देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे, राहुल गांधी, उद्धव ठाकरे
महाराष्ट्र की सियासत छह हिस्सों में बंटी हुई है. हर इलाके का अपना समीकरण और सियासी मिजाज है. ऐसे में सभी की निगाहें मराठवाड़ा के इलाके पर टिकी है, जहां की राजनीति जातीय समीकरण पर टिकी हुई है. पांच साल पहले बीजेपी और शिवसेना गठबंधन मराठवाड़ा क्षेत्र की ज्यादातर सीटें जीतने में कामयाब रही थी, लेकिन मराठा आरक्षण आंदोलन और लोकसभा चुनाव के बाद सियासी स्थिति बदल गई है. एकनाथ शिंदे की शिवसेना के सहारे बीजेपी मराठवाड़ा बेल्ट में अपना सियासी दबदबा बनाए रखना चाहती है, लेकिन कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और शरद पवार की तिकड़ी बड़ी चुनौती बन गई है.
मराठवाड़ा का इलाका कर्नाटक और तेलंगाना की सीमा से लगा है. यह क्षेत्र आठ जिलों से बना है. यह क्षेत्र अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है और यहां कई महत्वपूर्ण मंदिर स्थित हैं. औरंगाबाद, जालना, बीड, परभणी, लातूर, नांदेड़, उस्मानाबाद और हिंगोली जिले की 46 विधानसभा सीटें आती हैं. 2014 और 2019 में मराठवाड़ा इलाके की 30 फीसदी से ज्यादा सीटें बीजेपी ने जीतकर अपने नाम कर ली थी, लेकिन इस बार जातीय समीकरण ने सियासी टेंशन बढ़ा दी है.
मराठवाड़ा का सियासी मिजाज
महाराष्ट्र के 2019 विधानसभा चुनाव में मराठवाड़ा की 46 सीटों में बीजेपी-शिवसेना (अविभाजित) गठबंधन 28 सीटें जीतने में कामयाब रही थी, जिसमें बीजेपी ने 16 और शिवसेना ने 12 सीटें अपने नाम की थी. कांग्रेस और एनसीपी ने आठ-आठ सीटें और दो सीटें अन्य दलों ने जीती थी. 2014 चुनाव में मराठवाड़ा की 46 सीटों में से बीजेपी 15, शिवसेना 11, कांग्रेस 9, एनसीपी 8 और अन्य को 3 सीटें मिली थी. इस तरह बीजेपी और शिवसेना ने मराठवाड़ा की सीटों पर कब्जा जमाकर महाराष्ट्र की सत्ता अपने नाम कर ली थी, लेकिन साल 2023 में मराठा आंदोलन के चलते सियासी समीकरण बदल गए हैं.
महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को कुनबी (खेतिहर मराठा) का दर्जा देकर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे में आरक्षण दिलवाने के लिए शुरू हुए आंदोलन ने पूरे मराठवाड़ा की हवा ही बदल दी है. इसका खामियाजा बीजेपी और शिंदे गुट वाली शिवसेना को 2024 के लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ा है. मराठवाड़ा में बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत सकी है. यहां की आठ लोकसभा सीटों में से 3 कांग्रेस, 3 शिवसेना (यूबीटी), एक एनसीपी (एस) और एक शिंदे की शिवसेना जीतने में कामयाब रही थी. आठ में से सात मराठा सांसद बने हैं और एक सीट पर आरक्षित होने के चलते दलित समुदाय से सांसद बने.
जातीय समीकरण में उलझा मराठवाड़ा
मराठवाड़ा की सियासत पूरी तरह से जातीय समीकरण पर उलझी हुई है. खेतहर मराठा समुदाय का इसे केंद्र कहा जाता है. मराठा समाज की आबादी मराठवाड़ा में 35 फीसदी से भी ज्यादा है तो ओबीसी की आबादी भी यहां पर 35 से 40 फीसदी के बीच है. बीजेपी यहां गोपीनाथ मुंडे के जरिए ओबीसी वोटों पर प्रभाव रखती रही है तो कांग्रेस अशोक चव्हाण और देशमुख परिवार के सहारे अपना दबदबा बनाए हुए थी. एक साल से चल रहे मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण सबसे ज्यादा असुरक्षित ओबीसी समाज ही महसूस कर रहा है. ओबीसी नहीं चाहता है कि उसके कोटे का आरक्षण मराठों को दिया जाए. इसके चलते ओबीसी और मराठा एक दूसरे के विरोधी हो गए हैं.
