Delhi Assembly Elections 2025
दिल्ली में विधानसभा चुनाव को लेकर एक भी फिर से सियासी जंग शुरू हो चुकी है. मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार हैं. सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) को भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिल रही है. दिल्ली में अब तक 7 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, और इस दौरान कई मुकाबले बेहद दिलचस्प रहे हैं. यहां 2 मुकाबले ऐसे भी रहे जिसमें हार-जीत का अंतर 50 से भी कम वोटों का रहा था.
अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी के गठन और फिर सियासी मैदान में उतरने के फैसले से दिल्ली में चुनाव द्विपक्षीय से त्रिकोणीय हो गया. 2013 में AAP पहली बार मैदान में उतरी तो 28 सीट झटक लिए जिससे यहां पर त्रिशंकु विधानसभा हो गया. कार्यकाल लंबा नहीं चला. ऐसे में 2015 की शुरुआत में हुए अगले चुनाव में AAP को 70 में से 67 सीटें मिली. 2020 में भी यही सिलसिला जारी रहा और उसने 62 सीटों पर जीत के साथ सत्ता पर पकड़ बनाए रखी.
दिल्ली के 2 मुकाबले बेहद कड़े
राजधानी दिल्ली के 32 साल लंबे सियासी सफर के दौरान कई मुकाबले ऐसे रहे जो अपने परिणामों की वजह से जाने गए. अब तक के 7 चुनावों में 2 मुकाबले ऐसे भी रहे जहां हार-जीत का अंतर 50 से भी कम वोटों का रहा. बड़ी बात यह रही कि ये दोनों मुकाबले AAP के आने से पहले के रहे हैं.
दिल्ली चुनाव के 5 सबसे नजदीकी मुकाबले | |||||
क्रम | साल | सीट | हार का अंतर | विजयी | पार्टी |
1 | 1993 | आदर्श नगर | 40 वोट | जय प्रकाश यादव | बीजेपी |
2 | 2008 | राजौरी गार्डन | 46 वोट | दयानंद चंडीला | कांग्रेस |
3 | 2003 | साकेत | 121 वोट | विजय जॉली | बीजेपी |
4 | 1998 | रोहतास नगर | 167 वोट | राधेश्याम | कांग्रेस |
5 | 2013 | आरके पुरम | 326 वोट | अनिल कुमार शर्मा | बीजेपी |
साल 2020 के विधानसभा चुनाव में AAP ने एकतरफा प्रदर्शन करते हुए 62 सीटों पर कब्जा जमा लिया था. बीजेपी ने 2015 के प्रदर्शन से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 8 सीटों पर जीत हासिल की. यहां खास बात यह रही कि इस चुनाव में सबसे संघर्षपूर्ण मुकाबला बिजवासन विधानसभा सीट पर हुआ था. जहां पर हार-जीत का अंतर 753 वोटों का था. AAP के भूपिंदर सिंह जून ने बीजेपी के सतप्रकाश राणा को 753 वोटों से हराया था.
2015 का चुनाव रहा सबसे आसान
इसी तरह 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान कहीं पर भी बेहद नजदीकी मुकाबला नहीं दिखा. साउथ वेस्ट दिल्ली में पड़ने वाली नजफगढ़ विधानसभा सीट इस चुनाव की सबसे कांटेदार सीट रही. यहां पर हार-जीत का अंतर 1,555 वोटों का रहा था. AAP के कैलाश गहलोत ने इंडियन नेशनल लोकदल के भरत सिंह को हराया था. बीजेपी तीसरे नंबर पर रही थी.
बात अगर दिल्ली के पिछले सातों चुनावों की करें तो अब तक कई ऐसे मुकाबले हुए हैं जहां आखिरी दौर की मतगणना के बाद भी चुनाव परिणाम को लेकर सभी की नजरें लगी रहीं. जिसमें 4 सीटों पर हार-जीत का अंतर 200 से भी कम वोटों का रहा और इसमें 2 सीटों पर परिणाम 50 से भी कम वोटों के अंतर से आया.
1993 में अब तक का नजदीकी मुकाबला
दिल्ली के इतिहास के सबसे नजदीकी मुकाबले का रिकॉर्ड साल 1993 में बना था. तब यहां की आदर्श नगर विधानसभा सीट पर महज 40 वोटों के अंतर से जीत मिली थी. नॉर्थ दिल्ली में आने वाली आदर्श नगर सीट पर बीजेपी के जय प्रकाश यादव ने कड़े संघर्ष में कांग्रेस मंगत राम सिंघल को हराया था. जय प्रकाश को 17,020 वोट मिले थे जबकि मंगत राम के खाते में 16,980 वोट आए थे.
दूसरा सबसे नजदीकी मुकाबला साल 2008 में हुआ था. तब वेस्ट दिल्ली में पड़ने वाली राजौरी गार्डन विधानसभा सीट पर बेहद कड़े मुकाबले में महज 46 वोटों से जीत मिली थी. कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे दयानंद चंडीला ने शिरोमणि अकाली दल (A) के प्रत्याशी अवतार सिंह को हराया था.
कड़े मुकाबले में जीते BJPके विजय जॉली
तीसरे सबसे नजदीकी हार का परिणाम साल 2003 के चुनाव में आया. यहां की तब की साकेत विधानसभा सीट पर 121 मतों के अंतर से परिणाम निकला था. बीजेपी के विजय जॉली ने कांग्रेस के रोहित मनचंदा को हराया था.
दिल्ली में चौथा सबसे नजदीकी मुकाबला साल 1998 में हुआ था. तब यहां की रोहतास नगर विधानसभा सीट पर हार-जीत का अंतर महज 167 वोटों का रहा. कांग्रेस के राधेश्याम खन्ना ने बीजेपी के आलोक कुमार को संघर्षपूर्ण मुकाबले में हराया था.
– India Samachar
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