ये तय हो गया है कि डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति होंगे. चुनाव में उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस को शिकस्त दी. ट्रंप के जीतने के बाद जहां कुछ देशों में खुशी की लहर है तो कुछ में टेंशन बढ़ गई है. रूस से लेकर इजराइल तक ने ट्रंप को जीत की बधाई दी. किसी ने खुले मन से खुशी जाहिर की तो कोई महज औपचारिकता निभाने के लिए ट्रंप को विश किया. ऐसे में आइए जानते हैं कि ट्रंप की जीत से कौन से देश खुश हैं तो कौन टेंशन में हैं.
सबसे पहले बात करेंगे पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश की. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद युनूस अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी के ज्यादा करीबी हैं. बिल क्लिंटन, बराक ओबामा, जो बाइडेन से उनकी ज्यादा बनती है. युनूस कई बार ट्रंप की आलोचना कर चुके हैं. 2016 में ट्रंप जब पहली बार चुनाव जीते थे तब युनूस ने कहा था कि उनकी जीत सोलर एक्लिप्स की तरह है. उजाला एक दिन जरूर आएगा.
ट्रंप ने हाल में बांग्लादेश के मौजूदा हालात पर कहा था कि वहां पर जो हो रहा है वो सही नहीं है. ट्रंप बांग्लादेशी हिंदू के लिए भी आवाज उठा चुके हैं. माना जा रहा है कि वो अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर दबाव डालेंगे. वो बोलेंगे कि शेख हसीना की पार्टी पर जो भी एक्शन हो रहा है उसे बंद किया जाए. देश में जल्द से जल्द चुनाव कराया जाए और लोगों को ही फैसला लेने दिया जाए कि वो किसकी सरकार चाहते हैं.
पाकिस्तान खुश या टेंशन में
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते में ज्यादा कुछ नहीं बदलेगा. हां ये जरूर हो सकता है कि अमेरिका पाकिस्तान के लिए जो सैन्य मदद फिर से शुरू करने जा रहा था ट्रंप उसको रोक दें. ट्रंप के जीतने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक्स पर पोस्ट लिखा. उन्होंने ट्रंप को बधाई देते हुए कहा, मैं पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों को और मजबूत और व्यापक बनाने के लिए आने वाले प्रशासन के साथ मिलकर काम करने को उत्सुक हूं.
कनाडा के लिए क्या?
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से कनाडा पर भारत से संबंध सुधारने के लिए दबाव बनेगा. हालांकि खालिस्तान वाले मामले में ट्रंप की क्या नीति रहती है ये देखने वाली बात होगी. उधर कनाडा को ये डर है कि ट्रंप कनाडाई डॉलर को डूबो देंगे. कनाडा की मीडिया में कुछ दिन पहले एक लेख भी छपा था जिसमें कहा गया था कि अगर डोनाल्ड ट्रंप चुनाव जीतते हैं तो कनाडाई डॉलर पर संकट आ जाएगा.
इसकी वजह है कि ट्रंप अमेरिका में कॉरपोरेट टैक्स कम करने वाले हैं. इससे कनाडाई निवेश अमेरिका की ओर जाएगा और कनाडाई डॉलर कमजोर होगा. दरअसल कनाडा तेल एक्सपोर्ट करके ज्यादातर पैसे कमाता है. वहीं, ट्रंप का आइडिया है कि अमेरिका भी ऑयल एक्सपोर्ट करेगा. इससे कनाडाई एक्सपोर्ट को कंपटीशन मिलेगा. दुनियाभर में तेल की कीमत गिरेगी और कनाडाई एक्सपोर्ट्स भी कम होंगे.
ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी कनाडाई डॉलर गिरा था और ऐसा लगता है कि इस बार वही हाल होगा. माना जा रहा है कि ट्रंप के आने से कनाडा की इकोनॉमी को झटका भी लगेगा.
