उत्तर प्रदेश में कड़ाके की सर्दी में भी राजनीति माहौल गरम है. कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल ने अपनी सरकार के कुछ अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. अपना दल (एस) के कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करते हुए आशीष पटेल ने कहा कि उनके खिलाफ सूचना विभाग षड्यंत्र रच रहा है और पैर में गोली मारने वाली एसटीएफ में दम है तो मेरे सीने पर गोली मारे. आशीष पटेल ने समाजवादी पार्टी (सपा) की विधायक पल्लवी पटेल को धरना मास्टर भी बताया.
इससे पहले भी मंत्री आशीष पटेल ने कहा था, ‘विभागीय पदोन्नति समिति की संस्तुति और शीर्ष स्तर पर सहमति के आधार पर हुई पदोन्नति के बावजूद राजनीतिक चरित्र हनन के लिए लगातार मीडिया ट्रायल अस्वीकार्य है. उत्तर प्रदेश के सूचना निदेशक शिशिर सिंह को झूठ, फरेब और मीडिया ट्रायल का यह खेल आगे बढ़कर बंद कराना चाहिए. मेरे साथ किसी प्रकार का षड्यंत्र या दुर्घटना हुई तो इसकी सारी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स की होगी.’
अब सवाल उठता है कि मंत्री आशीष पटेल ने अपनी ही सरकार के कुछ अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा क्यों खोला है? इसको सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं. उससे पहले जान लीजिए कि आशीष पटेल के खिलाफ जो भी आरोप लगे हैं, वो उनकी पत्नी अनुप्रिया पटेल की बहन और सपा से विधायक पल्लवी पटेल ने लगाए हैं. एक दिन पहले ही पल्लवी पटेल ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मिलकर पूरे मामले की जांच कराने की भी मांग की है.
क्या है पूरा मामला
आशीष पटेल, यूपी सरकार के प्राविधिक शिक्षा विभाग के मंत्री हैं. प्राविधिक शिक्षा विभाग के अधीन तीन यूनिवर्सिटी और 14 राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज आते हैं. पिछले साल जुलाई में बीजेपी विधायक देवेंद्र सिंह लोधी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से राजकीय कॉलेजों में विभागाध्यक्षों की गलत प्रोन्नति प्रक्रिया की शिकायत की थी. इस शिकायत के चार महीने बाद ही दो और बीजेपी विधायकों पल्टू राम और मीनाक्षी सिंह ने सीएम योगी से कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए विभागाध्यक्ष की सीधी भर्ती के पदों पर अयोग्य विभागीय शिक्षकों की पदोन्नति की शिकायत की.
सीएम योगी आदित्यनाथ से की गई अपनी शिकायत में बीजेपी विधायक पल्टू राम और और मीनाश्री सिंह ने विभागाध्यक्ष की नियुक्ति के नाम पर करप्शन के जरिए हर साल 50 करोड़ रुपये की कमाई का आरोप लगाया. बीजेपी विधायकों के बाद सपा विधायक पल्लवी पटेल ने मंत्री आशीष पटेल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. पल्लवी पटेल ने भी सीएम योगी आदित्यनाथ से शिकायत की कि, ‘इंजीनियरिंग कॉलेज और यूनिवर्सिटी में विभागाध्यक्ष के पद प्रोन्नति के माध्यम से भर दिए गए हैं, जो यूपी लोक सेवा आयोग द्वारा सीधी भर्ती के माध्यम से भरे जाने थे और इसकी एसआईटी जांच होनी चाहिए.’
इस मामले को शीतकालीन सत्र के दौरान सपा विधायक पल्लवी पटेल ने विधानसभा में भी उठाने की कोशिश की, लेकिन स्पीकर सतीश महाना ने नियमों का हवाला देते हुए इजाजत नहीं दी थी. इसके बाद पल्लवी पटेल धरने पर भी बैठी थीं. बावजूद इसके उन्हें यह मामला विधानसभा में उठाने की इजाजत नहीं मिली. एक जनवरी को ही पल्लवी पटेल ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात की और पूरे मामले की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की.
