हनी सिंह पर बानी डॉक्यूमेंट्री ‘यो यो हनी सिंह : फेमस’ नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही है. इस सीरीज में हम देखते हैं कि अपने दिल्ली के ‘करमपुरा’ स्थित पुराने घर में बैठकर हनी सिंह बताते हैं कि वो जिस घर में पले-बढ़े हैं, उस घर में कोई खिड़की ही नहीं थी. जिस घर से न आसमान दिखता था न ही सूरज की किरण आती थीं, उस घर से इस मशहूर रैपर ने सफलता के आकाश में उड़ने की हिम्मत की. लेकिन हनी सिंह की डॉक्यूमेंट्री उनके बिना खिड़की के घर जैसी है. जिस तरह से उस घर में बाहर का कुछ दिखता नहीं था, ठीक उसी तरह हनी सिंह की डॉक्यूमेंट्री में भी सिर्फ उनकी अच्छाई के अलावा और कुछ नहीं दिखता. ऐसी डॉक्यूमेंट्री बनाने से अच्छा हनी सिंह खुद की ऑटोबायोग्राफी ही लिखते.
डॉक्यूमेंट्री की जानकारी
‘यो यो हनी सिंह : फेमस’ इस डॉक्यूमेंट्री की शुरुआत हनी सिंह के कुछ रेयर अनदेखे वीडियो और फोटो के साथ होती है. एक आम लड़का कैसे फर्श से अर्श पर और फिर अर्श से फर्श पर आ गया, ये कहानी यहां बताई गई है. हर इंडियन फिल्म इंडस्ट्री की तरह यहां भी मीडिया को हनी सिंह ने उनके साथ हुई गलत चीजों का जिम्मेदार ठहराया गया है. हनी सिंह की डॉक्यूमेंट्री इतनी ज्यादा इंस्पायरिंग है कि वो झूठ लगने लगती है. यानी परफॉर्म क्यों नहीं किया? क्योंकि बीमार हुआ, गंदे गाने क्यों बनाए? तो वो मैं नहीं था, बीवी के साथ क्या हुआ? वो कॉन्ट्रैक्ट की वजह से नहीं बता सकता, वजन क्यों बढ़ा? क्योंकि दवाई ले रहा था और गाने क्यों नहीं चल रहे हैं? तो लोगों का टेस्ट बदल गया है. यानी हनी सिंह ने अपनी जिंदगी में कोई गलती की ही नहीं, सिर्फ बाकियों की गलती की सजा उन्हें मिल गई. यानी डॉक्यूमेंट्री का टाइटल ‘यो यो हनी सिंह’ की जगह ‘श्री हनी सिंह’ होना चाहिए था, वो ज्यादा असरदार लगता. सिर्फ उन्होंने इस वीडियो में दी हुईं भद्दी गालियां एडिट करनी पड़तीं.
जानें कैसी है डॉक्यूमेंट्री
हनी सिंह की कहानी प्रेरणादायी तो है. दिल्ली के एक आम परिवार के लड़के का देश का सुपरस्टार रैपर बनने का सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था. हनी सिंह के माता-पिता जब इस बारे में बात करते हैं, उनकी मां जब इमोशनल होकर अपने बेटे के बारे में बताती हैं, तब वो पल दिल जीत लेते हैं. उस हनी सिंह से कनेक्ट कर पाते हैं. जब वो अपने पुराने घर के एक कोने को दिखाकर अपने किस्से सुनाते हैं, तब हम उनसे जुड़ जाते हैं. आज भी उनकी मां जिस तरह से दिन भर की दवाइयों की पूड़ियां बनाकर अपने बेटे के साथ इंटरनेशनल टूर पर भेजती हैं, तब उनसे हम कनेक्ट कर पाते हैं. जिस तरह से मुंबई के रास्तों पर गजरा बेचने वाली लड़की से हनी सिंह बात करते हैं, हमें बड़ा अच्छा लगता है. लेकिन जब हनी सिंह की बहन अपने भाई को ‘बहुत महान’ बताने की कोशिश करती हैं, तब इसे देखने में मजा नहीं आता.
जब हनी सिंह कहते हैं कि मैंने भद्दे गाने बनाए ही नहीं, तब हमें ये कहानी झूठी लगती है. जिस अभिमान के साथ हनी सिंह कहते हैं कि मुझे अपने गानों को लेकर कोई पछतावा नहीं है, तब वो अपने लिखे हुए कुछ भद्दे गानों से पल्ला क्यों झाड़ रहे हैं, ये बात समझ में नहीं आती. दरअसल विदेश में जब डॉक्यूमेंट्री बनाई जाती हैं, तब वो दो तरह की होती है. एक डॉक्यूमेंट्री जिसके बारे में है, उसको शामिल ही नहीं किया जाता. उससे जुड़े हुए लोग, अगर उसका अरेस्ट हुआ है तो पुलिस, वकील, जज, मेडिकल जांच हुई है, तो अस्पताल के डॉक्टर, उसके परिवार वाले, उसके दुश्मन के करीबी, उनके वकील, इन कइयों के बाइट इस डॉक्यूमेंट्री में शामिल किए जाते हैं. सेलिब्रिटी के बारे में अच्छी, बुरी दोनों चीजें बताई जाती हैं.
दूसरे प्रकार की डॉक्यूमेंट्री में अगर सेलिब्रिटी बात कर रहा है, तो वो जिस कंट्रोवर्सी में फंसा था, वो कंट्रोवर्सी जिससे जुड़ी थी, उनका पक्ष भी जानने की कोशिश की जाती है. लेकिन हनी सिंह की सीरीज में ये नहीं होता. ‘शाहरूख खान ने थप्पड़ मारा’ ये एक अफवाह है, ये तो हनी सिंह बताते हैं, लेकिन अगर इस बात पर शाहरूख खान खुद बात करते, तो उसका इम्पैक्ट और ज्यादा होता. हनी सिंह की पत्नी या उसे जुड़े लोग इन दोनों के बीच क्या हुआ? इस बारे में बात करते, तो वो सही मायने में एक अच्छी डॉक्यूमेंट्री बनती.
देखे या न देखें
माफिया मुंडीर के बारे में या फिर ड्रग्स के बारे में इस सीरीज में कही पर भी बात नहीं की गई है. सीरीज में ऐसा ज्यादा कुछ नहीं है, जो हम पहले से नहीं जानते थे. खुद की महिमा गाना मतलब डॉक्यूमेंट्री नहीं होता, ये बात इंडियन सेलिब्रिटी को समझनी पड़ेगी. वरना तो वो खुद की बायोपिक या आत्मचरित्र बनाए, लेकिन उसे डॉक्यूमेंट्री का नाम न दे. बाकी अगर आप हनी सिंह के फैंस हो तो आपको ये सीरीज बहुत पसंद आएगी.
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