भारतीय सेना दुश्मनों के ड्रोन पर घातक प्रहार करने की तैयारी कर रही है. इसी के मद्देनजर सेना को आसमान में ही दुश्मन के ड्रोन को नष्ट करने के लिए 23-मिमी गोला-बारूद की जरूरत है, जिसे मौजूदा Zu-23-मिमी और शिल्का एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम के साथ इस्तेमाल किया जाएगा, जो इंडियन आर्मी को संवेदनशील क्षेत्रों के लिए प्वाइंट एयर डिफेंस प्रदान करेगा.
रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को 23-मिमी गोला-बारूद खरीदने के लिए एक नोटिस (RFI) जारी किया है, जिसे ड्रोन सिस्टम को नष्ट करने के लिए भारतीय सेना द्वारा उपयोग किया जाएगा. इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने “मेक इन इंडिया” स्कीम के तहत रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (डीपीएसयू) और निजी कंपनियों से जानकारी मांगी है. हालांकि, लागत और मात्रा का खुलासा नहीं किया गया है..
हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने वालों की खैर नहीं
आरएफआई के अनुसार, रक्षा मंत्रालय ने कहा कि 23-मिमी गोला-बारूद का उपयोग मौजूदा Zu-23-मिमी और शिल्का हथियार प्रणालियों के साथ भारतीय हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने वाले दुश्मनों के ड्रोन को नष्ट करने के लिए किया जाएगा. Zu-23-मिमी एक सोवियत काल की गन सिस्टम है, जिसे ज्यादातर बॉर्डर पर और सीमा के संवेदनशील क्षेत्रों में सैन्य ठिकानों की सुरक्षा के लिए तैनात किया जाता है.
तकनीकी और व्यावसायिक प्रक्रिया
इस परियोजना के तहत कंपनियों को तकनीकी और व्यावसायिक मूल्यांकन प्रक्रिया से गुजरना होगा, जो “नो कॉस्ट, नो कमिटमेंट” के आधार पर होगी. अंतिम चयन के लिए लागत वार्ता समिति सबसे कम बोली लगाने वाले (L1) को तय करेगी.
डेडलाइन और शर्तें
आरएफआई जमा करने की अंतिम तिथि 17 फरवरी 2025 है, जबकि एक प्री-सबमिशन बैठक 16 फरवरी को आयोजित की जाएगी. सभी विक्रेताओं के पास वैध रक्षा औद्योगिक लाइसेंस और विस्फोटक निर्माण से संबंधित दस्तावेज होने चाहिए. गोला-बारूद को मौजूदा हथियार प्रणालियों के तकनीकी मानकों के अनुरूप होना चाहिए और इसे -25°C से +45°C तापमान पर काम करने के लिए सक्षम होना चाहिए.. और +30 डिग्री से +50 डिग्री तापमान पर ऑपरेटर होना चाहिए. गोला-बारूद का शेल्फ लाइफ कम से कम 10 साल होनी चाहिए.
भारतीय सेना के लिए क्यों जरूरी है यह गोला-बारूद?
ज़ू-23 मिमी और शिल्का सिस्टम दुश्मन के विमानों और ड्रोन को रोकने में सक्षम हैं. ये एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम प्रति मिनट 800 राउंड तक फायर कर सकते हैं.. इनके जरिए सेना संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है.
यह कदम भारतीय सेना की ऑपरेशनल तैयारियों को मजबूत करने और उभरते खतरों से निपटने की दिशा में एक अहम कदम है.
वर्तमान में, भारतीय सेना ज़ू-23-मिमी और शिल्का हथियार प्रणाली का उपयोग कर रही है, जो उच्च फायर रेट वाली एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम हैं. इन प्रणालियों को संवेदनशील क्षेत्रों और महत्वपूर्ण बिंदुओं के लिए प्वाइंट एयर डिफेंस प्रदान करने के लिए तैनात किया गया है.
मैनुअली कंट्रोल होगी गन
इन गन सिस्टम में 23-मिमी आर्मर पियर्सिंग इंसेंडियरी ट्रेसर (APIT) और हाई एक्सप्लोसिव इंसेंडियरी ट्रेसर (HEIT) गोला-बारूद का इस्तेमाल होता है. दोनों प्रकार के गोला-बारूद की हिट फ्रायबिलिटी कम है क्योंकि ये गन मैनुअली कंट्रोल होती हैं और गोला-बारूद टकराव पर क्षति या विनाश करता है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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