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संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में 28 करोड़ से अधिक लोगों ने भुखमरी का सामना किया. इनमें सबसे बुरी स्थिति गाजा के लोगों की है, जिनके सामने अकाल जैसी स्थिति है.संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक 59 देशों के करीब 28 करोड़ 20 लाख लोगों ने 2023 में अलग अलग चरणों की भुखमरी का सामना किया. यह रिपोर्ट फूड सिक्योरिटी इन्फॉर्मेशन नेटवर्क, संयुक्त राष्ट्र की अलग अलग एजेंसियों, यूरोपीय संघ समेत कुल 16 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने मिल कर तैयार की है.

यूएन फूड एंड एग्रीकल्चर के चीफ इकॉनमिस्ट मैक्सिमो तरेरे ने कहा कि पांच देशों के 7,05,000 लोग भुखमरी के पांचवें यानी सबसे गंभीर चरण में हैं. 2016 के बाद से यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है.

पांच देशों के करीब 577,000 लोगों के सामने अकाल जैसी स्थिति है. ऐसी स्थिति का सामना कर रहे लोगों में 80 फीसदी गाजा में हैं. इनके अलावा दक्षिण सूडान, बुरकिना फासो, सोमालिया, माली जैसे देशों में भी हजारों ऐसे लोग हैं जो विनाशकारी भुखमरी से गुजर रहे हैं.

रिपोर्ट के अनुसार 39 देशों के 3 करोड़ 60 लाख से अधिक लोग आपातकालीन भुखमरी की समस्या का सामना कर रहे हैं. ये लोग भुखमरी के चौथे चरण में हैं.

भुखमरी के अलग अलग चरण

विश्व खाद्य कार्यक्रम ने भुखमरी को पांच अलग अलग चरणों में बांटा है. पहला चरण वह है जिसमें न्यूनतम खाद्य संकट की स्थिति होती है, जहां लोग आवश्यक खाद्य सामग्री के साथ साथ अपनी दूसरी जरूरतें भी पूरी कर पाते हैं. दूसरा चरण वह है, जिसमें लोगों का भोजन कम हो जाता है, लेकिन वे कम से कम खाने की जरूरी चीजें खरीद सकते हैं. तीसरे चरण में कुपोषण के साथ साथ परिवार पूरे वक्त का खाना नहीं जुटा पाते.

चौथा चरण एक आपातकाल की स्थिति है जहां खाद्य संकट गहराता है, कुपोषण का स्तर बढ़ जाता है और भुखमरी के कारण लोगों की मौत भी होने लगती है. पांचवा और आखिरी चरण अकाल की स्थिति मानी जाती है जहां भोजन और दूसरी बुनियादी चीजें लोगों के पास बिल्कुल नहीं होतीं. भुखमरी, मौत, गंभीर बीमारियां इस चरण में बेहद बड़े स्तर पर होती हैं.

संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में भुखमरी अधिक

वैश्विक स्तर पर युद्ध और संघर्ष एक बड़ी वजह हैं जिसके कारण बड़ी संख्या में लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं. रिपोर्ट बताती है कि 2022 के मुकाबले 2023 में 2 करोड़ 40 लाख अधिक लोगों ने भुखमरी का सामना किया. इसके पीछे सूडान और गाजा जैसे क्षेत्रों में खाद्य सुरक्षा में आई भारी गिरावट है.

रिपोर्ट कहती है कि जो देश युद्ध और संघर्ष से इस इस वक्त घिरे हुए हैं वहां भुखमरी के हालात अधिक गंभीर हैं.

दक्षिण सूडान में भी 79,000 लोग ऐसे हैं जो जल्द ही भुखमरी के पांचवे चरण में जाने वाले हैं. हैती में चल रहे संघर्ष के कारण खाद्य सुरक्षा का संकट पैदा होने की संभावना जताई गई है.

गाजा में भुखमरी के हालात गंभीर

संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट के मुताबिक गाजा में 11 लाख लोग ऐसे हैं जो इस साल जुलाई तक गंभीर भुखमरी के पांचवे चरण में पहुंच जाएंगे. बीते सात महीनों से हमास और इजरायल के बीच जारी लड़ाई के कारण गाजा में भुखमरी का संकट बढ़ता जा रहा है.

इससे पहले संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों और इंटिग्रेटेड फूड सिक्योरिटी फेज क्लासिफिकेशन की एक रिपोर्ट ने अनुमान लगाया था कि गाजा जल्द ही अकाल का सामना कर सकता है. अकाल की स्थिति तब घोषित की जाती है जब कम से कम 20 फीसदी आबादी खाने की गंभीर कमी से गुजर रही हो, हर तीन में से एक बच्चा कुपोषित हो और हर दिन 10,000 में से कम से कम दो लोगों की मौत भूख, कुपोषण या किसी बीमारी से हो.

मानवीय असफलता है यह रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र के सचिव अंटोनियो गुटेरेश ने इस रिपोर्ट को मानवीय असफलता कहा है. उन्होंने कहा कि एक ऐसी दुनिया जहां खाना भरपूर मात्रा में मौजूद है, वहां भूख के कारण बच्चों की मौत हो रही है.

गुटेरेश ने गाजा की स्थिति की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि इस इलाके में सबसे अधिक भुखमरी से प्रभावित लोग मौजूद हैं. वहीं सूडान के बारे में उन्होंने कहा कि सूडान में पिछले एक साल से जारी संघर्ष ने दुनिया में अब तक के सबसे बड़े आंतरिक विस्थापन की समस्या को जन्म दिया है, जिसका सीधा प्रभाव भुखमरी और कुपोषण के रूप में सामने आया है.

अल नीनो तूफान के कारण भी बढ़ी भुखमरी

जलवायु परिवर्तन भी भुखमरी को बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहा है.

अल नीनो 2024 में अपने चरम पर था जिसका सीधा प्रभाव खाद्य सुरक्षा पर पड़ा है. इसके कारण पूर्वी और दक्षिण अफ्रीका में कम बारिश और बाढ़ जैसे हालात पैदा हुए. खासकर जाम्बिया, जिम्बाब्वे और मलावी में इसका असर अधिक देखने को मिल रहा है.

अल नीनो दक्षिण अफ्रीका में आए भयंकर सूखे की एक बड़ी वजह रहा है. अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट के अनुसार इस सूखे के कारण इस इलाके में 2 करोड़ 40 लाख लोगों को भुखमरी, पानी की कमी और कुपोषण का सामना करना पड़ा.

फंडिंग की कमी एक बड़ी चुनौती

यूएन फूड प्रोग्राम के चीफ इकॉनमिस्ट आरिफ हुसैन ने कहा कि 2016 से हर साल खाद्य संकट से प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ रही है. अब यह आंकड़ा कोविड-19 के पहले के आंकड़ों के मुकाबले दोगुना हो गया है. उन्होंने यह भी बताया कि फिलहाल यह आंकड़ा 59 देशों का है लेकिन भविष्य में 73 देशों को इस रिपोर्ट में शामिल किए जाने का लक्ष्य है.

भुखमरी और कुपोषण के कारणों के बारे में बताती इस रिपोर्ट को लेकर गुटेरेश ने एक आपातकालीन प्रतिक्रिया की मांग की है. साथ ही कहा है, “इस क्षेत्र में जितनी जरूरत है उस हिसाब से फंडिंग नहीं हो रही है. हमारे पास फंडिंग होनी चाहिए और उस तक पहुंच भी”

आरआर/एनआर(एपी).

– India Samachar



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