उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले के मंझनपुर स्थित एक निजी अस्पताल में मरीज को डेंगू का डर दिखाकर नकली प्लेटलेट्स चढ़ाने का मामला सामने आया है. मरीज को गंभीर हालत में प्रयागराज के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. डीएम मधुसूदन हुलगी ने मामले की जानकारी होने पर अस्पताल की जांच एसडीएम, एसीएमओ की 3 सदस्य वाली टीम से करने का निर्देश दिया है. डीएम मधुसूदन हुलगी के मुताबिक, टीम अस्पताल के रजिस्ट्रेशन, डाक्टर, स्टाफ व अन्य टेक्निकल बिंदुओं पर भी जांच कर रिपोर्ट देंगे.
महेवाघाट थाना के अलवारा गांव के रहने वाले कृपा शंकर पेशे से अधिवक्ता हैं. कृपा शंकर को पिछले दिनों बुखार आने की शिकायत हुई. उन्होंने मंझनपुर के आकांक्षा हॉस्पिटल में अपने खून की जांच कराई. कृपा शंकर के परिवार के मुताबिक, जांच रिपोर्ट में उन्हें डेंगू होने की बात बताई गई और प्लेटलेट्स कम होने की बात कहकर अस्पताल में भर्ती करा लिया. परिजनों का आरोप है मरीज को अस्पताल प्रशासन व डाक्टरों ने सोची समझी साजिश के तहत नकली प्लेटलेट्स चढ़ाई, जिससे उनकी हालत गंभीर हो गई. वहीं परिवार के लोगों ने नाजुक हालत में आकांक्षा अस्पताल से ले जाकर प्रयागराज के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया.
पीड़ित परिवार ने मंगलवार को डीएम मधुसूदन हुलगी को शिकायत पत्र देकर इंसाफ की मांग की. डीएम मधुसूदन हुलगी ने पीड़ित की शिकायत को संज्ञान में लेकर एसडीएम आकाश सिंह की अध्यक्षता में 2 एसीएमओ की जांच टीम गठित कर मामले की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट देने की बात कही है.
जांच के लिए डीएम ने बनाई टीम
डीएम मधुसूदन हुल्गी के मुताबिक, मामले में टीम गठित की गई है. वहीं अस्पताल के हर बिंदुओं पर जांच करेगी. उन्होंने कहा कि ये तथ्य सामने आए है कि निजी अस्पताल में जांच के नाम पर गलत तरीके की रिपोर्ट दी जा रही है.
कौशांबी जिले के अस्पतालों में ये पहला मामला नहीं है. इस तरह के तमाम मामले पहले भी हो चुके हैं लेकिन गरीब की आवाज नहीं सुनी जाती है. जिसके चलते उनको इंसाफ नहीं मिल पाता है. इससे पहले भी मरीज को एक्सपायरी डेट का ब्लड दिया गया था और मरीज को चढ़ाने से पहले ही उसे देख लिया गया नही तो मामला गंभीर हो जाता.
बिना रजिस्ट्रेशन वाले अस्पतालों पर होगी कार्रवाई
जानकारी के मुताबिक, कौशांबी जिले में बिना रजिस्ट्रेशन के कई अस्पताल चल रहे हैं. जिस अस्पताल की शिकायत होती है उस अस्पताल को सील कर मामले को दबा दिया जाता है. या फिर अधिकारियों को धन उगाही कर अस्प्ताल चलाने दिया जाता है. ऐसे अस्पतालों को चिंहित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. जिससे गरीबों को इंसाफ मिले और साथ ही अच्छा इलाज भी मिल सके. वहीं डीएम मधुसूदन हुलगी ने कहा है कि ऐसे जो भी अस्पताल चल रहे हैं उन सभी अस्पतालों की जांच कराई जाएगी और जिनके पास रजिस्ट्रेशन नहीं है उन अस्पतालों पर कार्रवाई भी की जाएगी.
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