Noida Desk :
देश में ‘महिला सशक्तिकरण’ और ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ जैसी योजनाएं लगातार शिक्षा में वृद्धि ला रही है, लेकिन अभी भी हमारे समाज में कुछ ऐसे वर्ग है जहां बेटियों को शिक्षा से वंचित रखा जाता है। आंकड़ों की बात की जाए तो ज्यादातर लोग बेटों को पढ़ने भेजते है। कई परिवारों में यह देखा गया है कि वह बेटों को तो प्राइवेट स्कूल में पढ़ने भेजते है पर बेटियों को सरकारी में भेज देते है। अब सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा से वंचित रह जाने वाली बच्चियों के हित में फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने एक आदेश में कहा कि बेटी को माता-पिता से शिक्षा प्राप्त करने के लिए धन पाने का वैध अधिकार है।
इस केस में लिया गया फैसला
जानकारी के अनुसार, माता-पिता को बेटी की शिक्षा के लिए वित्तीय संसाधनों की सीमा के भीतर आवश्यक धनराशि देने के लिए बाध्य किया जा सकता है। जस्टिस सूर्यकांत और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने 26 साल से अलग रह रहे एक दंपति के तलाक को मंजूरी देते हुए यह टिप्पणी की। दंपति की बेटी ने पिता की ओर से मां को दिए जा रहे गुजारा भत्ते के एक हिस्से के रूप में उसकी पढ़ाई के लिए 43 लाख रुपये लेने से इनकार कर दिया।
बेटी ने पैसे लेने से किया इनकार
बेटी आयरलैंड में पढ़ाई कर रही है। कोर्ट ने फैसले में कहा कि बेटी होने के नाते उसे माता-पिता से शिक्षा का खर्च लेने करने का कानूनी अधिकार है। हालांकि बेटी ने अपनी गरिमा बनाए रखने के लिए राशि लेने से इनकार कर दिया था। समझौते के अनुसार पत्नी और बेटी को पति 73 लाख रुपये देने पर सहमत हो गया था। इसमें से 43 लाख बेटी की शिक्षा और बाकी पत्नी के गुजारे के लिए था।
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सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
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