इधर-उधर, जहां भी नजर घुमाओ सिर्फ ‘पुष्पा भाऊ’ ही दिखते हैं. 8 दिन में कौन ऐसा तूफान उठाता है भाई? अल्लू अर्जुन की पिक्चर ने सच में भौकाल काट दिया और बॉक्स ऑफिस पर 1000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा छाप लिए. पर मामला अभी यहां तक ही थमा नहीं है, वीकेंड शुरू होने को है. पर उससे पहले ऐसा बहुत कुछ हो गया, जिससे माहौल एकदम गर्म है. खैर, हम उस मुद्दे पर नहीं जाएंगे. हम बात करेंगे, अल्लू अर्जुन के उस सीन की, जहां क्या और कितना बड़ा विलन, जब पुष्पा भाऊ की एंट्री हुई, तो पूरा थाना खाली हो गया.
जिन लोगों ने ‘पुष्पा 2’ देख ली है, उनके लिए तो ठीक है. पर जिन्होंने नहीं देखी है इस खबर को अपने रिस्क पर ही पढ़ें, क्योंकि इसमें भर-भरकर स्पॉइलर्स हैं, या यूं कहूं कि हम एक बड़े सीन को फ्रेम बाय फ्रेम बता रहे हैं. तो चलिए शुरू करते हैं.
जब पुलिस थाने पहुंचे ‘पुष्पा भाऊ’
‘पुष्पा 2’ में मामला इंटरनेशनल हो चुका है. ऐसे में पुष्पा के हाथ एक बड़ी डील लग जाती है. अब लाल चंदन सिर्फ भारत नहीं, बल्कि विदेशों तक भी पहुंच रहा था. पुष्पा के लोग अपना काम करने जंगल पहुंचते हैं, पर तब नहीं जानते थे कि उनके बीच में एसपी भंवर सिंह यानी फहाद फासिल एक वर्कर बनकर ही बैठे हुए हैं. जंगल में जब पुष्पा भाऊ के सारे लोग काम कर रहे होते हैं, तो पुलिस आती है कई लोगों को जेल में बंद कर देती है. अब उसमें से पुष्पा भाऊ के एक खास आदमी की शादी होती है और वो अपनी ही शादी में नहीं पहुंच पाता, क्योंकि वो जेल में बंद था.
अपने लोगों के लिए पुष्पा भाऊ मसीहा से कम नहीं थे. तो उस दूल्हे को लेने थाने पहुंच जाते है. लेकिन वहां मामला तब बिगड़ता है, जब वो देखते हैं कि सबको एसपी भंवर सिंह (फहाद फासिल) ने खूब पीटा है. हर किसी के शरीर में निशान हैं. अब शुरू होता पुलिस वालों को खरीदने का सिलसिला.
पुष्पा भाऊ ने कैसे खाली कराया पूरा थाना?
पुष्पा भाऊ ने पहले तो अपने सारे लोगों को जेल से बाहर निकलवाया. फिर पुलिस वालों की नौकरी न जाए, उन्हें खूब सारा पैसा दिया. पर यह पैसे ऐसे ही नहीं दिए गए. हर पुलिस वाले से उसकी तनख्वाह, नौकरी के बचे हुए साल और रिटायरमेंट के बाद कितना पैसा मिलेगा? सबकुछ टोटल करके पुलिस वालों को पैसे थमा दिए. जिसके चलते पूरा थाना ही खाली हो गया. सरल शब्दों में कहूं तो थाना ही खरीद डाला. बाद में ‘पुष्पा’ का कारनामा देखकर एसपी भंवर सिंह ने सिर पकड़ लिया. यह ‘पुष्पा 2’ के जाबड़ सीन्स में से एक है, जिसपर थिएटर्स में भी खूब सीटियां बजी थी.
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