मुगल सुल्तान शाहजहां द्वारा नगर में बनवाया गया किला अनदेखी के चलते अपना अस्तित्व खोने को है. बारिश के दिनों में किले की एक बड़ी दीवार भी भर-भराकर नदी में समा चुकी है, लेकिन इसके बाद भी इसकी देखरेख पर जिम्मेदारों का ध्यान नहीं है. उल्लेखनीय है कि शाजापुर नगर की स्थापना लगभग 1640 में मुगल बादशाह शाहजहां ने कर यहां एक भव्य किले का निर्माण करवाया था. इस किले में विशाल मैदान के साथ कई खिड़कियां और कमरे भी हैं. लेकिन ये सब कमरे पूरी तरह से खंडहर हो गए हैं और किले की दीवार के कंगुरे भी जर्जर होकर खिरने लगे हैं. किले में प्रशासन द्वारा स्कूल भवनों का निर्माण स्कूल संचालित किए जा रहे हैं. परंतु इस किले की देखरेख की आज तक कोई सुध नही ले रहा है.
ध्वस्त कर दिया था ताराबाई का महल
शाहजहां बादशाह के किले में बने ताराबाई के भव्य महल को जर्जर होने के चलते कुछ वर्ष पूर्व तत्कालीन कलेक्टर के आदेश पर ध्वस्त कर दिया गया था, और इस महल के स्थान पर अब स्कूल के लिए कमरों का निर्माण करा दिया गया है. ताराबाई के महल में कीमती लकड़यिों की भव्य नक्काशी की गई थी, परंतु उक्त महल के ध्वस्त होने के बाद यह चीजें अतीत में सिमट कर रह गईं.
न्यायालय से लेकर अन्य विभाग थे किले में
किला परिसर में न्यायालय से लेकर कई विभाग भी वर्षों तक संचालित हुए. वहीं अब इस पर स्कूलों का कब्जा है. साथ ही शाम के समय किले में नशेड़ी गांजे का धुंआ और शराब के प्याले छलकाते नजर आते हैं. किले में खास रूप से पहचाने जाने वाली तीन खिड़कियां भी थोड़े समय में गिरकर नदी समा जाएंगी, क्योंकि यह भी बेहद जर्जर हो गई हैं.
दफन हो गई प्राचीन बावड़ी
जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते किला परिसर में निर्मित प्राचीन बावड़ी भी पूरी तरह से कचरे के ढेर में दफन हो गई. यदि इस बावड़ी की देखरेख की जाती तो इससे पीने का पानी उपलब्ध हो सकता था.
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