आशीष पटेल ने आरोपों का दिया जवाब
जब मामले ने काफी तूल पकड़ा तो मंत्री आशीष पटेल ने भी अपनी चुप्पी तोड़ी. उन्होंने एक पोस्ट में कहा, ‘उत्तर प्रदेश के सबसे ईमानदार आईएएस अधिकारी एवं तत्कालीन प्रमुख सचिव, प्राविधिक शिक्षा एम० देवराज की अध्यक्षता में हुई विभागीय पदोन्नति समिति की संस्तुति और शीर्ष स्तर पर सहमति के आधार पर हुई पदोन्नति के बावजूद राजनीतिक चरित्र हनन के लिए लगातार मीडिया ट्रायल अस्वीकार्य है. उत्तर प्रदेश के सूचना निदेशक शिशिर सिंह को झूठ, फरेब एवं मीडिया ट्रायल का यह खेल आगे बढ़कर बंद कराना चाहिए.’
मंत्री आशीष पटेल ने कहा, ‘मैंने पहले भी कहा है और एक बार फिर कह रहा हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी अगर उचित समझें तो बार-बार के मीडिया ट्रायल, झूठ औए फरेब के जरिए किए जा रहे मेरे राजनीतिक चरित्र हनन के इस दुष्प्रयास पर स्थायी विराम के लिए बतौर मंत्री मेरे द्वारा अब तक लिए गए सभी फैसलों की सीबीआई जांच करा सकते हैं. मैं तो यहां तक कहता हूं कि लगे हाथ अगर उचित समझा जाए तो स्वयं मेरी और मेरी पत्नी और अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री माननीय अनुप्रिया पटेल के सांसद-विधान परिषद सदस्य बनने के बाद अर्जित की गई संपत्ति की भी जांच करा ली जाए.’
आरोपों पर मंत्री आशीष पटेल ने कहा, ‘पर्दे के पीछे सामाजिक न्याय की आवाज को कुचलने का खेल जारी है. वास्तव में पदोन्नति के इस मामले में कुछ लोगों के कलेजे में कांटा लगने का कारण उन ओबीसी और वंचित वर्ग को लाभ मिलना है, जिनके अधिकारों की सालों से हकमारी की जा रही थी. पदोन्नति की वर्गवार सूची देंखेंगे तो इसका अंदाजा हो जाएगा. ऐसे लोगों को मैं बताना चाहता हूं कि इनके कलेजे में भविष्य में भी कांटा चुभता रहेगा. वह इसलिए कि इन झूठे तथ्यों, अफवाहों और मीडिया ट्रायल से अपना दल (एस) की सामाजिक न्याय की लड़ाई बंद नहीं होने वाली.’
यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स यानी एसटीएफ को निशाने पर लेते हुए मंत्री आशीष पटेल ने कहा था, ‘मैंने पहले भी कहा है कि लौहपुरुष सरदार पटेल का वंशज आशीष पटेल डरने वालों में नहीं बल्कि लड़ने वालों में से है. अपने शुभचिंतकों के लिए एक विशेष बात कि यदि सामाजिक न्याय की इस जंग में मेरे साथ किसी प्रकार का षड्यंत्र/ दुर्घटना हुई तो इसकी सारी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश पुलिस के स्पेशल टास्क फ़ोर्स की होगी.’
आशीष ने विभागीय लेटर के जरिए दी सफाई
आरोपों के बीच मंत्री आशीष पटेल ने एक विभागीय लेटर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने हैंडल से शेयर किया था. इस लेटर में बताया गया कि 30 मई 2024 को हुई डीपीसी बैठक के दौरान 177 कार्मिक विभागाध्यक्ष के पद पर प्रोन्नत किए गए थे. इस लेटर में उनकी जाति का भी जिक्र था, जिसमें सामान्य जाति के 39, पिछड़ा वर्ग के 78, अनुसूचित जाति के 58 और अनुसूचित जनजाति के 2 कार्मिकों को प्रमोशन दिया गया था. इस लेटर के जरिए आशीष पटेल ने अपना बचाव किया था. इस लेटर के बाद मंत्री आशीष पटेल ने एक और लेटर शेयर किया, जिसमें तीनों यूनिवर्सिटी और 14 इंजीनियर कॉलेज के कुलपति या प्रिसिंपल के आंकड़े थे.
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