बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना को वापस भेजने की मांग की है. सोमवार को अंतरिम सरकार ने यह जानकारी दी है कि उन्होंने एक डिप्लोमेटिक नोट के जरिए भारत से शेख हसीना को वापस ढाका भेजने की मांग की है.
जानकारी के मुताबिक, अंतरिम सरकार ने डिप्लोमेटिक नोट में शेख हसीना को कोर्ट में पेश किए जाने का हवाला देते हुए उन्हें बांग्लादेश डिपोर्ट करने को कहा है. शेख हसीना ने 5 अगस्त को बांग्लादेश में महीनों से चल रहे आरक्षण विरोधी हिंसक आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और वह आनन-फानन में अपनी जान बचाते हुए भारत आ गईं थीं.
शेख हसीना के खिलाफ अरेस्ट वारंट
बांग्लादेश में जून के अंत से शुरू हुए आरक्षण विरोधी आंदोलन ने 77 वर्षीय शेख हसीना के 16 साल के शासन का अंत कर दिया. ढाका स्थित इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने शेख हसीना समेत, कई पूर्व कैबिनेट मंत्रियों, सलाहकारों, सैन्य और सिविल अधिकारियों के खिलाफ ‘मानवाधिकार के खिलाफ अपराध और नरसंहार’ के आरोप में अरेस्ट वारंट जारी किया है.
शेख हसीना को वापस भेजने की मांग
बांग्लादेश के विदेश मंत्री मोहम्मद तौहीद हुसैन ने अपने दफ्तर में मीडिया से बात करते हुए कहा है कि, ‘हमने भारत सरकार को मौखिक नोट (डिप्लोमैटिक नोट) भेजकर कहा है कि बांग्लादेश चाहता है कि न्यायिक प्रक्रिया का सामना करने के लिए शेख हसीना को वापस भेजा जाए.’
इससे पहले सुबह बांग्लादेश के गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम ने कहा था कि भारत से शेख हसीना का प्रत्यर्पण के लिए उनके ऑफिस से विदेश मंत्रालय को पत्र भेजा गया है. इससे जुड़े सवाल के जवाब में जहांगीर आलम ने कहा कि, ‘हमने उनके प्रत्यर्पण से जुड़ा एक पत्र विदेश मंत्रालय भेजा है, प्रक्रिया अभी चल रही है.’
आलम ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि मौजूद है और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस संधि के जरिए बांग्लादेश वापस लाया जा सकता है.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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