चीन ने पिछले 8 साल में भूटान का हिस्सा माने जाने वाले क्षेत्र में कम से कम 22 गांव और बस्तियां बसाने का काम किया है. हिंदुस्तान टाइम्स ने बुधवार को सैटेलाइट तस्वीरों के हवाले से जानकारी दी है कि इनमें से 8 गांव 2020 से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डोकलाम पठार के पास बनाए गए हैं.
रिपोर्ट के अनुसार यह 8 गांव भूटान के पश्चिमी सेक्टर में डोकलाम के करीबी रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण क्षेत्र के करीब या तो चीन की ओर से दावा की गई घाटी के अंदर या ऊपर की पहाड़ियों पर स्थित हैं. इनमें से कई गांव चीन की सैन्य चौकियों या ठिकानों के बेहद करीब स्थित हैं.
भूटान सीमा पर अतिक्रमण, भारत के लिए टेंशन क्यों?
डोकलाम के पास चीन का निर्माण भारत के लिए सुरक्षा संबंधी चिंताएं पैदा करता है, क्योंकि यह क्षेत्र सिलीगुड़ी कॉरिडोर के नज़दीक है, जिसे ‘चिकन नेक’ के नाम से भी जाना जाता है. चिकन नेक, ज़मीन का एक संकरा हिस्सा है जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है. इस कॉरिडोर का भारत के लिए रणनीतिक महत्व है, क्योंकि चीन भूटान की सीमाओं के पास अपने अतिक्रमण का विस्तार कर रहा है, ताकि ज़मीन के इस संकरे हिस्से पर अपना प्रभाव जमा सके. इसकी कमज़ोरी भारत के पूर्वी क्षेत्र में चीन की मज़बूती है. डोकलाम के आसपास 2017 की घटनाओं के बाद इस कॉरिडोर की सुरक्षा भारत के लिए एक बड़ी चिंता बन गई.
2017 में डोकलाम को लेकर भारत और चीन के बीच करीब 73 दिनों तक सैन्य तनाव बरकरार रहा. उस दौरान भारत ने चीन को इस क्षेत्र में सड़क निर्माण से रोका था, इस सड़क के जरिए चीन को पठार के दक्षिणी क्षेत्र तक पहुंच मिल सकती थी. लंबे तनाव के बाद दोनों देशों की सेना विवाद वाले स्थान से पीछे हटने को तैयार हो गईं लेकिन हाल के वर्षों में चीन ने डोकलाम के आसपास भूटान वाले क्षेत्र में निर्माण कार्य तेज कर दिए हैं. हालांकि भूटान ने अपने सीमा क्षेत्र में चीन की उपस्थिति से इनकार किया है, लेकिन डोकलाम के करीब चीन का ये अतिक्रमण भारत की टेंशन बढ़ा सकता है.
भूटान के कितने हिस्से पर चीन का अतिक्रमण?
रिपोर्ट के अनुसार, इन 22 गांव में से पर्यवेक्षकों और शोधकर्ताओं की ओर से पहचाना गया सबसे बड़ा गांव जीवू है, जिसका निर्माण पारंपरिक तौर पर भूटान के पस्तूरलैंड जिसे शेथांगखा के नाम से जाना जाता है, पर किया गया है. यह क्षेत्र भी भूटान के वेस्टर्न सेक्टर का हिस्सा है.
2016 से चीन ने पारंपरिक तौर पर भूटान का हिस्सा माने जाने वाली जमीन पर गांव बसाना शुरू किया था. अब तक वह यहां 22 गांव और बस्तियां बसा चुका है. जिसमें 2284 रिहाइशी घर बनाए गए हैं, जहां करीब 7 हजार लोगों को भूटान के इस निर्जन इलाके में रिलोकेट किया गया है. यह जानकारी हिंदुस्तान टाइम्स ने स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (SOAS) के एक शोध सहयोगी रॉबर्ट बार्नेट द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन का हवाला देते हुए दी है.
‘दबावपूर्ण कूटनीति: भूटान में चीन के क्रॉस बॉर्डर गांव’ टाइटल वाली एक रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन ने करीब 825 स्क्वायर किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है जो पहले भूटान की सीमा के अंतर्गत था. यानी चीन अब तक भूटान के करीब 2 फीसदी क्षेत्रफल को कब्जा चुका है. इसके अलावा चीन ने इस क्षेत्र में अस्पष्ट संख्या में अधिकारियों, कंस्ट्रक्शन वर्कर्स, बॉर्डर पुलिस और सैन्य जवानों को इन बस्तियों में भेजा है जो कि सड़क के जरिए चीन के शहरों व कस्बों से जुड़े हुए हैं.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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