देवेंद्र फडणवीस
कभी भारतीय जनता पार्टी में समझौते का चेहरा रहे देवेंद्र फडणवीस अब महाराष्ट्र बीजेपी का एकमात्र चेहरा बन गए हैं. यह तीसरी बार है, जब महाराष्ट्र में किसी नेता को बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद के लिए नामित किया है. ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखने वाले फडणवीस 2014 में पहली बार मुख्यमंत्री बनाए गए थे.
2024 में जब बीजेपी फिर से खुद का मुख्यमंत्री बनाने की स्थिति में आई तो सीएम पद के लिए कई नामों की चर्चा शुरू हो गई, लेकिन मुख्यमंत्री पद के लिए आखिरी मुहर फडणवीस के नाम पर ही लगी.
देवा भाऊ के नाम से मशहूर फडणवीस ने अपने करियर की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से की थी. फडणवीस के बारे में कहा जाता है कि उन्हें दिल्ली और नागपुर दोनों का आशीर्वाद एक साथ प्राप्त है.
समझौते का चेहरा देवेंद्र फडणवीस
2013 में नरेंद्र मोदी बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए नामित किए गए. इसके बाद संगठन में बड़े स्तर पर फेरबदल का काम शुरू हुआ. इसी कड़ी में महाराष्ट्र में भी बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष बदलने का फैसला किया. नए अध्यक्ष के लिए लॉबिंग तेज हो गई.
महाराष्ट्र की सियासत में उस वक्त नितिन गडकरी और गोपीनाथ मुंडे गुट का दबदबा था. गडकरी सुधीर मुंगटीवार तो मुंडे एकनाथ खडसे को अध्यक्ष बनाना चाहते हैं. कहा जाता है कि दोनों गुटों के दावेदारी को खारिज करते हुए बीजेपी ने देवेंद्र फडणवीस को अध्यक्ष की कुर्सी दे दी.
फडणवीस उस वक्त विधायक थे. नागपुर से होने की वजह से आरएसएस के भीतर भी उनकी अच्छी पैठ थी.
देश में नरेंद्र, महाराष्ट्र में देवेंद्र
2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव जीतने के बाद महाराष्ट्र में एक नारा काफी लोकप्रिय हुआ. नारा था- देश में नरेंद्र, महाराष्ट्र में देवेंद्र. बीजेपी ने देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप दी. फडणवीस 2014 से 2019 तक मुख्यमंत्री रहे.
2019 में उनके चेहरे को ही आगे कर बीजेपी मैदान में उतरी. महाराष्ट्र के चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी भी बनी, जिसके बाद फडणवीस को विधायक दल का नेता चुना गया, लेकिन बहुमत न होने की वजह से फडणवीस को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ गई.
फडणवीस इसके बाद नेता प्रतिपक्ष बनाए गए. 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद सरकार बनाने में फडणवीस ने बड़ी भूमिका निभाई. फडणवीस सरकार में डिप्टी सीएम बनाए गए. उन्हें गृह और वित्त जैसा विभाग सौंपा गया.
बीजेपी के बड़े नेता भी पिछड़े
देवेंद्र फडणवीस जब पहली बार मुख्यमंत्री चुने गए तो उस वक्त एकनाथ खडसे, पंकजा मुंडे, नितिन गडकरी और विनोद तावड़े मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार थे. केंद्र में मंत्री होने की वजह से नितिन दिल्ली रह गए. तावड़े, मुंडे और खडसे को सरकार में मंत्री बनाया गया.
इसी बीच तावड़े अपनी डिग्री को लेकर विवादों में घिर गए. पंकजा और खडसे पर घोटाले का आरोप लगा. 2019 के चुनाव में तावड़े और खडसे को टिकट नहीं मिला. खडसे ने तो पार्टी ही छोड़ दी. वहीं तावड़े दिल्ली की राजनीति में आ गए.
पंकजा मुंडे टिकट पाने में सफल रही, लेकिन परली से चुनाव नहीं जीत पाई.
शरद पवार से लिया बदला
2019 में शरद पवार की वजह से ही देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ गई. फडणवीस ने गाहे-बगाहे कई बार इसकी चर्चा भी की. फडणवीस इसके बाद कुछ सालों तक अलग-थलग रहे, लेकिन शिंदे की बगावत के बाद वे महाराष्ट्र की सियासत के केंद्र में आ गए.
2023 में शरद पवार की पार्टी तोड़ फडणवीस ने 2019 का बदला पूरा कर लिया. जिस अजित की वजह से 2019 में सीएम की कुर्सी फडणवीस से दूर हुई. उसी अजित के सहारे फडणवीस 2024 में सीएम की कुर्सी तक पहुंच गए.
इसके बाद बीजेपी के कई नेता दबी जुबान महाराष्ट्र की राजनीति में फडणवीस को शरद पवार से बड़ा सियासी चाणक्य बताने लगे.
राजनीति में कैसे आए देवेंद्र फडणवीस?
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले फडणवीस पार्षदी के जरिए राजनीति में आए. फडणवीस इसके बाद 1997 में नागपुर के मेयर बनाए गए. मेयर रहकर उन्होंने नागपुर में खूब लोकप्रियता बटोरी.
फडणवीस को 1999 के चुनाव में बीजेपी ने नागपुर पश्चिम सीट से विधायकी का टिकट दे दिया. फडणवीस जीतने में भी कामयाब रहे. इसके बाद वे लगातार नागपुर से विधायक जीतते रहे.
2013 में उन्हें संगठन की जिम्मेदारी मिली. फडणवीस महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष के पद पर रह चुके हैं.
– India Samachar
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