मराठा और ओबीसी ध्रुवीकरण के साथ-साथ मराठवाड़ा इलाके की 15 प्रतिशत मुस्लिम आबादी अपना सियासी असर दिखा सकती है. ओवैसी की एआईएमआईएम इस क्षेत्र में अपना अच्छा असर रखती है. मराठवाड़ा कभी हैदराबाद निजाम की रियासत का हिस्सा हुआ करता था. इसके चलते ही 2019 औरंगाबाद सीट ओवैसी की पार्टी जीतने में कामयाब रही थी. इसके अलावा दलित वोटर भी बड़ी संख्या में है. मराठवाड़ा इलाके में मराठा, ओबीसी, दलित और मुस्लिम वोटर सियासी खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं.
मराठवाड़ा बेल्ट के सियासी मुद्दे
मराठवाड़ा इलाका अपने सूखाग्रस्त हालात के चलते सुर्खियों में रहता है, लेकिन पिछले दिनों इस इलाके में काफी बारिश हुई है. जबकि 2016 में इसी इलाके के लातूर में पानी की इतनी किल्लत हुई कि रेलवे के जरिए पानी भेजा गया था. मराठवाड़ा इलाके में सबसे बड़ा मुद्दा पीने के पानी की कमी, कृषि संकट और बेरोजगारी है. जबकि यह पूरा इलाका कृषि पर आधारित है. विकास के मामले में पिछड़ा हुआ है. इस पूरे इलाके से लंबे समय से मराठा आरक्षण की मांग होती रही है. सांप्रदायिक आधार पर सबसे अधिक लड़ाई भी यहीं देखने को मिलेगी.
मराठवाड़ा के कद्दावर चेहरे
मराठवाड़ा इलाके में सबसे बड़ा चेहरा बीजेपी के अशोक चव्हाण हैं, जो लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर आए हैं. महाराष्ट्र के सीएम रह चुके हैं और मराठा समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं. ओबीसी चेहरे के तौर पर गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे हैं तो अजित पवार के पास धनंजय मुंडे ओबीसी फेस हैं. बीजेपी को पूरी उम्मीद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण से है, उनका प्रभाव नांदेड़ के आसपास के जिलों पर हैं. देशमुख बंधु मराठवाड़ा में कांग्रेस का चेहरा हैं, कांग्रेस के पूर्व सीएम विलासराव देशमुख के बेटे अमित और धीरज देशमुख लातूर की अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं. मुस्लिम चेहरे के तौर पर इम्तियाज जलील है, जो विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहा हैं.
एकनाथ शिंदे के भरोसे बीजेपी
महाराष्ट्र के मराठवाड़ा इलाके में एकनाथ शिंदे के भरोसे बीजेपी उतरी है. मराठवाड़ा शिवसेना की राजनीति का गढ़ रहा है. बालासाहेब ठाकरे की अगुवाई में शिवसेना ने मराठवाड़ा में अपनी मजबूत पहचान बनाई थी. 1990 के दशक में जब बाला साहेब की हिंदुत्व आधारित राजनीति ने जोर पकड़ा, तब मराठवाड़ा में कांग्रेस के खिलाफ शिवसेना को मजबूत समर्थन मिला. मराठवाड़ा में शिवसेना की जड़ें गहरी रही हैं, जिसके चलते ही उद्धव ठाकरे ने तीन लोकसभा सीटें जीती हैं. 2022 में शिंदे के साथ जिन विधायकों ने बगावत की थी, उसमें पांच मराठवाड़ा इलाके के थे.
मराठा आंदोलन के चेहरे मनोज जरांगे के निशाने पर देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी रही है, लेकिन एकनाथ शिंदे पर हमले नहीं किए. ऐसे में बीजेपी ने यह स्थिति समझते हुए मराठवाड़ा में सीटों के बंटवारे में शिवसेना को अधिक सीटें देने का निर्णय लिया. मराठवाड़ा में बीजेपी 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि शिवसेना 16 सीटों पर अपनी किस्मत आजमा रही है. वहीं, मराठवाड़ा में कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ रही है जबकि शरद पवार की एनसीपी कम सीटों पर किस्मत आजमा रही है. ऐसे में मराठवाड़ा के बेल्ट की 46 सीटों पर लड़ाई रोचक बन गई है.
– India Samachar
.
.
Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
यह पोस्ट सबसे पहले टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ , हमने टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on टीवी नाइन हिंदी डॉट कॉम Source link