उत्तर प्रदेश के बरेली-बदायूं बॉर्डर पर एक हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई थी. निर्माणाधीन रामगंगा ब्रिज से एक कार नीचे गिर गई थी. खल्लपुर गांव के पास रविवार सुबह राहगीरों की नजर दुर्घटनाग्रस्त कार पर पड़ी तो उन्होंने तीन शव देख पुलिस को सूचना दी. आशंका जताई जा रही है कि जीपीएस की गलत लोकेशन के चलते ड्राइवर को अधूरे पुल के अंतिम छोर का अंदाजा नहीं लगा और कार नीचे गिर गई. इस हादसे को लेकर गूगल मैप के क्षेत्रीय मैनेजर सहित 4 इंजीनियर और एक अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
बदायूं की डीएम निधि श्रीवास्तव ने नायब तहसीलदार को हादसे के जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे. इसके बाद दातागंज तहसील के नायब तहसीलदार छवी राम ने गूगल मैप के क्षेत्रीय मैनेजर सहित 4 इंजीनियर और अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. सहायक अभियंता मोहम्मद आरिफ और अभिषेक कुमार, अवर अभियंता अजय गंगवार और महाराज सिंह सहित एक अज्ञात पर एफआईआर दर्ज हुई है. पुलिस ने बीएनएस की धारा 105 के तहत मुकदमा दर्ज किया है.
रामगंगा ब्रिज से 25 फीट नीचे गिरी थी कार
कार रामगंगा ब्रिज से तकरीबन 25 फीट नीचे गिरी थी, जिसके चलते कार सवार 3 लोगों की मौत हो गई थी. तीनों दोस्त थे और एक शादी में शामिल होने गुरुग्राम से बदायूं होते हुए बरेली के फरीदपुर जा रहे थे. 2023 में राज्य सेतु निगम ने बरेली के फरीदपुर को बदायूं की दातागंज तहसील से जोड़ने के लिए रामगंगा नदी पर एक पुल बनाया था. उस पर यातायात भी चालू कर दिया था, मगर 2023 की बाढ़ में बदायूं की तरफ का एप्रोच रोड बह गया था, तब से इस मार्ग पर यातायात बंद था.
इस एप्रोच रोड की जिम्मेदारी बदायूं लोक निर्माण विभाग की थी और इस क्षेत्र के मार्गों की देख-रेख के लिए दो सहायक अभियंता मोहम्मद आरिफ, अभिषेक कुमार और दो अवर अभियंता अजय गंगवार और महाराज सिंह तैनात थे. इन चारों अधिकारियों की ज़िम्मेदारी थी कि अगर एप्रोच मार्ग बंद है तो उस पर दीवार या बैरिकेड लगाकर यातायात को रोका जाए.
DM नाराज, PWD ने क्यों नहीं देखा एप्रोच रोड?
रामगंगा नदी पर पुल राज्य सेतु निगम बना रहा था, लेकिन पुल तक जाने के लिए जो एप्रोच मार्ग था, उसके रखरखाव की जिम्मेदारी PWD के पास था और इसी लिए पूरी घटना में PWD को ज़्यादा ज़िम्मेदार माना जा रहा है. डीएम निधि श्रीवास्तव ने पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को एक पत्र जारी किया है, जिसमें जिक्र है कि दीवार, साइन बोर्ड लगाने की जिम्मेदारी बदायूं पीडब्ल्यूडी की थी और पीडब्ल्यूडी ने बड़ी लापरवाही बरती है. पत्र में लिखा है कि एप्रोच रोड डिस्कनेक्ट होने पर भी साइनेज (संकेतक) न लगाए जाने के कारण उक्त दुर्घटना हुई.
सवालों से बचते दिखे अधिशासी अभियंता
भले ही ब्रिज को राज्य सेतु निगम ने बनाया, मगर एप्रोच रॉड के रखरखाव की ज़िम्मेदारी PWD के पास थी. विभाग को यह भी पता था कि 2023 की बाढ़ में एप्रोच रोड बह गया है और उसके बनाने का प्रस्ताव शासन को भेज भी दिया था, तब उस मार्ग पर सतर्कता क्यों नहीं बरती गई. उस मार्ग पर अवरोध क्यों नही लगाए गए. क्यों नही PWD ने गूगल से उस मार्ग को मैप से हटाने के लिए लिखा. इन सभी सवालों को जब अधिशासी अभियंता नरेश कुमार से पूछा गया तो वह बचते नजर आए.
क्या बोले PWD के अधिकारी?
PWD के अधिशासी अभियंता नरेश कुमार ने कहा कि डीएम निधि श्रीवास्तव के निर्देश पर पुल पर साइन बोर्ड लगाए जाएंगे. बैरिकेडिंग भी की जाएगी. पुल के निर्माण कार्य को पूरा करने और एप्रोच रोड के आसपास मिट्टी डालने को लेकर शासन को लेटर लिखा गया है.
दातागंज तहसील के मुड़ा पुख्ता गांव के पास पुल 2022 में बनना शुरू हुआ और 2023 में तैयार हुआ था. जोकि लगभग 100 करोड़ की लागत से बना था, जिसमें 24 पिलर बनाए गए थे. तीन पिलर बदायूं की सीमा में थे, बाकी 21 पिलर बरेली के फरीदपुर क्षेत्र में थे. यह रास्ता खुलने से बदायूं के दातागंज और फरीदपुर की दूरी काफी कम हो गई थी. भाजपा सरकार में यह पूरा निर्माण हुआ था. इस पल की मांग समाजवादी गवर्नमेंट में मांग उठी थी और अखिलेश सरकार ने इस प्रोजेक्ट को पास कर दिया था. वहीं 2023 की बरसात के समय इस पुल का एप्रोच रोड कट गया था और इस मार्ग को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया था.
गूगल मैप भी है ज़िम्मेदार
पुल पर हादसा इसलिए हुआ, क्योंकि कार सवार जीपीएस के सहारे जा रहे थे. उन्हें नहीं मालूम था कि गूगल मैप उन्हें गलत रास्ते पर ले जा रहा है. 2023 की बरसात के बाद यानि एक साल से भी अधिक समय से यह रास्ता बंद है तो गूगल मैप ने रास्ते को क्यों अपडेट क्यों नही किया. यह सब सवाल हैं, जिनका जवाब गूगल को भी देना है.
रिपोर्ट- खालिद रियाज, बदायूं
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