अतंराष्ट्रीय स्तर पर किसी भी देश पर प्रतिबंध इसलिए लगाए जाते हैं ताकि उसको बिना किसी सैन्य संघर्ष के झुकाया जा सके. अधिकतर प्रतिबंध या सेक्शन शब्द आने के बाद हमारे दिमाग अमेरिका का नाम आता है लेकिन किसी दूसरे राष्ट्र को कमजोर करने के लिए अपने-अपने स्तर पर दूसरे देश भी ऐसा करते हैं. ऐसा ही साल 2017 में कतर के साथ हुआ था, जब आतंकी संगठन को मदद करने के आरोप लगाते हुए उसके पड़ोसी देश सऊदी अरब, बहरीन और UAE ने उससे लगने वाली अपनी सीमाएं बंद कर दी थी.
उस वक्त मध्यपूर्व में मौजूद कतर अपने इंपोर्ट-एक्पोर्ट के लिए इन्हीं देशों के रूट्स पर निर्भर था. लेकिन किसे पता था कि गैस एक्सपोर्ट करने वाला देश आने वाले कुछ सालों में डेयरी प्रोडक्ट्स को भी एक्सपोर्ट करने लगेगा. 2017 तक कतर अपना 80% दूध सऊदी अरब और दूसरे देशों से इंपोर्ट करता था. सऊदी अरब और UAE के प्रतिबंधों के बाद कतर ने ठान लिया था कि वे दूध के उत्पाद में अपने आप को आत्मनिर्भर बनाएगा.
क्यों बिगड़े थे सऊदी से रिश्ते?
कतर पर आरोप था कि उसकी करीबी ईरान से है और वे मिस्र में मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे संगठनों को मदद कर रहा है. जिसके बाद सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और मिस्र ने कतर के साथ राजनयिक और व्यापारिक संबंध तोड़ कतर पर समुद्री, जमीन और हवाई नाकाबंदी (Blocked) लगा दिया था. क्योंकि ईरान और मुस्लिम ब्रदरहुड से इन देशों के संबंध अच्छे नहीं थे.
रेगिस्तान में खड़ा किया डेयरी कारोबार
2017 में रिश्ते बिगड़े तो देश में दूध और खाने के सामानों को लेकर हाहाकार मच गया. जिसको पूरा करने के लिए कतर ने ईरान और तुर्की का रुख किया. लेकिन ये लंबे समय तक कारगर नहीं था. कतर अधिकारियों ने 1,400 फार्म खोल कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने का प्लान बनाया. 75mm रेनफॉल वाले देश जिसमें खेती की जमीन की भारी कमी हो और बस देश के थोड़े से हिस्से पर ही खजूर का उत्पादन होता है. ऐसे देश में कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने का सोचना भी मुश्किल था. लेकिन कतर ने देखते-देखते 2022 तक 45,000 एकड़ भूमी को कवर कर कृषि योग्य बना लिया है. आज देश में हाइड्रोपोनिक तकनीक का इस्तेमाल करके सब्जियों और फलों का उत्पादन भी बड़े पैमाने पर हो रहा है.
लेकिन इससे बड़ी चुनौती थी डेयरी प्रोडक्टस का उत्पादन कतर में ही करना. क्योंकि देश का तापमान गर्मियों में 50 डिग्री तक चला जाता है और ऐसे में गायों का जिंदा रहना और अच्छी मात्रा में दूध देना आसान नहीं था. दूध उत्पाद का जिम्मा कतर की ‘बलादाना’ कंपनी ने उठाया.
कतर के उत्तर-पूर्व में अल खोर शहर में बलादना फार्म में बुडापेस्ट से आने वाली गायें उतरती हुई (फाइल फोटों)/AFP
सऊदी अरब की डेयरी फर्म ‘अलमारे’ में काम कर चुके आयरिश मूल के डोर को ‘बलादाना’ ने कतर बुलाया और देश में डेयरी उत्पाद का प्लान बनाया है. देश की डेयरी आपूर्ति को पूरा करने के लिए 6 हजार गायों को अमेरिका से कतर लाया गया और राजधानी दोहा से 50 किमी दूर ‘अल-हावाया’ में गायों का फार्म बनाया गया. डोर कहते हैं कि इन गायों को रेगिस्तान वाले इलाके में रखना मुश्किल था, लेकिन कतर सरकार से भरपूर निवेश की बदौलत ये संभव हो पाया.
फार्म में गायों को रखने के लिए खास तरीके के तबेले बनाए गए जिनमें AC से लेकर वो तमाम सुविधाएं दी गईं जो बेहतर दूध देने के लिए एक गाय को चाहिए होती हैं. सऊदी अरब, UAE और बहरीन ने कतर के व्यापार मार्ग भी बंद कर दिए जिसके जवाब में उसी साल कतर ने 7.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत से एक नया बंदरगाह भी खोला.
बलादान फर्म
अब दूसरे देशों को करता है दूध निर्यात
कतर ने अपनी दूध की कमी ही नहीं पूरी की बल्कि अपने डेयरी प्रोडक्ट्स को दूसरे देशों में भी निर्यात करना शुरू कर दिया है. अब कतर की डेयरी फर्म बलदाना मिस्र में भी डेयरी उत्पाद के लिए 1.5 बिलियन अरब डॉलर का प्रोजेक्ट शुरू कर रही है. इसके अलावा कतर यमन, आफगानिस्तान, लीबिया आदि देशों में डेयर प्रोडक्ट्स का एक्पोर्ट करता है.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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