वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती पर तूफानों की संख्या में तो कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है, लेकिन उनके क्रूर रूप में एक बड़ा बदलाव आया है—अब ये तूफान पहले से कहीं ज्यादा खतरनाक और विनाशकारी हो गए हैं.
वैज्ञानिकों के मुताबिक समुद्रों का तापमान बढ़ने के साथ, तूफानों की ताकत भी नई ऊँचाइयों पर पहुँच गई है. तेज़ हवाएँ, भारी बारिश और भयंकर बाढ़—ये सब मिलकर उन इलाकों में तबाही मचाने लगे हैं, जो पहले ऐसे तूफानों से सुरक्षित माने जाते थे. इसका मतलब ये है कि समुद्री और तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोग अब कहीं ज्यादा खतरे में हैं. आइए जानते हैं कि आखिर क्यों तूफानों की तीव्रता बढ़ती जा रही है?
क्यों बढ़ रही है तूफानों की तीव्रता?
चक्रवातों की तीव्रता बढ़ने का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है. समुद्र का तापमान बढ़ने से हवा और पानी में ज्यादा ऊर्जा मिलती है, जिससे तूफान अधिक शक्तिशाली बनते हैं. जैसे-जैसे महासागरीय तापमान बढ़ता है, वायुमंडल में ज्यादा नमी और गर्म हवा भी जमा होती है, जो चक्रवातों को तेज़ बना देती है. इन उच्च तापमानों के कारण हवाओं की गति और दबाव में बदलाव आता है, जो चक्रवातों की विनाशक क्षमता को कई गुना बढ़ा देता है.
30 वर्षों में तूफान हो गए विनाशकारी
1980 से अब तक, हर साल औसतन 47 चक्रवात होते हैं, जिन्हें हरिकेन और तूफान भी कहा जाता है. यह आंकड़े विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की तरफ से मान्यता प्राप्त डेटा एजेंसियों और अमेरिकी महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) की ओर से संकलित किए गए हैं.
हालाँकि चक्रवातों की वार्षिक संख्या में कोई बड़ी परिवर्तन नहीं आया है, लेकिन उनकी तीव्रता में पिछले 30 वर्षों के दौरान बढ़ोतरी देखी गई है. 1981 से 2010 तक के मुकाबले पिछले दशक में इनकी औसत अधिकतम पवन गति 182 किमी प्रति घंटा से बढ़कर 192 किमी प्रति घंटा (113 से 119 मील प्रति घंटा) हो गई है, जो पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी है.
चक्रवात की गति भी तेज होती जा रही
चक्रवात ऐसे घुमते हुए हवाएं हैं जो कम दबाव वाले क्षेत्र के चारों ओर घूमती हैं और जिनकी गति कम से कम 118 किमी प्रति घंटा होती है. 1981 से 2010 तक, लगभग हर 10 में से एक चक्रवात 250 किमी प्रति घंटा की गति से ज्यादा था, लेकिन पिछले दशक में यह आंकड़ा बढ़कर 1.4 चक्रवातों में से एक हो गया है. यानी कि सबसे विनाशकारी, श्रेणी पांच के तूफानों की संख्या में 40 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.
यह आंकड़े संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) के निष्कर्षों पर भी मुहर लगाते हैं जो कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण श्रेणी चार और पांच के तूफानों की संख्या में वृद्धि होने की संभावना है.
2024 के सबसे घातक तूफान
2024 में 15 दिसंबर तक, दुनिया भर में 42 चक्रवात हो चुके हैं, जिनमें से 19 ने भूमि पर दस्तक दी. 2024 का सबसे मजबूत चक्रवात था “हरिकेन मिल्टन”, जिसने 10 अक्टूबर को अमेरिका के तट को झकझोर दिया और इसकी गति 278 किमी प्रति घंटा (173 मील प्रति घंटा) तक पहुंच गई. 2024 में पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ, जहाँ 15 तूफान आए, जिनमें से छह सिर्फ फिलीपींस में ही थे.
तूफान रेमल 2024 के उत्तर भारतीय महासागर चक्रवात, सीजन का पहला तूफान था. जो 26 मई को पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के सुंदरबन डेल्टा क्षेत्र में आया था. तूफान ने बंगाल, मिजोरम, असम और मेघालय में कम से कम 30 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी, कई घर तबाह कर डाले थे.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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