बॉलीवुड में ऐसी कई फिल्में आई हैं जिसके लीड एक्टर्स मेकर्स की पहली पंसद थे ही नहीं. अपनी निजी कारणों या डेट्स न होने के चलते अक्सर एक्टर्स फिल्में रिजेक्ट कर देते हैं. हालांकि बाद में जब वही फिल्में बड़े पर्दे हिट हो जाए, तो उन्हें पछतावा तो होता ही होगा. खैर, आज ऐसा ही एक किस्सा हम सुनाने जा रहे हैं. साल 1968 में फिल्म’आंखें’ रिलीज हुई थी, इसमें धर्मेंद्र लीड रोल में थे. लेकिन इसके निर्माता-निर्देशक रामानंद सागर की पहली पसंद राज कुमार थे.
ये किस्सा 1967 के आस-पास का है जब फिल्म आंखें की स्क्रिप्ट लिखने के बाद रामानंद सागर राज कुमार के घर गए. राज कुमार उस दौर के पॉपुलर एक्टर हुआ करते थे. मशहूर एक्ट्रेस और एंकर तबस्सुम ने अपने शो में इस बात का जिक्र किया था.
रामानंद सागर से राज कुमार ने क्या कहा था?
रामानंद सागर ने जब फिल्म आंखें की स्क्रिप्ट राज कुमार को सुनाई तो एक्टर का अजीब सा रिएक्शन आया था. एक्टर ने अपने पालतू डॉग को पास बुलाया और पूछा, ‘क्या तुम ये फिल्म करना चाहोगे?’ बताया जाता है कि उस समय वो डॉग इधर-उधर मुंह घुमाने लगा तो राज कुमार ने सागर की तरफ देखा और कहा, ‘देखो…मेरा कुत्ता भी इस फिल्म को नहीं करना चाहेगा तो मैं कैसे कर लूं?’
तबस्सुम ने अपने शो में बताया था कि तब रामानंद सागर को राज कुमार की ये बात और तरीका बहुत बुरा लगा था. बाद में उन्होंने धर्मेंद्र को लेकर फिल्म वही फिल्म बनाई जो सुपरहिट साबित हुई. इसके बाद रामानंद सागर ने राज कुमार के साथ कभी काम नहीं किया. वहीं धर्मेंद्र और माला सिन्हा की फिल्म आंखें उस साल की बड़ी सुपरहिट में शामिल हुई थी. Sacnilk के मुताबिक, फिल्म का बजट 80 लाख था जबकि बॉक्स ऑफिस पर फिल्म ने 6.40 करोड़ का कलेक्शन किया था.
रामानंद सागर का फिल्मी करियर
29 दिसंबर 1917 को जन्में रामानंद सागर का निधन 12 दिसंबर 2005 को मुंबई में हुआ था. 1932 में रामानंद सागर ने बतौर क्लैपर बॉय अपने करियर की शुरु्रआत की थी. पार्टिशन के बाद रामानंद सागर बॉम्बे आ गए. 1940 में रामानंद सागर ने पृथ्वीराज कपूर के ‘पृथ्वी थिएटर’ में असिस्टेंट मैनेजर नौकरी भी की. 1944 में आई पंजाबी फिल्म कोयल से रामानंद सागर ने बतौर एक्टर फिल्मों में एंट्री ली.
रामानंद सागर मद्रास गए और यहां जेमिनी स्टूडियो के साथ काम शुरू किया. यहां उन्होंने ‘इंसानियत’ (1955), ‘राज तिलक’ (1958) और ‘पैगाम’ (1959) जैसी फिल्मों की कहानी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स लिखे. इन फिल्मों ने कमाल कर दिया और फिर 1960 में सागर ने पहली फिल्म घूंघट डायरेक्ट की, वहीं दूसरी फिल्म जिंदगी भी बनाई और ये दोनों फिल्में जेमिनी स्टूडियो के तहत बनाई. रामानंद सागर ने कई बेहतरीन फिल्में बॉलीवुड के लिए बनाईं और अंत में ‘रामायण’ और ‘श्री कृष्णा’ जैसे धार्मिक सीरियल बनाकर इतिहास रच दिया.
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