प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुवैत दौरे पर हैं. जहां वो ‘हाला मोदी’ कम्यूनिटी प्रोग्राम में भी शामिल हुए. पीएम ने कहा कि यहां मैं अलग ही अपना पन महसूस कर रहा हूं. कुवैत में मेरे सामने मिनी हिंदुस्तान नजर आ रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि मेरे लिए निजी रूप से यह पल बहुत खास है. चार दशक से भी ज्यादा समय के बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री कुवैत आया है. भारतीय कुवैत की अगली पीढ़ी को मजबूत कर रहे हैं. हमारा वर्तमान ही नहीं बल्कि हमारा अतीत भी हमे जोड़ता है.
पीएम ने आगे कहा कि कुवैत से बाहुत सारा सामान यहां आता रहा है और यहां से बहुत सारी चीजें जाती रही है. कुवैत के मोती भारत के लिए किसी हीरे से कम नहीं रहे हैं. आज भारत की ज्वेलरी की पूरी दुनिया में धूम है तो उसमें कुवैत के मोतियों का भी योगदान है. गुजरात में तो हम बड़े बुजुर्गों से सुनते आए हैं कि पिछली शताब्दियों में कुवैत से कैसे व्यापारी कारोबारियों का आना-जाना लगा रहा था. दशकों पहले कुवैत के व्यापारी सूरत आने लगे थे.
कुवैत में पहले भारतीय रुपए स्वीकार किए जाते थे-PM
उन्होंने कहा कि कुवैत के बहुत सारे परिवार आज भी मुंबई की मोहम्मद अली स्ट्रीट में रहते हैं. बहुत सारे लोगों को यह जानकार हैरानी होगी कि 60-65 साल पहले वैसे ही चलते थे जैसे भारत में चलते हैं. यानी यहां किसी दुकान से कुछ खरीदने पर भारतीय रुपए ही स्वीकार किए जाते थे. कुवैत से हमारा वर्तमान जुड़ा है. यहां आना मेरे लिए बहुत यादगार है. मैं कुवैत के लोगों का यहां की सरकार का बहुत आभारी हूं.
‘कुवैत की कंपनियों के लिए भारत बड़ा इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन’
कार्यक्रम में मौजूद लोगों से पीएम ने कहा कि अतीत में कल्चर और कॉमर्स ने जो रिश्ता बनाया था वो आज नई सदी में नई बुलंदी की तरफ आगे बढ़ रहा है. आज कुवैत भारत का बहुत अहम एनर्जी और ट्रेड पार्टनर है. कुवैत की कंपनियों के लिए भी भारत एक बड़ा इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन है.
पीएम ने कहा- कोरोना में दोनों देशों ने एक दूसरे की मदद किए
कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों ने हर स्तर पर मदद की. कुवैत ने हिंदुस्तान को लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई दी. भारत ने भी कुवैत को वैक्सीन और मेडिकल टीम भेजकर इस संकट से लड़ने का साहस दिया. भारत ने अपने पोर्ट खुले रखे थे. इसी साल जून में कुवैत में इतना बड़ा हादसा हुआ था, जो अग्निकांड हुआ था, उसमें अनेक भारतीयों ने अपना जीवन खोया. उस समय कुवैत सरकार ने जिस तरह का सहयोग किया वो एक भाई ही कर सकता है.
भारत, दुनिया के उन पहले देशों में से एक है, जिसने कुवैत की स्वतंत्रता के बाद उसे मान्यता दी थी. इसलिए जिस देश से, जिस समाज से इतनी सारी यादें जुड़ी हैं. वहां आना मेरे लिए बहुत यादगार है. मैं कुवैत के लोगों और यहां की सरकार का बहुत आभारी हूं.
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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम
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