उत्तराखंड राज्य पुलिस महानिदेशक के नाम पर 10 लाख रुपए ऐंठने वाले को देहरादून पुलिस ने 24 घंटे के भीतर गिरफ्तार करके सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है. बात चूंकि राज्य के पुलिस मुखिया के नाम पर ठगी की थी. बात भी सीधे पुलिस महानिदेशक के कानों तक पहुंचा दी गई थी. तो जिला पुलिस भी भला आरोपी की गिरफ्तारी में कैसे न-नुकूर कर सकती थी. गिरफ्तारी तो देर सवेर होनी ही थी. जो मुलजिम बीते करीब डेढ़ साल से पीड़ितों को बहला-फुसलाकर आगे बढ़ाए जा रहा था, उसकी गिरफ्तारी 24 घंटे में कर लिए जाने पर शिकायतकर्ता भी हैरत में है.
ठगी के लिए सूबे पुलिस प्रमुख का ही नाम इस्तेमाल करने वाले महाठग का नाम दौलत सिंह कुंवर है. मुकदमे के आदेश चूंकि खुद डीजीपी ने दिए थे सो देहरादून जिला पुलिस मुकदमा दर्ज करने से लेकर आरोपी की गिरफ्तारी होने तक चैन की सांस नहीं ली. यही ठगी किसी आम आदमी के साथ हुई होती तो शायद पीड़ित को, 10 लाख की वापसी की बात तो दूर की रही, मुकदमा दर्ज कराने तक में पसीना आ गया होता. इस बावत सोमवार को सतीश कुमार निवासी ढकरानी, विकास नगर, देहरादून की ने सहयोगी संजय सिंह कटारिया के साथ मिलकर शिकायत डीजीपी को दी थी.
24 घंटे के भीतर गिरफ्तार हुआ मुलजिम
डीजीपी ने थाना प्रेम नगर में मुकदमा दर्ज करके आरोपियों को गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया. बात चूंकि डीजीपी के नाम पर 10 लाख ठग लिए जाने की थी सो, देहरादून पुलिस को पसीना आ गया. मामला दर्ज करके एक अदद मुलजिम की गिरफ्तारी के लिए कई टीमें गठित कर डाली गई हैं. इन पुलिस टीमों में पुलिस अधीक्षक ग्रामीण (देहरादून) के दिशा- निर्देशन में क्षेत्राधिकारी विकासनगर व प्रभारी निरीक्षक कोतवाली विकासनगर के साथ वरिष्ठ उप निरीक्षक भुवन चन्द्र पुजारी को भी शामिल किया गया था. इन टीमों ने नामजद दो मुलजिमों में से एक दौलत सिंह कुंवर को मुकदमा दर्ज करने के 24 घंटे के भीतर ही गिरफ्तार कर लिया.
बाप-बेटे ने डोनेशन देने की आड़ में की ठगी
नामजद मुकदमे में दर्ज दूसरा आरोपी शिवम अभी पुलिस के हाथ नहीं लगा है. शिवम, गिरफ्तार हुए आरोपी दौलत सिंह कुंवर का बेटा है. दोनों ठग पिता-पुत्र केसरी बिहारस वार्ड-11, विकास नगर देहरादून के ही निवासी है. देहरादून जिला पुलिस मुख्यालय से हासिल जानकारी के मुताबिक, पिता-पुत्र ने डोनेशन देने की आड़ में राज्य के पुलिस महानिदेशक के नाम पर इस ठगी को अंजाम दिया था.
मुकदमे के शिकायतकर्ता को धमकाया गया था कि अगर उन्होंने 10 लाख की रकम नहीं दी तो, आरोपी पीड़ित को उम्रभर के लिए जेल में बंद करवा देंगे. यह 10 लाख रुपए अलग अलग दिनों में वसूले गए थे. जब रुपए वापस मांगे जाते तो आरोपी पिता-पुत्र पीड़ितों को जान से मारने की धमकी देने लगते थे. इस सम्बन्ध मे कोतवाली विकासनगर में धारा 420/389/504/506/120 (बी) भादवि का अभियोग पंजीकृत किया गया.
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