यूं तो तमाम फिल्मी कलाकार अपने करियर में ढेरों फिल्में करते हैं, अलग-अलग तरह के कई किरदार निभाते हैं, लेकिन कोई न कोई एक ऐसा किरदार जरूर होता है, जिसके लिए उस कलाकार को ताउम्र याद किया जाता है. ठीक इसी तरह निरुपा रॉय को दुनिया मां का रोल करने के लिए याद करती है.
उन्होंने अपने करियर में 250 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था. वहीं ज्यादातर में वो मां के रोल में नजर आई थीं. ‘मर्द’, ‘अमर अकबर एंथनी’, ‘सुहाग’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’ उनकी बेहतरीन फिल्में हैं. फिल्मों की दुनिया में भले ही उनका नाम अमर है, लेकिन इस इंडस्ट्री में आने के लिए उन्हें एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ी थी. 4 जनवरी को निरुपा रॉय की बर्थ एनिवर्सी है. इस मौके पर चलिए उनसे जुड़ा एक किस्सा जानते हैं.
निरुपा रॉय को कैसे मिली थी पहली फिल्म?
निरुपा रॉय का जन्म गुजरात के वलसाड में हुआ था. उनके पिता फिल्मों में काम करने के तो क्या, फिल्म देखने के भी खिलाफ थे. उनके घर में फिल्म देखने की इजाजत नहीं होती थी. उनके पिता का ऐसा मानना था कि फिल्में देखने से बुरा असर पड़ता है. हालांकि, जब निरुपा रॉय की शादी हुई तो फिर उसके बाद उन्होंने फिल्मों में एंट्री कर ली, जिससे उनके पिता काफी नाराज हो गए थे.
निरुपा रॉय जब सिर्फ 15 साल की थीं तो उनकी शादी एक्टर कमल रॉय से हो गई थी. एक बार कमल रॉय, कुमार व्यास की गुजराती फिल्म ‘रनक देवी’ लिए ऑडिशन देने गए थे. निरुपा रॉय भी उनके साथ गई थीं. निरुपा के पति को तो फिल्म नहीं मिली, लेकिन कुमार व्यास ने उन्हें फिल्म का ऑफर दे दिया. शादी के बाद निरुपा के पास फिल्मों में काम करने की इजाजत थी. इस तरह वो फिल्मी दुनिया में आ गईं.
फिर कभी नहीं मिले पिता
निरुपा रॉय ने फिल्मफेयर को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि इस फिल्म के बाद अखबारों में उनकी तस्वीरें छपने लगी थीं. किसी ने उनके पिता को उनकी तस्वीर दिखा दी थी. उस वक्त तक उनके उनके माता-पिता उनसे बहुत प्यार करते थे. हालांकि, फिल्मों में काम करने की खबर सुनकर उनके पिता ने ये ठान लिया था कि वो अब कभी भी निरुपा रॉय का चेहरा नहीं देखेंगे. और ठीक ऐसा ही हुआ. 20 साल तक उनके पिता ने उनसे मुलाकात नहीं की थी. और फिर उनके पिता की मौत हो गई थी, जिसके बाद निरुपा ने उनका चेहरा देखा था.
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