रूस-यूक्रेन की जंग में NATO देश आग में घी डालने का काम कर रहे हैं. पुतिन की परमाणु चेतावनी को दरकिनार कर एक के बाद एक नाटो के 3 सदस्य देशों ने यूक्रेन को लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है. जबकि पुतिन ने पहले ही कहा था कि अगर उनके देश में NATO के सदस्य देशों की मिसाइलें गिरीं तो वह इसे पूरे नाटो का हमला मानेंगे.
रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक मदद मुहैया कराने वाले NATO के सदस्य देश अब इस लड़ाई को भड़काने की भूमिका में नजर आ रहे हैं. अमेरिका में तो नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बड़े बेटे ट्रंप जूनियर ने ही बाइडेन प्रशासन के फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे तीसरा विश्व युद्ध करवाने की कोशिश करार दिया था.अमेरिका के बाद पहले ब्रिटेन और अब फ्रांस ने भी यूक्रेन को अपनी लंबी दूरी वाली ‘स्कैल्प मिसाइल’ के रूस के खिलाफ इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है.
फ्रांस के लिए कोई रेड लाइन नहीं- बैरोट
फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरोट ने बीबीसी से बातचीत में बताया है कि यूक्रेन ‘आत्मरक्षा के तर्क’ के तहत रूस में फ्रांसीसी लंबी दूरी की मिसाइलें दाग सकता है. बैरोट ने कहा है कि यूक्रेन के समर्थन के लिए फ्रांस कोई ‘रेड लाइन’ बनाने का विचार नहीं रखता है. वहीं ग्राउंड फोर्स की तैनाती की संभावना वाले सवाल पर भी उन्होंने इनकार नहीं किया है.
बैरोट ने कहा है कि हम किसी भी विकल्प को खारिज नहीं कर सकते, हम यूक्रेन की तीव्रता से मदद करते रहेंगे जब तक यह जरूरी है, क्योंकि इस जंग में सुरक्षा दांव पर है. उन्होंने कहा कि हर बार जब रूस की सेना एक किलोमीटर स्क्वायर आगे बढ़ती है तो खतरा यूरोप भी ओर भी बढ़ता जाता है.
फैसला यूक्रेन के लिए मौत की घंटी- रूस
वहीं रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने स्टेट मीडिया से बातचीत में कहा है कि फ्रांस का ये कदम यूक्रेन के लिए मदद नहीं है बल्कि यह यूक्रेन के लिए मौत की घंटी है. बता दें कि रूस लगातार पश्चिमी देशों को इस कदम के लिए चेतावनी दे रहा है.
इससे पहले जब अमेरिका ने ATACMS मिसाइलों के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी तो पुतिन ने बड़ी जवाबी कार्रवाई करते हुए रूस के न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन में बदलाव कर दिया था. इस नए न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन के मुताबिक, अगर किसी न्यूक्लियर पावर देश के समर्थन से रूस पर हमला होता है तो वह इस स्थिति में न्यूक्लियर हथियार के इस्तेमाल पर विचार कर सकता है.
कितनी खतरनाक है स्कैल्प मिसाइल?
फ्रांसीसी स्कैल्प मिसाइलें ब्रिटेन की स्टॉर्म शैडो मिसाइलों जैसी ही हैं, यह लंबी दूरी की मिसाइल है जिसे हवा से हवा और हवा से जमीन में मार करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसका वजन करीब 1300 किलोग्राम का होता है. 16.9 फीट लंबी मिसाइल में करीब 450 किलोग्राम का वॉरहेड लगता है. इसकी चौड़ाई 25 इंच और ऊंचाई 19 इंच होती है. स्कैल्प मिसाइल की गति करीब 1200 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है और इसकी रेंज 550 किलोमीटर है.
क्या रूस को उकसा रहे हैं NATO देश?
इससे पहले यूक्रेन को अमेरिका ने लंबी दूरी वाली ATACMS मिसाइल के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी, पेंटागन के इस फैसले के बाद ब्रिटेन ने भी यूक्रेन को स्टॉर्म शैडो मिसाइल के इस्तेमाल की हरी झंडी दे दी. करीब एक हफ्ते पहले ही मिली मंजूरी के बाद यूक्रेन ने रूस पर 6 ATACMS और दो स्टॉर्म शैडो मिसाइल दागी, लेकिन रूस ने इन सभी मिसाइलों को मार गिराया. वहीं फ्रांस की मंजूरी के बाद यूक्रेन स्कैल्प मिसाइलों का इस्तेमाल भी रूस के खिलाफ कर सकता है.
ऐसे में अब देखना होगा कि रूस का रुख क्या होता है, क्योंकि बीते हफ्ते ही रूस ने यूक्रेन पर इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइल से हमला किया था, हालांकि अल-जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार इस मिसाइल में वॉरहेड नहीं था. माना जा रहा है कि यह मिसाइल हमला यूक्रेन और अमेरिका समेत उसके तमाम सहयोगियों को संदेश देने के लिए किया गया था.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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