1 जनवरी 2025 से यूरोप में एक ऐतिहासिक बदलाव आया है. दरअसल यूक्रेन के रास्ते से होने वाली गैस सप्लाई पूरी तरह से बंद हो गई है. यह घटना रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के बीच हुई है, जिसे 2025 में तीन साल हो जाएंगे. इस एक बदलाव का असर यूरोप के ऊर्जा संकट पर गहरा पड़ सकता है.
दशकों तक यह पाइपलाइन, जो रूस से गैस को यूक्रेन के रास्ते यूरोप तक पहुंचाती थी, ऊर्जा के क्षेत्र में आपसी निर्भरता का प्रतीक मानी जाती थी. लेकिन अब इस पाइपलाइन का बंद होना रूस, यूक्रेन और यूरोपीय संघ के रिश्तों में एक बड़े बदलाव का संकेत देता है, जो ऊर्जा नीतियों, राजनीतिक खींचतान और भविष्य की रणनीतियों को प्रभावित करेगा. आइए जानते हैं इसका इतिहास और यूरोप इस से निपटने के लिए कितना तैयार है?
समझौते का अंत और पाइपलाइन का बंद होना
कई दशकों तक, यूरोप रूसी गैस पर निर्भर रहा, जो यूक्रेन के माध्यम से यूरोपीय देशों तक पहुंचती थी. इस रास्ते ने यूरोप की गैस जरूरतों का लगभग 35% हिस्सा पूरा किया था, जिससे रूस को अरबों डॉलर की आय हुई और यूक्रेन को ट्रांजिट शुल्क के रूप में आर्थिक लाभ मिला.
लेकिन फिर 2014 में क्रीमिया पर रूस के कब्जे के बाद से रिश्तों में तनाव की शुरुआत हुई. इसके बाद 2022 के फरवरी में जब रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया तो यूरोप में रूस की आपूर्ति में गिरावट आई है जिसने यूरोपीय संघ को रूसी गैस पर अपनी निर्भरता में कटौती करने के लिए प्रेरित किया. मॉस्को ने अपनी यूरोपीय गैस बाजार हिस्सेदारी बनाने में आधी शताब्दी बिताई, जो अपने चरम पर लगभग 35% थी लेकिन गिरकर लगभग 8% हो गई है.
2019 में रूस और यूक्रेन के बीच पांच साल का गैस ट्रांजिट समझौता समाप्त हो गया था, और यूक्रेन ने इसे आगे बढ़ाने से मना कर दिया. 31 दिसंबर 2024 को यूक्रेनी गैस ट्रांजिट ऑपरेटर ने यह घोषणा की कि 1 जनवरी 2025 के लिए कोई गैस फ्लो का अनुरोध नहीं किया गया. इसका मतलब यह है कि यूक्रेन के रास्ते से गैस की सप्लाई पूरी तरह से बंद हो गई है.
यूरोप बैकअप प्लान क्या है?
जब 2 साल पहले रूस-यूक्रेन शुरु हुआ तो इसके बावजूद यूरोप ने रूस से गैस खरीदना जारी रखा, जिस पर उसे आलोचना भी झेलनी पड़ी. इसके बाद यूरोपीय संघ ने अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कई वैकल्पिक उपाय अपनाए. यूरोपीय आयोग ने ऊर्जा क्षेत्र में सुधार, विस्तार और गैस इंफ्रास्ट्रक्चर को लचीला बनाने की दिशा में कदम उठाए.
यूरोपीय कमीशन ने कहा है अगर रूस ने गैस सप्लाई बंद कर दी, तो कोई टेंशन नहीं है. रूस से आने वाली गैस की कमी को पूरी तरह से लिक्वीफाइड नेचुरल गैस (LNG) और दूसरे देशों से पाइपलाइन के जरिए गैस आयात करके पूरा किया जा सकता है.कतर और अमेरिका से लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) के आयात को बढ़ाया गया, साथ ही नॉर्वे से पाइप्ड गैस की आपूर्ति में भी इजाफा किया गया.
यूरोपीय देशों ने गैस स्टोरेज को भरने की प्रक्रिया भी तेज की, ताकि सप्लाई सुनिश्चित हो सके. यूरोपीय आयोग का कहना है कि यूरोप का गैस इंफ्रास्ट्रक्चर इतना मजबूत है कि यह मध्य और पूर्वी यूरोप को गैर-रूसी गैस की सप्लाई कर सकता है.
फैसले पर प्रतिक्रिया कैसी रही?
पाइपलाइन के बंद होने का बाजार पर तत्काल कोई बड़ा असर नहीं हुआ. विशेषज्ञों के अनुसार, यूक्रेन के जरिए जो गैस सप्लाई हो रही थी, वह मात्रा में बहुत कम थी—2023 में केवल 15 अरब क्यूबिक मीटर गैस आयात की गई थी. इस कारण यूरोपीय गैस की कीमतों में ज्यादा उछाल नहीं आया, और 31 दिसंबर को गैस की कीमत मामूली बढ़त के साथ 48.50 यूरो प्रति मेगावाट घंटे पर बंद हुई.
हालांकि, इसका असर बाद में गंभीर हो सकता है. यूरोप ने भले ही खुद को इस बदलाव के लिए तैयार किया है, लेकिन आर्थिक दबाव बरकरार है. उच्च ऊर्जा लागत ने यूरोपीय उद्योगों को मुश्किल में डाला है, खासकर उन देशों के मुकाबले जो अमेरिका और चीन जैसे प्रतिस्पर्धी बाजारों में हैं. रूसी गैस की सप्लाई में कमी के कारण जर्मनी को 60 अरब यूरो का नुकसान हुआ है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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