गोरखपुर में नए गोरखपुर को बसाने की योजना के तहत गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने 3000 करोड़ रुपये की परियोजना तैयार की थी. इसके तहत बालापार और मनीराम क्षेत्र में 175 एकड़ भूमि का अधिग्रहण भी किया गया था. लेकिन, इस बीच खनन माफिया ने इन क्षेत्रों से अवैध तरीके से मिट्टी खोद ली, जिससे योजना को बड़ा नुकसान हुआ.
खनन माफिया ने यहां से चार से दस फीट तक की मिट्टी खोदकर बेच दी, जिससे कई स्थानों पर गहरे गड्ढे हो गए और वे तालाब जैसे दिखने लगे. यह मिट्टी बाद में रिंग रोड पर भेजी जा रही थी. पोकलेन मशीनों से मिट्टी की खुदाई की जा रही थी. जीडीए को जब इस अवैध खनन की जानकारी मिली, तो अधिकारियों ने इसकी जांच शुरू कर दी.
जीडीए अधिकारियों की कार्रवाई
इस घटना की जानकारी मिलने के बाद जीडीए के सचिव यूपी सिंह और मुख्य अभियंता किशन सिंह ने जगह का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने पाया कि मिट्टी की खुदाई से कुछ स्थानों पर कृत्रिम पोखरे बन गए हैं. जीडीए ने अब ड्रोन सर्वे करवाने का निर्णय लिया है, ताकि यह पता चल सके कि कितनी मिट्टी खोदी गई है. ड्रोन सर्वे की रिपोर्ट के बाद खनन माफिया से वसूली की जाएगी.
झूठे सौदे से खुलासा
मामले का पता लगाने के लिए जीडीए ने एक कर्मचारी को किसान बनाकर भेजा और ठेकेदार से मिट्टी खुदाई का झूठा सौदा किया. इस झूठे सौदे के तहत पेटी कांट्रैक्टर कुलवंत सिंह को प्रति डिसमिल ₹1000 की दर पर मिट्टी खोदने की अनुमति दी गई. जीडीए ने इस मामले में चिलुआताल थाने में कुलवंत सिंह के खिलाफ केस दर्ज कराया है और पुलिस इसकी जांच कर रही है.
इस झूठे सौदे का ऑडियो भी तैयार किया गया है, जो जीडीए के पास है. अब तक की पड़ताल में कुलवंत सिंह का नाम सामने आया है
एनएचएआई को भेजा गया पत्र
जीडीए ने एनएचएआई के अधिकारियों को पत्र भेजा है, जिसमें पेटी कांट्रैक्टर कुलवंत सिंह को भुगतान न करने का अनुरोध किया गया है. यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि खनन माफिया से रिकवरी की जा सके और जीडीए को हुई हानि की भरपाई हो सके. जीडीए अब इस मामले में सख्त कार्रवाई करने की तैयारी में है, ताकि भविष्य में इस तरह के अवैध खनन की घटनाओं को रोका जा सके.
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