चर्चा में हैं प्रशान्त किशोर
हेल्थ एक्सपर्ट, चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर इन दिनों चर्चा में हैं. ‘चाय पे चर्चा’ से देश की राजनीति में प्रशांत किशोर ने पहचान बनाई थी. आज प्रशांत किशोर बिहार के छात्र आंदोलन की मुखर आवाज हैं. छात्रों के लिए वह जेल भी जा चुके हैं. बीपीएससी छात्रों के इंसाफ के लिए वो इन दिनों आंदोलन कर रहे हैं. चर्चा इस कदर की फिलहाल अभी मीडिया के तमाम फॉर्म में वह छाए हुए हैं. साथ ही इस बात की भी चर्चा है कि राजनीतिक रणनीतिकार से राजनेता बनने के सफर में प्रशांत किशोर ने क्या रणनीति बनायी और उसमें वह कितना सफल हुए.
दरअसल, प्रशांत किशोर की शुरुआत बिहार के बक्सर शहर से हुई. प्रशांत किशोर का जन्म 1977 में हुआ था. उनके पिता श्रीकांत पांडे बक्सर में ही डॉक्टर थे. प्रशांत किशोर की गिनती देश के बड़े राजनीतिक विश्लेषकों और चुनावी रणनीतिकार में होती है. ऐसा माना जाता है कि गुजरात से दिल्ली लाकर बीजेपी की चुनावी रणनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जो भूमिका है, उसमें प्रशांत किशोर ने अहम किरदार निभाया था. न केवल बीजेपी बल्कि वह बीजेपी के साथ ही कांग्रेस, जनता दल यूनाइटेड, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और वाइएसआर कांग्रेस के लिए राजनीतिक रणनीतिकार की भूमिका को निभा चुके हैं.
बक्सर में स्टडी
भारतीय राजनीति के रणनीतिकार और चुनावी प्रबंधन के चाणक्य के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले प्रशांत किशोर की शुरुआती शिक्षा बक्सर से हुई. फिर वह हैदराबाद चले गए, जहां उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. फिर उन्होंने पब्लिक हेल्थ में पीजी किया. शुरू के दौर से ही उनकी गिनती ट्रेंड पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट के रूप में होने लगी. इसी रूप में उन्होंने यूनाइटेड नेशन के लिए काम भी किया. इस दौरान उनकी पहली पोस्टिंग आंध्र प्रदेश में हुई. इसके बाद में बिहार चले आए. बताया जाता है कि यूनाइटेड नेशन में रहने के दौरान उन्होंने कुछ वक्त के लिए यूनाइटेड नेशन के मुख्यालय में भी काम किया. कहा जाता है कि एक रिसर्च पेपर को तैयार करने के सिलसिले में प्रशांत किशोर की मुलाकात नरेंद्र मोदी से हुई थी. वह रिसर्च पेपर देश के कुछ राज्यों में कुपोषण पर आधारित था.
रोहतास से जुड़ी है जड़
हालांकि, कई बार यह बात भी सामने आती है कि प्रशांत किशोर मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बलिया के रहने वाले हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. प्रशांत किशोर की जड़ रोहतास जिले के कुनारी गांव से जुड़ी हुई है, जबकि उनका ननिहाल उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की है. प्रशांत किशोर की पत्नी जाह्नवी दास हैं. वह पेशे से डॉक्टर हैं.
बनाया अपना संगठन
बताया जाता है कि जब वह यूनाइटेड नेशन के तहत अफ्रीका में नौकरी कर रहे थे. इस दौरान 2011 में सबसे पहली बार उनकी मुलाकात नरेंद्र मोदी से हुई थी. तब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे. प्रशांत किशोर के प्रेजेंटेशन को देखने के बाद नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात हुई और इसके बाद प्रशांत किशोर का राजनीतिक सफर शुरू हो गया. नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद प्रशांत किशोर ने अपनी नौकरी छोड़ी और गुजरात सरकार और नरेंद्र मोदी के लिए ब्रांड मैनेजर के रूप में अपनी सेवा देने शुरू कर दिया. उन्होंने अपना एक संगठन भी बनाया, जिसका पूरा नाम इंडियन पॉलीटिकल एक्शन कमेटी है. यह संगठन देश के विभिन्न राजनीतिक दलों को चुनाव अभियान के लिए सेवाएं भी उपलब्ध कराता है.
कई पार्टियों के लिए कर चुके हैं काम
बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर की पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब भाजपा से अलग होकर नीतीश कुमार राष्ट्रीय जनता दल के साथ चले गए थे, तब प्रशांत किशोर ने ही नीतीश कुमार के लिए पूरी राजनीतिक रणनीति तैयार की थी. बताया जाता है कि 2015 के प्रसिद्ध नारे, बिहार में बहार बा, नीतीशे कुमार बा, प्रशांत किशोर की दिमाग की उपज थी. वह पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के साथ काम कर चुके हैं. इसके अलावा अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और जगनमोहन रेड्डी की वाइएसआर कांग्रेस के लिए भी वह काम कर चुके हैं.
कई चुनाव में किया काम
प्रशांत किशोर ने 2014 के लोकसभा चुनाव, 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव, 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के साथ ही 2019 में आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव और 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अपनी रणनीति बनायी और सफल रहे.
जब जदयू के बने थे उपाध्यक्ष
बिहार की राजनीति में एक ऐसा भी वक्त था, जब प्रशांत किशोर की कार्य कुशलता और राजनीतिक कौशल को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनको जनता दल यूनाइटेड का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी बना दिया था. तब प्रशांत किशोर सीए के साथ लगे रहते थे. जदयू में उनका कद काफी बढ़ चुका था. तब सियासी हलकों में यह भी चर्चा जोरों पर थी कि नीतीश कुमार अपने बाद जदयू की पूरी जिम्मेदारी प्रशांत किशोर को सौंप सकते हैं.
बनायी अपनी पार्टी
राजनीतिक रणनीति बनाने के बाद प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी जन सुराज की नींव रखी. उन्होंने जन सुराज के माध्यम से बिहार में बदलाव लाने की बात कही. हालांकि, उनका यह भी कहना था कि पहले वह पूरे बिहार में घूम करके देखना चाहते हैं. जन सुराज पदयात्रा करने के बाद पिछले साल दो अक्टूबर को प्रशांत किशोर ने अपनी जन सुराज पार्टी को बनाने का ऐलान किया. तब राजधानी के वेटरनरी कॉलेज मैदान में एक भव्य कार्यक्रम में प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी की लॉन्चिंग की. हालांकि, उसके बाद का अनुभव प्रशांत किशोर के लिए कुछ अच्छा नहीं रहा.
नहीं मिली राजनीतिक सफलता
प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी के लॉन्चिंग के बाद पहली बार बिहार में चार सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में अपने उम्मीदवारों को उतारने का फैसला किया. हालांकि, यह फैसला सही साबित नहीं रहा और चारों विधानसभा सीटों पर उनके उम्मीदवार सफल नहीं रहे. इसके बाद तिरहुत स्नातक स्तरीय विधान परिषद चुनाव में भी प्रशांत किशोर ने अपने उम्मीदवार को उतारा लेकिन वहां भी उनको सफलता नहीं मिली.
– India Samachar
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