपयोग की समस्या पर प्रकाश डाला और इसे न्यायालय की गंभीर चिंता बताया.
इस फैसले के बाद, यह संदेश गया कि कोर्ट निजी दुश्मनी या बदले की भावना से की गई कार्रवाई को गंभीरता से लेता है, और जब किसी आरोपी के खिलाफ आरोप झूठे या बिना सबूत के होते हैं, तो न्याय के सभी पहलुओं का पालन किया जाएगा.
अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए हमारा एप्प डाउनलोड करें |
Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Source link