सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाले तीन सदस्यीय बेंच ने प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक हम मामले की सुनवाई और इसका निपटारा नहीं कर लेते, तब तक इससे जुड़ी न तो कोई नई याचिका स्वीकार की जाएगी और न ही किसी भी तरह के सर्वे से जुड़े फैसले ही दिए जा सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई संजीव खन्ना की अगुवाई वाले स्पेशल बेंच के इस निर्देश से यूपी समेत देश के उन तमाम राज्यों के विभिन्न अदालतों में चल रहे सर्वे से जुड़े मामलों की सुनवाई पर भी रोक लग गई है. सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट से जुड़ी एक याचिका अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की भी है, जिस पर ये निर्देश जारी हुआ है. अंजुमन इंतजामिया के जॉइंट सेक्रेटरी मोहम्मद यासीन ने इस डायरेक्शन को यूपी के कांटेक्स्ट में बेहद महत्वपूर्ण माना है.
इन 5 मस्जिदों की चल रही सुनवाई
मोहम्मद यासीन ने कहा कि इस डायरेक्शन से तीन बड़ी बातें सामने आएंगी. पहला ये कि सर्वे को लेकर यूपी के पांच धार्मिक स्थलों से जुड़े जितने भी मामले चल रहे हैं वो तुरंत रुक जाएंगे. वाराणसी का ज्ञानवापी, जौनपुर की अटाला मस्जिद, मथुरा की शाही ईदगाह, संभल की शाही मस्जिद और कन्नौज की शम्सी जामा मस्जिद से जुड़े जितने भी मामले विभिन्न अदालतों में चल रहे हैं वो रुक जाएंगे.
अब नहीं हो पाएगा किसी मस्जिद का सर्वे
दूसरी बात ये होगी कि इन धार्मिक स्थलों से जुड़े किसी भी तरह के किसी भी सर्वे को लेकर किसी भी तरह का कोई फैसला किसी अदालत से नहीं दिया जाएगा. तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात ये होगी कि इन पांच धार्मिक स्थलों सहित इस प्रकृति की अब कोई नई याचिका किसी भी कोर्ट में स्वीकार नहीं की जाएगी. यासीन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस पहल से नफरत के कारोबारियों पर लगाम लगेगी.
क्या बोले हिंदू पक्ष के वकील?
दूसरी तरफ हिंदू पक्ष से जुड़े वकील सुप्रीम कोर्ट के इस डायरेक्शन से निराश हैं और सुप्रीम कोर्ट से करोड़ों हिन्दुओं के मौलिक अधिकार और धार्मिक भावनाओं का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष के साथ न्याय करने की अपील की है. हिंदू पक्ष से जुड़े अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 15 अगस्त 1947 की स्थिति बहाल रखने की बात करता है न कि धार्मिक स्थलों की प्रकृति की जानकारी लेने पर कोई रोक लगाता है.
केंद्र सरकार को 4 हफ्ते में देना होगा जवाब
हिंदू पक्ष से ही जुड़े एक और अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने कहा कि आराध्य स्थलों के उद्धार के लिए न्यायालय में जाना करोड़ों हिंदुओं का मौलिक अधिकार है और हमारे लिए न्याय का दरवाजा बंद नहीं किया जा सकता है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है.
अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए हमारा एप्प डाउनलोड करें |
Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Source link