रूस और यूक्रेन की जंग अब विनाशकारी होती जा रही है. इस यूद्ध में रूस ने यूक्रेन के खिलाफ इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल किया है. कीव में अधिकारियों ने इस पर मुहर लगाई है लेकिन पश्चिमी देश के अधिकारियों को यह आईसीबीएम का हमला नहीं लग रहा है. उनके अनुसार, यह एक बैलिस्टिक मिसाइल थी. इसका टारगेट यूक्रेन के दक्षिण-पूर्व में द्निप्रो था. यूक्रेनी वायु सेना ने ऐलान किया है कि उसने आईसीबीएम के साथ-साथ 6 अन्य मिसाइलों को ट्रैक किया है. इन सभी का टारगेट द्निप्रो क्षेत्र था.
यूक्रेनी सैन्य अधिकारियों का कहना है कि आईसीबीएम को रूस के दक्षिण-पश्चिम में एस्ट्राहान क्षेत्र से लॉन्च किया गया था. सभी मिसाइलें करीब दो घंटे में दागी गईं. सभी मिसाइलें महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को निशाना बनाकर दागी गईं लेकिन केवल वही मिसाइल शहर पर गिरी, जिसे यूक्रेन ने ICBM के रूप में पहचाना. 6 अन्य मिसाइलों को मार गिराया.
आईसीबीएम क्या है?
रूसी आईसीबीएम की मारक क्षमता 5000 किलोमीटर से अधिक है, जो आस्ट्राखान से अमेरिका के पूर्वी तट तक पहुंच सकती है. ये परमाणु हथियार से लैस होने में भी सक्षम है. यूक्रेनी मीडिया सूत्रों ने दावा किया है कि इस्तेमाल की गई मिसाइल RS-26 रुबेज है. आस्ट्राखान और द्निप्रो लगभग 700 किमी दूर हैं. उधर, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने आईसीबीएम रिपोर्टों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
RS-26 रुबेज (Rubezh) रूस की परमाणु सक्षम इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है. यह मिसाइल रूस द्वारा विकसित की गई है और इसे रुबेज़ के नाम से जाना जाता है. इसका अर्थ ‘सीमा’ होता है. RS-26 रुबेज़ का उद्देश्य लंबी दूरी तक सटीक रूप से परमाणु या पारंपरिक वारहेड्स का लक्ष्य बनाना है. यह मिसाइल 4,000 से 5,000 किलोमीटर की दूरी तक मार करने की क्षमता रखती है.
RS-26 रुबेज की क्षमता
RS-26 रुबेज को विशेष रूप से रणनीतिक परमाणु हमलों के लिए डिजाइन किया गया है. इसकी विशेषताएं और तकनीकी क्षमताएं रूस की रक्षा शक्ति को और मजबूत बनाती हैं. इसे अत्याधुनिक मार्गदर्शन प्रणाली, बहु-वारहेड क्षमता और विरोधी मिसाइल रक्षा प्रणालियों से बचने के लिए उन्नत विशेषताओं के साथ तैयार किया गया है. RS-26 रुबेज़ मिसाइल रूस के रक्षा कार्यक्रम का हिस्सा है और इसे विशेष रूप से NATO और अन्य पश्चिमी देशों के खिलाफ रणनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए डिजाइन किया गया है.
1950 के दशक में शीत युद्ध के चरम पर सोवियत संघ और अमेरिका द्वारा एक दूसरे की आबादी को सीधे परमाणु हथियारों से धमकाने के लिए आईसीबीएम विकसित किए गए थे. कांग्रेस के शोध का अनुमान है कि रूस के परमाणु शस्त्रागार में 326 आईसीबीएम हैं, लेकिन इससे पहले किसी भी देश ने युद्ध में एक भी आईसीबीएम नहीं दागा था. अमेरिका और रूस के बीच 2000 में हस्ताक्षरित एक समझौते के अनुसार सैद्धांतिक रूप से प्रत्येक पक्ष को 500 किमी से अधिक की दूरी पर किसी भी नियोजित मिसाइल प्रक्षेपण से कम से कम 24 घंटे पहले दूसरे पक्ष को सूचित करना चाहिए, जो कि शामिल दूरी से अधिक है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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