1
अग्रसेन भवन, लोहामंडी में चल रही श्रीराम कथा के चतुर्थ दिवस हुआ सीता−राम विवाह प्रसंग
श्रीप्रेमनिधि जी मंदिर न्यास ने आयोजित की है सात दिवसीय श्रीराम कथा
गुरुवार को होंगे कोप भवन, वनवास प्रसंग, सैंकड़ों भक्त कर रहे कथा का रसपान
प्रतिदिन दोपहर 3 बजे से हो रही कथा, आनंदमय भजन एवं आदर्श सीख का मिल रहा लाभ
आगरा। जैसा नाम होगा वैसा ही कर्म होगा, जब नाम सृष्टि की समस्त शक्ति समेटे राम का होगा तो गुण भी उन्हीं शक्तियों के ही आएंगे। भगवान नाम यूं राम नहीं हुआ। रा और म में ब्रह्मांड की समस्त शक्ति निहित हैं। भगवान राम सहित चारों भाइयों के नामकरण संस्कार से लेकर विवाह प्रसंग का बखान श्रीराम कथा के चौथे दिन कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज द्वारा किया गया।
लोहामंडी स्थित अग्रसेन भवन में श्रीप्रेमनिधि मंदिर न्यास द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के चतुर्थ दिवस का शुभारंभ व्यास पूजन के साथ हुआ। मुख्य यजमान सुमन− ब्रजेश सूतैल एवं दैनिक यजमान मनीषा−मनीष गोयल के साथ एमएलसी विजय शिवहरे, श्रीप्रेमनिधि मंदिर के मुख्य सेवायत हरिमोहन गोस्वामी, सुनीत गोस्वामी, मंदिर प्रशासक दिनेश पचौरी ने व्यास पूजन किया।
कथा प्रसंग में व्यास जी ने कागभुशुण्डी जी के बारे में बताया। कहा कि दुनिया भर के कौए गंदगी में वास करते हैं परन्तु कागभुशुण्डीजी ने भगवान के जन्म के उपरान्त निराहार रहकर अवध में पांच वर्ष तक वास किया। राजा दशरथ के महल की मुंढेर पर बैठ भगवान की बाल लीलाओं के दर्शन कर जीवन धन्य करते हुए भगवान की झूठन ग्रहण की। आगे की बाल लीला में भगवान श्रीराम के धूल में खेलने और राजा दशरथ के कहने पर माता कौशिल्या द्वारा धूलधूसरित प्रभू को उठाकर दशरथ जी के गोद में डालने का सुन्दर चित्रण किया गया। साथ ही जीवन में 16 संस्कारों के महत्व पर कथा व्यास ने चर्चा करते हुए नामकरण संस्कार पर जोर दिया। कहा कि यही संस्कार किसी भी बालक के व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होता है। नाम ही मनुष्य का भाग्य भविष्य तय करता है। नाम भी राशि और ग्रह नक्षत्र के आधार पर होना चाहिए।व्यास जी ने भगवान श्रीराम द्वारा धनुष भंग, परशुराम, लक्ष्मण संवाद एवं सीता श्रीराम विवाह के रोचक प्रसंगों से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कहा कि जब विश्वामित्र ने सम्पूर्ण उत्तर भारत को दुष्टजनों से श्रीराम द्वारा मुक्त करा लिया एवं सभी ऋषि वैज्ञानिकों के यज्ञ सुचारू रूप से होने लगे तो विश्वामित्र श्रीराम को जनकपुरी की ओर ले गये जहां पर सीता स्वयंवर चल रहा था। सीता स्वयंवर में जब कोई राजा धनुष को नहीं तोड़ पा रहा था तो श्रीराम ने विश्वामित्र की आज्ञा पाकर धनुष को तोड़ दिया जिसका अर्थ पूरे विश्व में दुष्टों को सावधान करना था कि अब कोई चाहे कितना भी शक्तिशाली राक्षस वृत्ति का व्यक्ति हो यह जीवित नहीं बचेगा।
धनुष टूटने का पता चलने पर परशुराम का स्वयंवर सभा में आना एवं श्रीराम लक्ष्मण से तर्क वितर्क करके संतुष्ट होना कि श्रीराम पूरे विश्व का कल्याण करने में सक्षम हैं स्वयं अपने आराध्य के प्रति भक्ति में लीन हो गये एवं समाज की जिम्मेदारी जो परशुराम ने ले रखी थी जिससे कि दुष्ट राजाओं को भय था परशुराम ने वह सामाजिक जिम्मेदारी श्री राम को सौंप दी एवं स्वयं भक्ति में लीन हो गये।कथा व्यास ने आगे कहा कि हर कण में भगवान का वास है। यदि ये आत्मसात करते हुए समाज संगठित होकर दीन-दुखियों, वनवासियों, आदिवासियों के कष्ट दूर करता है तो राम राज स्वतः पुनः स्थापित हो सकता है। अंतिम पंक्ति पर खड़े व्यक्ति का विकास और खुशहाली ही राम राज की परिभाषा है।राजा जनक द्वारा राजा दशरथ जी को बारात लाने का जैसे ही न्यौता मिला परिसर में मंगल गान होने लगा। अवध नगरी बना अग्रसेन भवन जनकपुरी सा लगने लगा और उपस्थित श्रद्धालु मंगल विवाह की उमंग में डूब देर शाम तक नाचते रहे।
कथा प्रसंग में पांचवे दिन गुरुवार को कोप भवन, वनवास लीला आदि प्रसंग होंगे। इस अवसर पर सीमा पचौरी, डॉ मंजू गुप्ता, साधना अग्रवाल , सविता अग्रवाल, राजेश खण्डेलवाल, आरएसएस से ईश्वर, सतीश, प्रदीप, पवन अग्रवाल, राधा पचौरी, मोहित वशिष्ठ, प्रकाश धाकड़, आनंद धाकड़, मनोज धाकड़, शिवम् शिवा , सचेन्द्र शर्मा, सागर शिवहरे, रामबाबू गुप्ता, स्वास्तिक हैंडराइटिंग वेलफेयर ट्रस्ट से रुचि सिंघल, एकता आदि उपस्थित रहीं।
Like this:Like Loading…
Copyright Disclaimer :- Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
यह पोस्ट सबसे पहले मून ब्रेकिं डॉट कॉम पर प्रकाशित हुआ ,हमने मून ब्रेकिं डॉट कॉम के सोंजन्य से आरएसएस फीड से इसको रिपब्लिश करा है, साथ में मून ब्रेकिं डॉट कॉम का सोर्स लिंक दिया जा रहा है आप चाहें तो सोर्स लिंक से भी आर्टिकल पढ़ सकतें हैं
The post appeared first on मून ब्रेकिंग डॉट कॉमSource link