भगवान सूर्य देव के उत्तरायण होने के पर्व मकर संक्रांति पर धार्मिक नागरिक उज्जैन में मंगलवार को वैसे तो कई धार्मिक आयोजन हुए, लेकिन देवास रोड स्थित पुलिस सामुदायिक भवन पर आज एक ऐसा आयोजन हुआ, जिसमें तीन दिनों तक हुए भव्य आयोजन के बाद लक्ष्मी और नारायण के फेरे हुए और फिर लक्ष्मी (गाय) नारायण (नंदी) की हो गई.
उज्जैन में (गाय) लक्ष्मी और (नंदी) नारायण का विवाह उत्सव धूमधाम से मनाया गया. वैसे तो इस विवाह समारोह को पिछले तीन दिनों से धूमधाम से मनाया जा रहा था, लेकिन आज मकर संक्रांति के महासंयोग पर बैल नारायण की बारात गया लक्ष्मी के द्वार पर पहुंची, जहां बारातियों के स्वागत के साथ ही धूमधाम से यह विवाह समारोह संपन्न हुआ.
3 साल पहले हुआ था ‘लक्ष्मी’ का जन्म
पूरे आयोजन की जानकारी देते हुए आयोजनकर्ता अभिषेक बैरागी ने बताया कि तीन वर्षों पूर्व उनके घर लक्ष्मी नाम की गाय का जन्म हुआ था. यह गाय शुरुआत से ही सभी की लाडली थी. यही कारण है कि धूमधाम से इसका विवाह समारोह आयोजित किया गया.
विवाह समारोह की शुरुआत दो दिनों पूर्व से हुई थी, जिसके अंतर्गत हल्दी, मेहंदी, मंडप, माता पूजन से लेकर हर वह रस्म निभाई गई, जो कि एक शादी समारोह के दौरान होती है. मकर संक्रांति पर देवास रोड स्थित पुलिस सामुदायिक भवन में शादियों की तरह ही प्रकाश भैया इंदौर गेट वाले के द्वारा नारायण (नंदी) की बारात धूमधाम से लाई गई.
इस बारात में आगे-आगे डीजे की धुन पर बाराती नाच रहे थे तो वहीं पीछे नारायण सज धजकर अपनी दुल्हन को लेने पहुंचा था. शादी समारोह में बारातियों का जमकर स्वागत किया गया. इसके बाद शादी की अन्य रस्म लग्न व फेरे करवाए गए. इस शादी समारोह में आचार्यों की उपस्थिति में यह विवाह संपन्न हुआ.
बचपन से पाला था इसीलिए धूमधाम से की लक्ष्मी की शादी
इस विवाह समारोह को धूमधाम से करने वाली आयोजनकर्ता पूजा बैरागी ने बताया कि हमारा पूरा परिवार लक्ष्मी गाय से प्रेम स्नेह करता है. लक्ष्मी का विवाह भी धूमधाम से हो, ऐसी हमारी आशा थी. इसीलिए हमने तीन दिनों तक इस विवाह समारोह को धूमधाम से आयोजित किया. समारोह के दौरान माता पूजन, हल्दी, मेहंदी, हवन, गणेश पूजन के साथ अन्य आयोजन धूमधाम से किए गए. इस विवाह उत्सव को वृषभोत्सव नाम दिया गया था.
धर्म लाभ अर्जित करने पहुंचे सैकड़ों लोग
यह आयोजन इतना भव्य और दिव्य था कि मकर संक्रांति पर इस आयोजन में बड़ी संख्या में धर्मालुजन शामिल हुए थे, जिन्होंने इस आयोजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. कोई बारातियों का स्वागत करता दिखाई दिया तो किसी ने दुल्हन पक्ष की ओर से जिम्मेदारी संभाली. शादी के दौरान बड़ी संख्या में महिलाओं ने गौ माता को दहेज और उपहार भी दिए.
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