केरल के कोल्लम इलाके में साल 2006 को एक महिला और उसकी 17 दिन की जुड़वा बेटियों की हत्या कर दी गई थी. 19 साल बाद इस हत्याकांड को अंजाम देने वाले दोनों आरोपियों को सीबीआई ने गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की. फिर उन्हें कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. बेशक इस केस को सुलझाने में 19 साल लगे लेकिन जिस तरह से हत्याकांड के इस मामले को सुलझाया गया है, वो वाकई हैरान कर देने वाला है. इस केस को AI तकनीक से सुलझाया गया है.
तारीख थी 10 फरवरी 2006 की. संथम्मा नाम की महिला कोल्लम के आंचल में पंचायत कार्यालय से घर लौटीं. वहां उन्होंने अपनी बेटी रंजिनी और उसके 17 दिन के जुड़वां बच्चों को खून से लथपथ पाया. उनका गला कटा हुआ था. हर तरफ खून ही खून था. संथम्मा ने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी. इसके बाद मामले की जांच शुरू की गई. पुलिस ने जल्द ही पता लगा लिया कि हत्याकांड के पीछे सेना के दो जवानों का हाथ है. दिविल कुमार और राजेश, जो उस समय पंजाब के पठानकोट सैन्य अड्डे पर तैनात थे. हालांकि, आरोपियों को पुलिस पकड़ नहीं पाई और मामला ठंडे बस्ते में चला गया.
उन्नीस साल बाद, सीबीआई ने उन्हें 4 जनवरी को पुदुचेरी से गिरफ्तार किया. वहां दोनों आरोपी नई पहचान बनाकर परिवारों के साथ रह रहे थे. दोनों ने शादियां कर ली थीं. उनके बच्चे भी हो गए थे. 42 साल का दिविल कुमार, विष्णु बनकर अपने परिवार के साथ रह रहा था. जबकि, 48 साल का राजेश, प्रवीण कुमार नाम से अपनी बीवी और बच्चों के साथ रह रहा था. दोनों ही इंटीरियर डिजाइनर के रूप में काम कर रहे थे. दोनों ने ही दो महिला टीचरों से शादी की थी.
AI तकनीक से ली मदद
केरल के एडीजीपी (कानून और व्यवस्था) मनोज अब्राहम ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘हमारी तकनीकी खुफिया शाखा, जो लंबे समय से लंबित मामलों का डिजिटल विश्लेषण करती है, उसने आरोपियों को ट्रैक करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया. अभियुक्तों की पुरानी तस्वीरें यह देखने के लिए विकसित की गईं कि वे 19 साल बाद कैसे दिखेंगे. एआई का उपयोग करके कई विकल्प आजमाए गए. हेयर स्टाइल में बदलाव से लेकर चेहरे की अन्य विशेषताओं तक. इन तस्वीरों का मिलान सोशल मीडिया पर मौजूद तस्वीरों से किया गया.
उन्होंने बताया- हमें दुनिया भर से मैच मिले, लेकिन एक आरोपी की एआई छवि फेसबुक पर साझा की गई शादी की तस्वीर से 90% मेल खाती थी. हमने आगे की जांच की और राजेश को पुडुचेरी तक ट्रैक किया, जो हमें दूसरे आरोपी डिविल तक ले गया. चूंकि मामला सीबीआई के पास था, इसलिए हमने उनकी चेन्नई इकाई को सतर्क कर दिया, जिसने दोनों को गिरफ्तार कर लिया. इतने लंबे समय से लंबित मामले को सुलझाने के लिए एआई का इस्तेमाल करना असामान्य था.
गर्भवती हुई तो रंजिनी से किया ब्रेकअप
पुलिस के अनुसार, कोल्लम के अलायमोन में पड़ोसी रंजिनी और दिविल के बीच अफेयर था. लेकिन इस बीच जब रंजिनी गर्भवती हो गई तो दिविल उससे कन्नी काटने लगा. फिर ब्रेकअप करके पठानकोट चला गया.
राजेश ने की अनिल बनकर दोस्ती
जनवरी 2006 के अंत में, रंजिनी ने तिरुवनंतपुरम के एक अस्पताल में जुड़वां बेटियों को जन्म दिया. यहीं पर कन्नूर के श्रीकंदपुरम के मूल निवासी राजेश ने कथित तौर पर कोल्लम के मूल निवासी ‘अनिल कुमार’ के रूप में रंजिनी से दोस्ती की. पुलिस के अनुसार, राजेश और दिविल सेना में सहकर्मी थे और दोनों ने कथित तौर पर रंजिनी की हत्या करने के लिए मिलीभगत की थी. पुलिस जांच में पता चला कि दिविल और राजेश दोनों उस साल जनवरी में छुट्टी पर थे. इस बीच, रंजिनी ने राज्य महिला आयोग से एक आदेश प्राप्त किया कि दिविल को सैन्य शिविर से वापस लाया जाए और बच्चों के माता-पिता होने को साबित करने के लिए उसका डीएनए परीक्षण कराया जाए.
कांग्रेस नेता ज्योति कुमार चमककला, जो कोल्लम में रंजिनी के गांव से हैं और 2006 से आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर एक अभियान में शामिल थे, उन्होंने बताया, ‘राजेश ने अनिल बनकर रंजिनी से तब संपर्क किया जब वह अपनी डिलीवरी के लिए अस्पताल में थी. जैसे ही उसने उससे दोस्ती की और उसने उसे दिविल के बारे में बताया. तब राजेश ने रंजिनी से वादा किया कि वो उसकी मदद करेगा. लेकिन यह बस मिलीभगत थी.
दूसरी जगह दिलवाया कमरा
पुलिस ने बताया- राजेश ने तब रंजिनी से कहा कि बो बिन ब्याही मां है. ऐसे में समाज उसे स्वीकार नहीं करेगा. फिर रंजिनी को उसने दूर कहीं किराए का घर लेकर दिया. ये भी राजेश और दिविल के प्लान का ही हिस्सा था. यानि रंजिनी जब सबसे दूर हो जाएगी तो कोई भी उस पर इतना गौर नहीं करेगा. और ऐसे में वो उसकी हत्या आसानी से कर पाएंगे.
ऐसे खुली थी दोनों आरोपियों की पोल
रंजिनी की मां संथम्मा ने बताया, ‘राजेश ने अस्पताल में हमसे दोस्ती की थी, उसने अपना परिचय अनिल कुमार के रूप में दिया था. वो जानबूझकर अस्पताल में रंजिनी के इर्द गिर्द घूमता रहता था. ताकि वो रंजिनी से दोस्ती कर सके. लेकिन हमें उसके मंसूबों की भनक नहीं थी. जैसे ही पुलिस ने ‘अनिल कुमार’ की भूमिका की जांच शुरू की, उन्हें उसका एक टू व्हीलर के पंजीकरण प्रमाण पत्र मिला.
इसी से राजेश और दिविल की पोल खुली. क्योंकि इसमें राजेश का पता पठानकोट आर्मी कैंट का दिया था. दिविल भी वहीं पोस्टेड था. बस इसकी मदद से पुलिस को साफ हो गया कि हत्या में राजेश ने ही दिविल का साथ दिया है. लेकिन दोनों गिरफ्तार होने से पहले ही उस वक्त फरार हो गए थे. इसके बाद 2010 में, केरल हाईकोर्ट ने संथाम्मा की याचिका पर कार्रवाई करते हुए मामला सीबीआई को सौंप दिया.
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