जयपुर में गैस टैंकर हादसे के बाद सोशल मीडिया पर एक जालसाज ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार के नाम से चंदा मांगना शुरू कर दिया था. आरोपी ने डीजीपी के नाम और तस्वीर का इस्तेमाल करते हुए इंस्टाग्राम आईडी और यूट्यूब चैनल बनाया और हादसा पीड़ितों के लिए लोगों से मदद करने की अपील की. आरोपी ने इसमें क्यूआर कोड भी डाला था और लोगों से इसे स्कैन कर अपनी क्षमता के मुताबिक मदद के लिए कह रहा था.
चूंकि प्रोफाइल उत्तर प्रदेश के डीजीपी की थी, इसलिए कई लोग मदद के लिए आगे भी आए और आरोपी को पैसे भेज दिए. इधर, मामले की जानकारी उत्तर प्रदेश पुलिस को हुई तो राजधानी लखनऊ की साइबर थाना पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ चार दिन पहले केस दर्ज किया था. इसके बाद पुलिस ने आरोपी के मोबाइल फोन का डायवर्जन ट्रैस करते हुए उसे सहारनपुर से दबोच लिया है. आरोपी की पहचान सहारनपुर में ही रहने वाले एक रिटायर्ड दरोगा के बेटे अमित कुमार के रूप में हुई है.
कई अन्य वारदातों में मिली भूमिका
आरोपी ने आईटीआई का डिप्लोमा करने के बाद नौकरी की तलाश में था. ढंग का काम नहीं मिलने पर आरोपी अपराध में उतर गया. पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है. बताया जा रहा है कि उसने इसी तरह के कई अन्य अपराधों को भी अंजाम दिया है.
लखनऊ पुलिस के मुताबिक आरोपी को जरूरी पूछताछ के बाद अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है. अब पुलिस इसके द्वारा अंजाम दिए गए अन्य मामलों की जांच पड़ताल में जुट गई है. साइबर इंस्पेक्टर बृजेश यादव के मुताबिक आरोपी सहारनपुर में नांगल का रहने वाला है.
रिटायर्ड दरोगा का बेटा है आरोपी
उसके पिता भी पुलिस में थे और दरोगा के पद से कुछ समय पहले रिटायर हुए थे. वहीं आरोपी का एक भाई हाथरस पुलिस में कांस्टेबल है. पुलिस की जांच में पता चला है कि आरोपी ने दो साल पहले डीजीपी के नाम से फर्जी आईडी बनाई थी. उस समय उसके फॉलोअर नहीं बढ़ रहे थे. इसी बीच जयपुर हादसा हुआ तो आरोपी ने अपने एकाउंट में बदलाव किया. उसने प्रोफाइल पिक में डीजीपी की फोटो लगाई और उससे पुलिस से संबंधित पोस्ट करने लगा. इसके चलते देखते ही देखते उसके एकाउंट पर 67 हजार से अधिक फॉलोअर हो गए. इसके बाद आरोपी ने जयपुर हादसे के पीड़ितों के लिए चंदा मांगना शुरू कर दिया.
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