अमेरिका के नए राष्ट्रपति के तौर पर डोनाल्ड ट्रंप का दूसरा कार्यकाल 20 जनवरी 2025 से शुरू होगा. जाहिर सी बात है कि व्हाइट हाउस में वो अमेरिका के लोगों के वोट के दम पर पहुंच रहे हैं, तो उन पर वोटरों से किया वादा करने का दबाव रहेगा. अमेरिकी वोटरों का वही दबाव दुनिया में बहुत कुछ बदल देगा. खासकर, आर्थिक, रणनीतिक और कूटनीतिक मोर्चों पर. कूटनीति और रणनीति के मोर्चे पर ट्रंप क्या करने वाले हैं, इसका इशारा उन्होंने जीत के बाद अपने पहले भाषण में कर दिया. लोगों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा कि मैं युद्ध रोकने जा रहा हूं, अब कोई जंग नहीं होने देंगे. उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि हमने चार साल में कोई जंग नहीं लड़ी. हालांकि ISIS को हराया था.
ट्रंप के इस भाषण के कुछ देर बाद ही यूक्रेन के आर्मी चीफ ने ऐलान किया कि वो रूस के क्षेत्र से अपनी सेना का वापस बुलाएंगे. यूक्रेन के एक सांसद के जरिए ये जानकारी सामने आई. जानकार यूक्रेन के इस कदम को रूस से जंग खत्म करने के लिए पहला स्टेप मान रहे हैं. यूक्रेन ने रूस के जिस क्षेत्र से सेना को वापस बुलाने का ऐलान किया है वो कुर्स्क है. यूक्रेन का दावा है कि कुर्स्क क्षेत्र में रूस ने तीन महीने में 20 हजार से अधिक कर्मियों को खो दिया है. कुर्स्क वो क्षेत्र है जहां पर हाल में उत्तर कोरिया के सैनिक भी रूस के समर्थन में उतरना था. 4 नवंबर को अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा था, कुर्स्क क्षेत्र में लगभग 10,000 उत्तर कोरियाई सैनिक युद्ध अभियान में शामिल हो सकते हैं. उसी दिन यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा था कि कुर्स्क क्षेत्र में 11,000 उत्तर कोरियाई सैनिक पहले से ही मौजूद हैं.
31 महीने से चल रही है जंग
रूस और यूक्रेन के बीच जंग 24 फरवरी, 2022 से चल रही है. यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के साथ जंग की शुरुआत हुई थी. इस युद्ध को 31 महीने हो गए हैं. ट्रंप यूक्रेन पर रूस के हमले के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन पर ठीकरा फोड़ कर चुनाव जीते हैं. इसके अलावा वह NATO पर भी निशाना साधते रहे हैं.
नाटो का सदस्य होने के नाते इसके अन्य सदस्यों की मदद के लिए आगे आना अमेरिका का दायित्व है. नाटो के अनुच्छेद 5 के अनुसार यदि कोई देश किसी नाटो सदस्य पर हमला करता है तो वह सभी सदस्यों पर हमला माना जाता है. अमेरिका ने जापान और दक्षिण कोरिया के साथ भी ऐसी ही संधियां कर रखी हैं. अमेरिका के नेतृत्व में नाटो ने रूस से जारी युद्ध में यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक सहायता प्रदान की है.
यूक्रेन को मिलने वाली मदद में आएगी कमी!
इसके विपरीत ट्रंप ने संकेत दिया है कि वह यूक्रेन को दी जा रही मदद रोक देंगे और कीव पर दबाव बनाएंगे कि वह रूस की शर्तों के अनुसार शांति प्रक्रिया अपनाए. ट्रंप बड़े-बड़े संगठनों को ताकत व प्रभाव दिखाने के मंच के रूप में देखने के बजाय खतरे की वजह और बोझ मानते हैं.
माना जा रहा है कि यूक्रेन को अमेरिका से मिलने वाली मदद में कमी आ सकती है. NATO को ये डर पहले से रहा है कि अगर ट्रंप जीते, तो अमेरिका से NATO को मिलने वाले बजट में बड़े पैमाने पर कटौती होगी.
ट्रंप की जीत के बाद NATO में शामिल यूरोपीय देशों पर दबाव बढ़ेगा. 32 में से 9 देशों के लिए मुश्किल हो सकती है, जो अपनी GDP का 2 प्रतिशत NATO में खर्च नहीं करते. ट्रंप जर्मनी से अपनी 12000 सैनिकों की फोर्स हटाने पर विचार कर सकते हैं. ट्रंप जर्मनी में अपना मिलिट्री बेस दूसरी जगह शिफ्ट कर सकते हैं. ट्रंप जर्मनी से अपना आर्टिलरी बेस भी हटा सकते हैं.
युद्ध कैसे खत्म कराएंगे ट्रंप?
ट्रंप यूक्रेन को मिलने वाली मदद में कटौती कर सकते हैं
ट्रंप यूक्रेन को सैन्य-आर्थिक मदद की आलोचना करते रहे हैं
ट्रंप ने जेलेंस्की को एक शानदार ‘सेल्समैन’ बताया था
क्या हो सकता है ट्रंप का समाधान?
यूक्रेन के 65400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर रूस का कब्जा
क्रीमिया, लुहांस्क, जेपोरिजिया, डोनेस्क, खेरसोन पर कब्जा
ट्रंप जीते हुए इलाके का कुछ हिस्सा रूस को दे सकते हैं
जीते हुए इलाके के कुछ हिस्से पुतिन छोड़ने पर सहमत हो सकते हैं
जेलेंस्की पर दबाव?
चुनाव जीतने से पहले ट्रंप ने दावा किया था वह रूस-यूक्रेन युद्ध को शीघ्र समाप्त कर सकते हैं. ऐसे में जेलेंस्की के लिए यह संकटपूर्ण हो सकता है, क्योंकि ट्रंप रूस के साथ समझौता करने के लिए दबाव डाल सकते हैं. यूक्रेन पर युद्ध समाप्ति के लिए जेलेंस्की पर रियायतें देने का दबाव बढ़ सकता है. रूस और अमेरिका के संबंधों में संभावित सुधार के चलते युद्ध के समीकरण बदल सकते हैं और ऐसे में यूक्रेन को युद्ध विराम के लिए समझौता करना पड़ सकता है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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