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China using Tibetan Youths against India: पड़ोसी देश चीन भारत के खिलाफ हमेशा कुछ न कुछ खुराफात करता रहता है। ताकि उसके निकटवर्ती देश या तो मुश्किलों में घिर जाएं या मौका पाते ही उस पर वो धावा बोल दे। चीन की शी जिनपिंग सरकार ने भारत को कमजोर करने के मकसद से अपनी नीति में दो बड़े बदलाव किए हैं। इसमें पहला हर तिब्बती परिवार के एक सदस्य को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) में भेजना अनिवार्य कर दिया है और दूसरा हाल ही में एक तिब्बती महिला को चीन की एयर फोर्स पीपुल्स लिबरेशन आर्मी-एयर फोर्स (PLAAF) में फाइटर जेट का पायलट बनायाहै।

चीन ने ये दो बड़े बदलाव वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत के खिलाफ संभावित जंग को देखते हुए उठाया है। सामरिक विशेषज्ञों ने इस बात की आशंका जताई है कि निकट भविष्य में भारत और चीन के बीच हिमालय के अंदर LAC पर जंग के आसार बन सकते हैं। अगर कभी ऐसा हुआ, तो सीमा के दोनों ओर तिब्बती नागरिक ही एक-दूसरे के खिलाफ लड़ते नजर आ सकते हैं।

पिछले कुछ सालों से LAC पर भारत और चीन के बीच गतिरोध बना हुआ है। उसकी वजह से दोनों देशों के बीच के रिश्तों में भी तनातनी है। चीन ने अभी हाल ही में अरुणाचल के करीब 30 स्थानों का चीनी नाम प्रकाशित कर उसके चीनी होने का दावा पेश किया था लेकिन भारत ने उस पर चीन को करारा जवाब दिया था। उसके बाद से चीन खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। इतना ही नहीं भारत ने हाल ही में चीन के एक अन्य पड़ोसी देश फिलिपीन्स को दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस बेची है। चीन इनसे भी भुना हुआ है।

दरअसल, भारत हजारों तिब्बती शरणार्थियों और निर्वासित तिब्बती सरकार का घर है। तिब्ब्तियों के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा भी भारत में ही रहते हैं। इसलिए लाखों तिब्बतियों का भारत के प्रति स्वभाविक झुकाव रहा है और वे चीन के दमनकारी नीतियों का विरोध करते रहे हैं। इस बीच, चीन ने तिब्बत के विद्रोही और आंदलोनकारी युवकों की आवाज दबाने के लिए नए तरीके ईजाद किए हैं। इसी तरकीब के तहत चीन ने तिब्बती युवकों की PLA में भर्ती शुरू की है। इसके लिए अनिवार्य शर्त ये रखा गया है कि उन्हें एक कठिन
वफादारी परीक्षा से गुजरना होगा और चीनी मुख्य भाषा सीखनी होगी। इसके अलावा उन तिब्बती युवकों को यह लिखित में देना होगा कि वे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सर्वोच्चता को स्वीकार करते हैं। 

भारत और चीन के बीच संबंधों में आई गिरावट के बाद से ही भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इस बात को रेखांकित किया था कि चीन की सशस्त्र सेनाओं में तिब्बतियों की भर्ती में वृद्धि की जा रही है। भारतीय एजेंसियों ने इसे कठोर जलवायविक परिस्थितियों में हिमालयी सीमा पर अपनी स्थिति को मजबूत करने की चीन की एक कोशिश के रूप में देखा है। सरकारी अधिकारियों के हवाले से यूरिशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट में  कहा गया कि चीनी सेना ने तिब्बतियों के वफ़ादार परिवारों से एक-एक सदस्य को शामिल करने के लिए यह परियोजना इसलिए शुरू की है, ताकि उन्हें भारत के साथ LAC पर स्थायी रूप से तैनात किया जा सके।

चीन के सबसे बड़े अंग्रेजी पोर्टल चाइना डेली के मुताबिक, झिंजियांग क्षेत्र के लोखा शहर में जन्मी केलसांग पेड्रोन लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पहली तिब्बती महिला बन गई हैं। उसे फाइटर जेट का पायलट बनने के सपने को पूरा करने के लिए कठिन उड़ान परीक्षण के दौर से गुजरना पड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार, 23 वर्षीय केलसांग 2017 में बीजिंग तिब्बत मिडिल स्कूल में पढ़ रही थी, तभी उसने यह सपना देखा था।

– India Samachar



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