बांग्लादेश में भीड़तंत्र का बोलबाला रहा है. आज से नहीं. काफी पहले से. मगर शेख हसीना की सरकार गिराए जाने के बाद से भीड़ अब दिन-ब-दिन खूंखार होती जा रही है. पिछले साल – 2024 में बांग्लादेश में कम से कम 128 लोगों की हत्या अनियंत्रित, अनुशासित भीड़ ने कर डाली. गौर करने वाली बात ये रही कि इनमें से 96 हत्याएं अगस्त के बाद हुईं. अगस्त – वही महीना है जब शेख हसीना को देश छोड़कर जाना पड़ा.
यानी कुल हत्याओं का तीन चौथाई पांच महीने से भी कम समय में हुआ है. ये पूरी जानकारी बांग्लादेश के एक अहम मानवाधिकार संगठन आइन-ओ-सलीश केन्द्र (एएसके) ने दी है. सिर्फ इस एक संगठन ही ने नहीं, कुल तीन संगठनों ने कहा है कि शेख हसीना के मजबूत शासन को उखाड़ फेंके जाने के बाद ही से बांग्लादेश में भीड़ की ओर से होने वाली हत्याओं में काफी तेजी आई है. ये युनूस सरकार के शासन पर गंभीर सवालिया निशान है.
पिछले बरसों की तुलना में मामले 3 गुने
मानवाधिकार संगठन एएसके के सदस्य अबू अहमद फैजुल कबीर ने कहा है कि बांग्लादेश में मॉब लिंचिंग, भीड़ का किसी शख्स को पीटने के मामले में बढ़ोतरी का आना समाज में बढ़ते असहिष्णुता और चरमपंथ की तरफ साफ तौर पर इशारा है. एएसके के अलावा बांग्लादेश ही के दो और मानवाधिकार संगठनों ने भी मॉब लिंचिंग के मिलते जुलते आंकड़े लोगों के सामने रखे हैं. उनका कहना है कि पिछले पांच बरस में हुई हत्याओं की औसत की तुलना में 2024 की संख्या तीन गुना से भी ज्यादा है.
कुछ संगठनों का दावा 128 से ज्यादा
मानाबाधिकार सोंस्कृति संगठन ने कहा है कि उसने 2024 में कुल 146 लोगों की हत्या को दर्ज किया है, जिन्हें भीड़ ने मौत के घाट उतार दिया. वहीं, बांग्लादेश के ह्यूमन राइट्स सपोर्ट सोसाइटी ने कुल 173 लोगों के मारे जाने की बात की है. भीड़ ने ये हत्याएं क्यों की, इसकी मूल वजहों का तो पता नहीं लगाया जा सका है. मगर हम जानते हैं कि शेख हसीना की सरकार गिराए जाने के बाद ही से बांग्लादेश में बदला लेने वाले हमलों की संख्या काफी बढ़ी है.
बांग्लादेश पुलिस की प्रतिक्रिया क्या
ये वैसे हमले थे जो शेख हसीना की पार्टी – आवामी लीग के सदस्यों पर हुए. विपक्षी ताकतों ने सत्ता परिवर्तन के बाद इन लोगों को बेहरमी से निशाना बनाया. मानवाधिकार संगठनों की तरफ से पेश किए गए रिपोर्ट पर बांग्लादेश पुलिस की भी प्रतिक्रिया आई है. अपने जवाब में पुलिस ने कहा है कि हम नागरिकों से अपील करते हैं कि वे किसी भी विवाद की शक्ल में पुलिस की मदद लें, उन्हें कानून को अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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