Noida News :
नोएडा में इवेंट कंपनी चलाने वाले एक शख्स को काफी जद्दोजहद के बाद इंसाफ मिला है। इस दौरान पीड़ित को फर्जी मुकदमे में जेल भी जाना पड़ा। जब पीड़ित जेल से बाहर आया तो उस पर फिर एक फर्जी मुकदमा दर्ज करा दिया गया था। जब पुलिस ने सही से इस पूरे मामले की जांच की तो यह केस फर्जी निकला। जिसके बाद पुलिस ने केस में अंतिम रिपोर्ट लगाकर कोर्ट में पेश कर दी। पीड़ित का दावा है कि आरोपी ने उसकी बेल को कैंसिल कराने के लिए थाना सेक्टर-39 में फर्जी मुकदमा दर्ज कराया था। लेकिन इस बार भगवान ने उसे बचा लिया।
जानिए पूरा मामला
ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित एवेन्यू गौर सिटी सोसायटी में संजय कुमार सिंह परिवार के साथ रहते हैं। वह इंवेट कंपनी चलाते हैं। संजय ने बताया कि उनके खिलाफ दिल्ली के लाजपत नगर निवासी अजय राजपाल ने थाना सेक्टर-39 में धोखाधड़ी का एक केस दर्ज कराया था। अजय खुद को बीएकेएस हॉस्पिटेलिटी सर्विसेज एलएलपी कंपनी का सीएमडी बताते हैं। इस केस में वह 40 दिन जेल में रहकर जमानत पर बाहर निकले। इसके बाद अजय राजपाल ने मारपीट और धमकाने की झूठी कहानी बनाकर उन पर थाना सेक्टर-39 में ही एक और फर्जी मुकदमा दर्ज करा दिया। इस मामले की जांच सब इंस्पेक्टर अजीत कुमार को दी गई। उनके ट्रांसफर के बाद जांच जांच सब इंस्पेक्टर सोनू शर्मा को सौंपी गई। उनके ट्रांसफर के बाद इसकी जांच सब इंस्पेक्टर अंकित वाजपेयी को सौंपी गई। विवेचना करने पर अजय राजपाल द्वारा लगाए गए सभी आरोप झूठे पाए गए। जिसके बाद विवेचक सब इंस्पेक्टर अंकित वाजपेयी ने इस केस में अंतिम रिपोर्ट लगा दी।
बेल कैंसिल कराने के लिए रची साजिश
संजय कुमार सिंह ने बताया कि उन्हें पहले केस में बेल मिल गई थी। अजय राजपाल ने बेल को केंसिल कराने के लिए थाना सेक्टर-39 पुलिस को एक झूठी कहानी सुनाकर उन पर केस दर्ज करा दिया। अजय ने कोर्ट में भी एक याचिका दायर कर बताया कि संजय सिंह ने उसके साथ मारपीट की है और केस को वापस को करने के लिए डरा धमका रहा। संजय ने बताया कि अजय राजपाल उसकी बेल कैंसिल कराना चाहता था। लेकिन पुलिस की सही जांच ने उन्हें बचा लिया। संजय ने बताया कि अजय द्वारा उन पर दर्ज कराया गया धोखाधड़ी का केस भी फर्जी है। उन्होंने इस पूरे केस से कोर्ट को भी अवगत कराया है।
Copyright Disclaimer Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing. Non-profit, educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
सौजन्य से ट्रिक सिटी टुडे डॉट कॉम
Source link