लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) 20 करोड़ का रोबोट खरीदने जा रहा है. इस रोबोट के जरिए कैंसर समेत उन सभी बीमारी के मरीजों का इलाज किया जाएगा, जो काफी जटिल और खतरनाक होते हैं. इस रोबोट के जरिए सुरक्षित और श्रेष्ठ इलाज हो पाएगा. अभी तक यह रोबोट, यूपी के सिर्फ एक मेडिकल कॉलेज में है… लेकिन अब केजीएमयू ने इसे खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. कुल दो रोबोट खरीदे जाएंगे, जिसमें एक CSR फंड से मिलेगा.
दरअसल, कैंसर और आंत से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए डॉक्टर सामान्य सर्जरी करते हैं. इस दौरान डॉक्टर चीरे की लंबाई और गहराई का अंदाजा लगाकर ही काम करते हैं. कई बार चीरा बड़ा लग जाता है और ब्लीडिंग ज्यादा हो जाती है. इस वजह से सर्जरी काफी जटिल और खतरनाक हो जाती है. केजीएमयू ने इस जटिलता को सरलता में बदलने के लिए रोबोट खरीदने का प्लान बनाया है. यह रोबोट तय लंबाई और गहराई का चीरा लगाता है, जिससे सर्जरी सुरक्षित होगी.
महज 53 हजार रुपये में होगी सर्जरी
टीवी9 डिजिटल से बात करते हुए केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. केके सिंह ने बताया कि अभी तक यह सुविधा सिर्फ लखनऊ के एसजीपीजीआई में है, जहां पर एक रोबोटिक सर्जरी का करीब एक लाख रुपये खर्च होता है और वहां पर लंबी वेटिंग चलती रहती है… ऐसे में केजीएमयू ने जल्दी और आधे पैसे में ही रोबोटिक सर्जरी करने का फैसला किया है. डॉ. केके सिंह ने बताया कि संस्थान को रोबोटिक सर्जरी की प्राथमिक फीस 53 हजार रुपये रखने की अनुमति मिल गई है.
एक महीने में खरीद की प्रक्रिया हो जाएगी पूरी
केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. केके सिंह ने बताया कि केजीएमयू दो रोबोटिक सर्जरी मशीन खरीदेगी. एक का इस्तेमाल मरीजों के इलाज के लिए होगा, तो दूसरे का इस्तेमाल बाकी डॉक्टरों के प्रशिक्षण के लिए किया जाएगा. एक मशीन की खरीद केजीएमयू प्रशासन की ओर से की जा रही है, जबकि दूसरा सीएसआर फंड के जरिए खरीदा जाएगा. डॉ. केके सिंह ने बताया कि एक महीने में ही खरीद पूरी हो जाएगी और इसको चलाने की ट्रेनिंग हमारे डॉक्टर पहले ही ले चुके हैं.
रोबोट कैसे करता है सर्जरी?
किसी भी सर्जरी में अहम भूमिका डॉक्टर की रहती है. इस सर्जरी में भी डॉक्टर ही सबकुछ करेंगे, लेकिन वह कुछ दूरी पर बैठकर सर्जरी करेंगे. रोबोट का एक हिस्सा मरीज और दूसरा हिस्सा डॉक्टर के पास रहता है. डॉक्टर उसके माध्यम से मरीज से कुछ दूरी पर सर्जरी करते हैं. इससे फायदा यह है कि चीरा लंबाई और गहराई का लगेगा, जिससे ब्लीडिंग कम होगी और घाव भी जल्दी भरेगा. साथ ही मरीज को अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल सकती है.
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