ट्रंप के जीतने से यूरोपीय देश खुश या नाखुश
हाल ही में एक सर्वे हुआ था जिसमें सभी यूरोपीय देशों के लोगों से पूछा गया था कि क्या आप ट्रंप को राष्ट्रपति बनते देखना चाहते हैं. ज्यादातर लोगों ने कहा कि वो चाहते हैं कि कमला हैरिस चुनाव जीतें. जर्मनी ने तो खासतौर से चुनाव में कमला हैरिस का समर्थन भी किया. यूरोप के लोग ट्रंप के साथ क्यों नहीं खड़े थे, इसकी वजह भी जान लीजिए.
दरअसल यूरोपीय देशों के लोगों का मानना है कि ट्रंप का रूस के प्रति झुकाव रहा है. हाल ही में ट्रंप ने कहा था कि वो रूस से बोलेंगे कि नाटो के साथ जो करना है करो क्योंकि हमें वो उतना पैसा नहीं देते, जितना उन्हें देना चाहिए. मैं उनकी रक्षा करने के लिए नहीं आ रहा.
ईरान में क्या माहौल?
अमेरिका का कट्टर दुश्मन ईरान खुलकर ट्रंप को बधाई नहीं दिया है. ईरान के एक शख्स ने कहा कि मैं ट्रंप की जीत से निराश हूं. इसका मतलब है अधिक आर्थिक दबाव, इजराइल के साथ युद्ध का खतरा. एक सरकारी कर्मचारी ने कहा कि मुझे इसकी परवाह नहीं है कि अमेरिकी राष्ट्रपति कौन है. मेरी मुख्य चिंता ईरान की अर्थव्यवस्था है. अगर वे ईरान पर प्रतिबंध हटाते हैं, तो यह अच्छी बात होगी.
खुश हैं नेतन्याहू!
नतीजों के कुछ देर बाद ही इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप को जीत की बधाई दी थी. उन्होंने कहा कि व्हाइट हाउस में आपकी ऐतिहासिक वापसी अमेरिका के लिए एक नई शुरुआत और इजराइल और अमेरिका के बीच महान गठबंधन के लिए एक शक्तिशाली प्रतिबद्धता प्रदान करती है. यह बहुत बड़ी जीत है. नेतन्याहू को पता है कि गाजा में युद्ध और ईरान से तनाव के बीच ट्रंप उनके (इजराइल) साथ खड़े रहेंगे. ट्रंप की जीत नेतन्याहू के लिए कॉन्फिडेंस बूस्टर का काम करेगा. ट्रंप प्रशासन ने ही 2019 में गोलान हाइट्स पर इजराइल की संप्रभुता को मान्यता दी थी.
यूक्रेन गदगद या बना मुंह?
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने ट्रंप को चुनाव जीत की बधाई दी. उन्होंने फोन पर भी बात की. दोनों के बीच क्या बात हुई ये जानकारी सामने नहीं आ पाई. लेकिन इतना तो साफ है कि रूस के जंग में ट्रंप का यूक्रेन पर दबाव बढ़ने वाला है. चुनावी अभियानों में ट्रंप जेलेंस्की की निंदा करते रहे हैं. जेलेंस्की और ट्रंप का एक जटिल इतिहास है. 2019 में ट्रंप ने जेलेंस्की पर सैन्य सहायता रोककर अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की जांच करने का दबाव डाला था. इस फोन कॉल के कारण ट्रंप के खिलाफ पहली बार महाभियोग की कार्यवाही शुरू हुई थी.
रूस की क्या है प्रतिक्रिया?
रूस ने कहा है कि वो पुतिन डोनाल्ड ट्रंप को चुनावी जीत पर बधाई देने में जल्दबाजी नहीं करेंगे. रूस का कहना है कि यह अमेरिका का आंतरिक मामला है. हमारे पास बहुत सारे मुद्दे हैं जो वास्तव में हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण हैं. रूस के एक अधिकारी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि आप रूसी राष्ट्रपति से यह उम्मीद कर सकते हैं कि अलार्म बजेगा और वो सुबह उठेंगे और अमेरिका में बहस देखेंगे. खैर रूस ट्रंप की जीत को ज्यादा भाव नहीं दे रहा लेकिन इतना माना जा रहा है कि ट्रंप के आने से अमेरिका और रूस के संबंध सुधरेंगे.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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