नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने तीन लोगों की गिरफ्तारी के साथ मंगलवार को एक गिरोह का पदार्फाश किया। इस गिरोह ने आईटीबीपी के एक सेवानिवृत्त कमांडेंट से उसका अश्लील वीडियो ऑनलाइन अपलोड करने की धमकी देकर करीब 1.8 करोड़ रुपये वसूले थे। आरोपियों की पहचान राजस्थान के भरतपुर जिले का निवासी जरीफ (30) और उत्तर प्रदेश के मथुरा के निवासी नीरज (22) और अजीत सिंह (23) के रूप में हुई है।
विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) रवींद्र सिंह यादव ने कहा, इंटर स्टेट सेल में सूचना मिली थी कि आईटीबीपी के एक सेवानिवृत्त कमांडेंट ने दक्षिण पश्चिम जिला पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि वह ‘व्हाट्सऐप’ पर एक महिला से मिला, जिसने उसे सोशल मीडिया साइट्स पर उसकी अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी दी।
स्पेशल सीपी ने कहा, इसके बाद, उन्हें एक व्यक्ति का फोन आया, जिसने खुद को दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच का इंस्पेक्टर बताया और सोशल मीडिया पर अश्लील वीडियो को ब्लॉक करने के बहाने पैसे वसूले।
बाद में गैंग द्वारा सेवानिवृत्त कमांडेंट को बताया गया कि पीड़िता को फोन करने वाली लड़की ने राजस्थान में आत्महत्या कर ली है और उनसे आगे कहा कि मामला अब पेचीदा हो गया है और उसके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाएगा।
स्पेशल सीपी ने कहा, गिरोह ने हत्या के मामले को बंद करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और गृह मंत्रालय के अधिकारियों का नाटक करते हुए धन की उगाही की। घटनाओं के क्रम में, आरोपी व्यक्तियों ने लगभग 1.8 करोड़ रुपये की कुल राशि निकाली। उसके बाद भी, वे शिकायतकर्ता से और पैसे की मांग करते रहे।
जांच के दौरान पुलिस टीम ने 200 से ज्यादा मोबाइल फोन की जानकारी एकत्र कर उनका विश्लेषण किया और विभिन्न बैंकों के 20 से अधिक बैंक खातों का विवरण प्राप्त किया।
बैंक खातों के विवरण के विश्लेषण के बाद, यह पता चला कि कथित व्यक्तियों ने लगभग 1.80 करोड़ रुपये निकाले थे। वे अलग-अलग मोबाइल फोन नंबरों से मथुरा और भरतपुर से गिरोह का संचालन करते थे।
भरतपुर और मथुरा में छापेमारी की गई और तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने कहा कि आगे की जांच जारी है।(आईएएनएस)
ये भी पढ़ें – अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए हमारा एप्प डाउनलोड करें |
Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Source link