देश में महिलाओं से उत्पीड़न संबंधित कानून काफी सख्त हैं. लेकिन कानून सख्त होने के साथ ही इनका गलत इस्तेमाल किया जाने लगा है. कई बार शारीरिक संबंध आपसी रजामंदी से बनाने के बाद भी संबंध खराब होने पर रेप के मुकदमे दर्ज कराए जाते हैं. इसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दूरगामी फैसले दिए. जिनका जिक्र हाईकोर्ट ने मोहसिन खान के मामले में दिए गए फैसले में किया है.
कानपुर आईआईटी में शोध कर रही एक छात्रा ने कानपुर में तैनात रहे एसीपी मोहसिन खान पर शादी का झांसा देकर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. पीड़िता के अनुसार एसीपी मोहसिन खान आईआईटी से साइबर क्राइम और क्रिमिनोलॉजी की पढ़ाई कर रहे हैं. इसी दौरान रिसर्च स्कॉलर से नजदीकी बढ़ गई. एसीपी ने उससे प्यार का नाटक किया और शादी का झांसा देकर यौन संबंध बनाए. एसीपी के शादीशुदा होने की सच्चाई सामने आने पर पीड़िता ने कानपुर पुलिस कमिश्नर से शिकायत की.
हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी पर लगाई रोक
पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार के आदेश पर इस मामले में एसीपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. एसीपी मोहसिन खान ने हाईकोर्ट का रुख किया और हाईकोर्ट ने मोहसिन खान की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. इसके बाद छात्रा ने एसीपी मोहसिन खान और उसके वकील गौरव दीक्षित के खिलाफ एक एफआईआर दर्द कराई, जिसमें छात्रा ने आरोप लगाया है कि उसकी मानहानि की जा रही है और धमकाया जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया जिक्र
इस मामले में हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी और चार्जशीट दाखिल करने पर भी रोक लगा दी थी. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में महेश दामू खरे बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य, विशेष अनुमति याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का जिक्र करते हुए बताया है कि अगर शादी का झांसा देकर दो बालिग यौन संबंध बनाते हैं तो यह आपराधिक अभियोजन चलने योग्य नहीं है. इसके अलावा हाईकोर्ट ने प्रशांत बनाम दिल्ली राज्य एनसीटी के मामले में विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का जिक्र भी किया. एसीपी मोहसिन खान को फौरी राहत तो मिल गई है लेकिन देखना यह होगा कि आईआईटी छात्रा द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे में कोर्ट अपना क्या फैसला सुनाती है.
– India Samachar
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