अमेरिका में कैलिफोर्निया का लॉस एंजेलिस शहर जल रहा है. शहर के कई हिस्से आग की ऊंची-ऊंची लपटों की जद में आकर खंडहर नजर आ रहे हैं. 12 हजार से ज्यादा घर जलकर खाक हो चुके हैं. 16 लोगों की मौत भी हो गई है. इस आग से 135 से 150 अरब डॉलर के बीच नुकसान होने का अंदाजा लगाया जा रहा है. इस घटना को अमेरिकी इतिहास की आग की सबसे बड़ी तबाही मानी जा रही है. आग ने अब तक 35 हजार एकड़ से अधिक क्षेत्र को अपनी जद में ले चुका है. आग पर काबू पाने के लिए अभी तक के सारे उपाय फीके नजर आ रहे हैं. आग पर काबू पाने के लिए सैकड़ों फायर सेफ्टी हेलीकॉप्टरों को लगाया गया है, लेकिन आग अपनी ही रफ्तार में आगे बढ़ती जा रही है. करीब 1.5 लाख से अधिक लोगों को रेस्क्यू किया गया है.
आग की इस भीषण घटना के लिए कुछ विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन को भी जिम्मेदार मान रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि कैलिफोर्निया पिछले करीब एक दशक से सूखा की मार झेल रहा था. दो साल पहले ही सूखे से मामूली राहत मिली है. सूखे की वजह से इन इलाकों में मौजूद पेड़ पौधे तेजी से सूखने लगे थे. अब ही सूखे पेड़ पौधे आग में घी डालने का काम कर रहे हैं. इसके अलावा यहां पिछले साल गर्मी बहुत ज्यादा पड़ी थी, लेकिन उसके बाद मानसून में यहां औसत से भी कम बारिश हुई. सर्दी में भी बारिश नहीं हुई.
सांता एना हवाओं ने आग को आग को भड़काया
आग की इस घटना को सांता एना हवाओं ने भड़काने का काम किया है. आमतौर पर ये हवाएं शुष्क होने के साथ-साथ शक्तिशाली भी होती हैं जो आमतौर पर पहाड़ों से दक्षिणी कैलिफोर्निया तट की ओर से चलती हैं. इस क्षेत्र में हर साल औसतन सांता एना हवा की लगभग 10-12 घटनाएं होती हैं. हवा जब शुष्क होती है तो ऐसी स्थिति में आग को और बल मिलता है और वो और भयानक रूप ले लेती है. लॉस एंजेलिस में भी यही हुआ. हवाओं की रफ्तार काफी तेज होने की वजह से आग शहर तक पहुंच गई.
इस बार खतरा इतना अधिक क्यों?
विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिणी कैलिफोर्निया में अब तक इतनी बारिश हो चुकी होती है कि पेड़ पौधों में काफी नमी आ गई होती है. नमी होने की वजह से पेड़-पौधे आसानी से जल नहीं पाते हैं जिसकी वजह से आग के फैलने की रफ्तार धीमी पड़ जाती है. कुछ साल पहले किए गए अध्ययन में पता चला है कि शरद ऋतु की नमी से सांता एना हवा से होने वाली आग का खतरा कम हो जाता है, लेकिन इस बार स्थिति बिल्कुल उलट रही. इस साल दक्षिणी कैलिफोर्निया में भीषण गर्मी पड़ी थी और बारिश नहीं होने की वजह से नमी भी कम ही रही. इसलिए आग पर काबू पानी इतना ज्यादा कठिन हो गया है.
2024 धरती का सबसे गर्म साल घोषित
दूसरी ओर यूरोपीय संघ के पृथ्वी निगरानी कार्यक्रम ‘कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा’ ने साल 2024 को धरती का अब तक का सबसे गर्म साल घोषित किया है. यह पहला कैलेंडर वर्ष था जिसमें वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर के मुकाबले 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक मापा गया. ऐसा तब हुआ है जब कैलिफोर्निया के लॉस एंजेलिस के जंगलों में लगी आग लगातार फैल रही है. वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण यह आपदा और भी बदतर हो गई है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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